चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं संसदीय प्रक्रिया की इसके अंतर्गत हम कुछ आर्टिकल का उल्लेख करेंगे
जैसे आर्टिकल 118 आर्टिकल 120 121 122 की
आर्टिकल 118 से शुरू करते हैं आर्टिकल 118 संसद के दोनों सदनों की नियम एवं प्रक्रिया का निर्धारण करने की जिम्मेदारी संसद यानी स्वयं की होगी
संयुक्त अधिवेशन लोकसभा अध्यक्ष अध्यक्षता करता है
आर्टिकल 108 राष्ट्रपति संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाएगा क्यों बुलाएगा इस बात का उल्लेख करता है
आर्टिकल 118 के तहत संयुक्त अधिवेशन की नियम व प्रक्रिया का निर्धारण राष्ट्रपति करेंगे लोकसभा के अध्यक्ष राज्यसभा के सभापति यह दोनों भी राष्ट्रपति के साथ मिलकर संयुक्त अधिवेशन के संदर्भ में नियम बनाएंगे
लोकसभा के अध्यक्ष के अब्सेंट में लोकसभा का उपाध्यक्ष लोकसभा के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता करेंगे राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियम संयुक्त अधिवेशन में के संदर्भ में वहीं लोकसभा स्पीकर के अब्सेंट में अध्यक्षता करने के लिए उपसभापति को आगे आना पड़ता है
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आर्टिकल 118 तीन के तहत यदि उपसभापति भी अब्सेंट है तो इस स्थिति में संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता राज्यसभा के सभापति करेंगे यदि सभापति भी एब्सेंट है तो दोनों हाउस मिलकर यह तय करेंगे कि आज के संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता कौन करेगा संयुक्त अधिवेशन अब तक तीन बार बुलाया गया है
चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं
आर्टिकल 120
संसदीय कार्य हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में किए जाएंगे परंतु वह व्यक्ति या संसद जो यह दोनों भाषा नहीं जानता तो सदन का पीठासीन मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुमति दे सकता है आठवीं अनुसूची का जिक्र तो यहां नहीं है लेकिन हमने इस सूची में 22 भाषाओं को मान्यता दे रखे हैं
शक्तियों का पृथक्करण का सिद्धांत अकाउंट शासन के तीनों अंग अलग-अलग कार्य करेंगे कार्यपालिका व्यवस्थापिका और न्यायपालिका
अब हम बात करते हैं आर्टिकल 121 आर्टिकल 122 की हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट के जज को संसद में प्रस्ताव लाकर हटाया जाता है संसद न्यायपालिका पर कोई हस्तक्षेप नहीं करता अन्यथा इसके अलावा जज भी जज पर कोई संसद टिप्पणी नहीं कर सकता संसद को रोका गया है कि न्यायपालिका के किसी भी मामले में हस्तक्षेप करने के लिए
आर्टिकल 121 के द्वारा
आर्टिकल 122 ठीक उल्टा है न्यायपालिका को संसद की विधि या मान्यता पर टिप्पणी करने से रोका गया है
आर्टिकल 32 संवैधानिक अधिकारों के हनन होने पर सुप्रीम कोर्ट पांच प्रकार के याचिका जारी कर सकता है लेकिन कभी भी संसद या व्यवस्थापिका के खिलाफ याचिका जारी नहीं कर सकता
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आर्टिकल 99 राष्ट्रपति सभी सदस्यों को शपथ दिलाएंगे राष्ट्रपति के अनुपस्थिति में नियमित व्यक्ति शपथ दिलाएंगे शपथ का प्रारूप किस बात की शपथ होगी अनुसूचित 3 में है
लोकसभा के अध्यक्ष as a member शपथ लेता है मनोनीत सदस्य को भी राष्ट्रपति ही शपथ दिलाते हैं नए राज्य सभा के सदस्यों को सभापति शपथ दिलाते हैं
आर्टिकल 100 की कोरम यह गणपूर्ति वह न्यूनतम संख्या जिसके बिना सदन की बैठक संभव ही नहीं हो सकती उसे ही कोरम कहा जाता है संसद का कोरम 1 बटा 10 होता है कुल सदस्य संख्या का 1 बटा 10 सदन का कोरम होता है जैसे लोकसभा में 545 सदस्य हैं इसका एक बटा 10 यानी कि 55 सदस्यों की संख्या कोरम के लाएगी राज्यसभा में 245 सदस्य हैं इसका एक बटा 10 यानी कि 25 सदस्य संख्या राज्यसभा में कोरम कहलाएगा संसद का कोरम पूरा नहीं होने पर संसद का अध्यक्ष बैठक को कुछ समय के लिए निलंबित कर सकता है
आज हमने संसदीय प्रक्रिया के पहले अध्याय को पूरा किया इसके अगले अध्याय में हम संसदीय प्रक्रिया के दूसरे अध्याय पर चर्चा करेंगे तब तक आप अपना ख्याल रखिए धन्यवाद
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Give me only suggestions and your opinion no at all Thanx