Parliament procedure(संसदीय प्रक्रिया के दूसरे भाग की )


 चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं संसदीय प्रक्रिया के दूसरे भाग की 


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जिसमें हम सचिवालय के बाद करेंगे संसद के सचिवालय का प्रावधान संसद सत्र संसद सचिवालय उल्लेख आर्टिकल 98 

लोकसभा सचिवालय और राज्यसभा सचिवालय संसद के प्रत्येक सदन का अपना एक सचिवालय होगा सचिवालय के कर्मचारी की नियुक्ति भर्ती व उनकी सेवा शर्तों का निर्धारण संसद करेगी 
आर्टिकल 98 इस बात को बखूबी बताता है 



संसद जब तक यह सारे नियम विधि नहीं बना लेता तब तक यह सारे नियम राष्ट्रपति के द्वारा बनाए जाएंगे चलिए आगे राज्य सभा एवं लोकसभा के सभापति के साथ विचार-विमर्श करके इन दोनों सचिवालय में एक महासचिव होते हैं लोकसभा के महासचिव की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाएगी राज्यसभा के महासचिव की नियुक्ति सभापति द्वारा की जाएगी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को ही महासचिव नियुक्त किया जाता है संसद के दोनों महासचिव कि इन दोनों का दर्जा भारत सरकार के सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी कैबिनेट सचिव के समक्ष होता है

 1952 में ही महासचिवालय की स्थापना किए हैं पहले संसद के दोनों महा सचिवालय का दर्जा किसी भी विभाग के महासचिव वाले के समक्ष था लेकिन 1990 से यह दर्जा कैबिनेट सचिव के समक्ष बराबर का दर्जा स्टेटस होता है दर्जा कैबिनेट सचिवालय के समकक्ष है यानी बराबर का दर्जा कैबिनेट सचिव के जैसा ही संसद के महासचिव वाले का स्टेटस होता है

 स्नेह लता श्रीवास्तव वर्तमान में लोकसभा के महासचिव  हैं मध्य प्रदेश के आईएएस अधिकारी हैं यह प्रथम बार है कि यह पद किसी महिला को दिया गया

 वीएस रामादेवी राज्यसभा के महासचिव महिला रह चुकी चुनाव आयुक्त भी रह चुकी हैं






 महासचिव( Secretary general) के कार्यों की 

लोकसभा राज्यसभा में लाए गए प्रस्ताव में प्रशासनिक कार्यों का काम इन महासचिव द्वारा किए जाते हैं यह महासचिव राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति के चुनाव में दोनों सदन के महासचिव बारी-बारी से पीठासीन अधिकारी बनते हैं सभापति द्वारा दिए गए नियुक्ति पत्र में भी इनकी कार्यकाल का उल्लेख रहता है कोई फिक्स कार्यकाल नहीं है एक महासचिव तो 12 साल तक पद पर रहे 

उन्हें  कॉन्ट्रैक्ट नियुक्ति पत्र द्वारा हटाया जा सकता है यह महासचिव अपना त्यागपत्र संबंधित सदन के सभापति को देते हैं 60 साल तक अपने पद पर रह सकते हैं 


अब बात करते हैं संसदीय सत्र  सेशन  अधिवेशन या बैठक की

 एक-एक करके  इन तीनों को विस्तार से चर्चा करते हैं

महा सचिव संसद के प्रति नहीं बल्कि अध्यक्ष व सभापति के प्रति उत्तरदाई होता है वह राष्ट्रपति की ओर से सदन के अधिवेशन में उपस्थित होने के लिए सदस्यों को आमंत्रण जारी करता है अध्यक्ष की अनुपस्थिति में विधायकों को प्रमाणित करता है यह सदन की ओर से संदेश भेजता है व प्राप्त करता है व संसद समितियों के समक्ष जो गवाह प्रस्तुत होते हैं उनके विरुद्ध वारंट जारी करता है 


सचेतक (Whip) के कार्य

 प्रत्येक सदन के राजनीतिक पार्टी चाहे वह सत्ता वाला हो या विपक्ष अपने पार्टी के सदस्यों को अनुशासन में रखने के लिए अपने एक सदस्य की नियुक्ति  सचेतक के रूप में करता है वह देखता है कि दल सदस्य संसद में उपस्थित रहे यदि पार्टी सदस्य उनके निर्देशों को नहीं मानते तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक  कार्यवाही की जा सके




आर्टिकल 85 

राष्ट्रपति संसद के सत्र को आहूत  बुलाया करते हैं हर साल संसद का   2 सत्र अनिवार्य रूप से होना चाहिए 2 सत्र के मध्य 6 महीने का अंतराल नहीं होना चाहिए दो सत्रों के बीच के समय को अवकाश या विक शांति काल कहा जाता है


 यह सत्र राष्ट्रपति मंत्री परिषद के सहमति पर बुलाता है लेकिन यदि मंत्रिपरिषद भंग हो या लोकसभा में बहुमत खो चुके हो या खो सकता हो इसी स्थिति में राष्ट्रपति स्वा विवेक से काम करता है

 सत्रावसान करना राष्ट्रपति का अधिकार है सत्र की समाप्ति भारतीय संसदीय परंपरा नियम एवं प्रक्रिया में उल्लेख है कि 1 वर्ष में समानता संसद के तीन सत्रों का आयोजन किया जाए यह सत्र हैं 


बजट सत्र  मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र

 बजट सत्र (Feb---May) यह पहला सत्र है आर्टिकल 87 राष्ट्रपति संसद के प्रथम सत्र को अनिवार्य रूप से संबोधित करेंगे अवधि के हिसाब से सबसे बड़ा सत्र है यह सत्र दो चरणों में होता है राज्यसभा में बजट सत्र को दो अधिवेशन में विभाजित कर दिया जाता है 
 बजट सत्र में चर्चा होने के बाद अवकाश के बाद बजट पेश होता है 


शीतकालीन सत्र यह सबसे छोटा सत्र है(Nov---Dec) 

मानसून सत्र(July---Sep) 




  आर्टिकल 85

 लोकसभा चुनाव के पहले सत्र को भी राष्ट्रपति अनिवार्य रूप से संबोधित करता है



स्थगन Adjournment

कुछ विशेष कारण जैसे   अव्यवस्था अनुशासनहीनता शोर-शराबे आदि के कारण सदन की बैठक को अस्थाई रूप से रोक देना स्थगन Adjournment) होता है




 लेकिन यह अधिकार केवल संबंधित सदन के स्पीकर को प्राप्त होता है यह 2 मिनट से लेकर कुछ दिनों तक हो सकता है और अध्यक्ष  सदन को कभी भी बुला सकता है






 अनिश्चितकालीन स्थगन की (Adjournment  sine Die) 

जब सदन का पीठासीन अधिकारी अगली बैठक का समय बताएं बिना सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर देता है तो उसे अनिश्चितकालीन स्थगन या साइंस डाई कहा जाता है


 अब बात करते हैं 


प्रश्नकाल (Question Time) 

 प्रश्नकाल एक ऐसा समय है जहां पर जनता संसद के द्वारा सरकार पर नियंत्रण करती है कि आपने बिना पूछे फला काम कैसे किया सही ढंग से किया या नहीं हिसाब दीजिए आदि संसद के बैठने का समय हर दिन 11:00 से 12:00 के बीच की अवधि में सदस्यों संस्थाओं द्वारा मंत्रियों से जो प्रश्न पूछे जाते हैं प्रश्न पूछने की अवधि को ही प्रश्न काल कहा जाता है


 कभी-कभी गैर सरकारी सदस्यों से भी प्रश्न पूछे जाते हैं इस प्रकार की कोई प्रक्रिया संविधान में उल्लेखित नहीं है यह संसदीय एवं प्रक्रिया का भाग है 



प्रश्नकाल में चार प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं वह चार प्रकार के प्रश्न यह हैं 

1.तारांकित प्रश्न 
2.अतारांकित प्रश्न
3.अल्प सुचना प्रश्न  
4.पूरक प्रश्न 


 एक-एक करके इन सब को एक्सप्लेन करते हैं सबसे पहले बात करते हैं

 तारांकित प्रश्न( Started question) 
की ऐसे प्रश्न का उत्तर मौखिक रूप से दिए जाते हैं वह व्यक्ति जो किसी मंत्री से प्रश्न पूछना चाहता है वह भी मौखिक ऐसी स्थिति में वे संसद इसकी सूचना लिखित रूप से संसद स्पीकर महासचिव व सचिवालय को देना पड़ता है लगातार इन प्रश्नों को विशेष तराकांत विशेष अंकित किया जाता है यदि तारांकित उत्तर से संतुष्ट नहीं है तब भी आप पूरक प्रश्न पूछ सकते हैं वह संसद जो प्रश्न पूछता है वह अपने निर्वाचन क्षेत्र की जानकारी भी संसद स्पीकर को देता है प्रश्न पूछने से संबंधित प्रश्न इससे संबंधित सूचना संबंधित सदन को 15 दिन पहले इनकी सूचना दैनिक प्रश्न और स्वीकार किए जाते हैं


 जिस सदन के सदस्य हैं उसी सदन के स्पीकर को 15 दिन पहले इसकी सूचना दी जानी चाहिए अब बात करते हैं

लोकसभा सचिवालय कि इस प्रश्नकाल में आप 20 प्रश्नों को शामिल कर सकते हैं लोकसभा चुनाव के बाद बने मंत्रियों से प्रश्न नहीं पूछे जा सकते क्योंकि वो अभी अभी तो मंत्री बने हैं बजट सत्र के दिन भी प्रश्न नहीं पूछे जाते राष्ट्रपति के अभिभाषण के दिन भी और शनिवार और रविवार के दिन भी प्रश्नकाल नहीं रखा जाता 




 अतारांकित प्रश्नों की (Unstated question

ऐसे प्रश्न जी जिसे तरांक लगाकर विशेषांक नहीं किए  जाते हैं इसमें प्रश्नों के उत्तर लिखित रूप से दिया जाता है इसमें कोई पूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते कभी भी

 समान्यतः एक दिन में अधिकतम 230 प्रश्न स्वीकार किए जाते हैं परंतु यदि किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है तो उससे संबंधित 25 प्रश्न और स्वीकार किए जाते हैं जिस संसद कि आप सदस्य हैं उसी सदन के स्पीकर को 15 दिन पहले इसकी सूचना दी जानी चाहिए

अल्प सूचना वाले प्रश्न( short Notice question) 

ऐसे प्रश्न का संबंध लोक महत्व के बिना किसी तत्कालिक विषय से होता है प्रश्न का मौखिक उत्तर प्राप्त करने के लिए पूर्व सूचना 10 दिन से भी कम अवधि  में दीये जा सकते है

 पूरक प्रश्न (Supplementary question) 

 मंत्री द्वारा दिए गए उत्तर से संतुष्ट ना होने पर उसी उत्तर को लेकर जो प्रश्न दोबारा पूछा जाता है उसे पूरक प्रश्न कहते हैं विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित पूछे जाने वाले प्रश्नों के लिए सप्ताह में अलग-अलग दिन निर्धारित होते हैं सदन के सदस्य कोई भी पूरक प्रश्न पूछने के लिए न्यूनतम 10 दिन तथा अधिकतम 21 दिन पहले लिखित सूचना संबंधित सदन अध्यक्ष को देना होता है अल्प सूचना वाले प्रश्नों में यह अभी 10 दिन से भी कम हो सकती है



शून्य काल  कि ( zero hour) 

 प्रश्नकाल के ठीक बाद कोई सांसद बिना कुछ पूर्व सूचना के प्रश्न पूछ लेता है इसे ही शून्य काल कहा जाता है इसका उल्लेख संसदीय प्रक्रिया और नियमों में नहीं है यह काल को शून्यकाल नाम मीडिया द्वारा दिया गया है साठ के दशक में प्रारंभ हुआ वर्तमान में यह परंपरा विकसित हो रही है यदि आपको शून्य काल में प्रश्न पूछना चाहते हैं तो 30 घंटा पहले 10:30 बजे संबंधित सदन को सूचना दे दीजिए यदि आपका नाम लॉटरी में आ गया इस स्थिति में आप प्रश्न पूछ सकते हैं







संसद का दैनिक कार्य काल 11:00 से 12:00 बजे तक प्रश्नकाल का 

1:00 से 2:00 तक लंच ब्रेक

 2:00 बजे से लेकर 6:00 बजे तक विधायिका लोकसभा के लिए 6 घंटे और राज्यसभा के लिए 5 घंटे प्रत्येक शुक्रवार के अंतिम ढाई घंटे निजी सदस्यों के कार्यों के लिए अनारक्षित रहते हैं






आज हमने संसदीय प्रक्रिया के दूसरे भाग को पूरा किया इसके अगले अध्याय में हम संसदीय समितियों के बारे में चर्चा करेंगे तब तक आप अपना ख्याल रखें धन्यवाद


Emogi :

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