भारत का राष्ट्रपति (the president of India)Part 02

भारत का राष्ट्रपति (the president of India)Part 02



हम भारत के राष्ट्रपति के बारे में चर्चा कर रहे थे चलिये  आगे बढ़ाते हैं और बात करते हैं

निर्वाचन पद्धति के बारे 

में तो हम बता दें यह पद्धति का नाम एकल संक्रमणीय अनुपातिक गुप्त मतदान प्रणाली  और इसका उल्लेख आर्टिकल 55 में मिलता है
इसको और अच्छे से विस्तार राष्ट्रपति उप राष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम 1952 में किया गया है अब हम बात करेंगे कि





चुनाव कैसे होते हैं 


तो चुनाव हम बता दें चुनाव के दो भागों में बांटा जा सकता है

इसको बोलते हैं The first post of post method

इसका मतलब होता है अग्रता ही विजेता सबसे ज्यादा वोट लेकर आता है वही चुनाव जीतेगा
 यदि राष्ट्रपति चुनाव  की बात करें तो इसमें वह चुनाव नहीं जीतेगा जो सबसे ज्यादा मत प्राप्त कर लेता है वास्तव में चुनाव वह जीतेगा है जो एक निश्चित कोटा प्राप्त कर लेता है  कोटा प्राप्त करने के कारण ही इस पद्धति को अनुपातिक गुप्त मतदान कहते हैं ऐसा चुनाव में मतदाता के  वरीयता क्रम में मत  देता है तो उसे हम लोग एकल संक्रमणीय कहते हैं वह इसलिए क्योंकि यदि कोई व्यक्ति जो राष्ट्रपति चुनाव में निश्चित प्राप्त नहीं कर पाता तो ऐसी स्थिति में उसका बहुत हस्तांतरित हो जाता है हो जाता है

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President of India                                    🆑here             
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राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार बनने की शर्तें


 वह लोग जो राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल के सदस्य हैं और उसमें से 50 लोग आपके उम्मीदवार का प्रस्तावक हो और 50 लोग आपके उम्मीदवार बनने के लिए अनुमोदक देते हैं लेकिन याद रहे टोटल 100 संख्या जरूरी होती हैं लेकिन इसके बाद आप किसी और को उम्मीदवार के प्रस्तावक और अनुमोदक दोबारा नहीं हो सकते एक बात और जरूरी है कि जो 50 लोग आपकी उम्मीदवारी का प्रस्तावक करते हैं और आप की उम्मीदवारी का अनुमोदन करते हैं यह संख्या 1957 से पहले 10 , 10

में  लेकिन अभी यह 50 .50 प्रस्तावक और अनुमोदक यह बहुत ही जरूरी कर दिया आगे बढ़ते हैं

 राष्ट्रपति चुनाव के जमानत राशि

 राष्ट्रपति चुनाव में जमानत राशि 15000 होती है जमानत राशि जब्त हो जाती है यदि आप टोटल मत का 1 बटा 6 भाग प्राप्त नहीं कर पाते निश्चित कोटा से तब यह राशि जब्त हो जाती है और यह राशि आरबीआई के पास चली जाती है



इस चुनाव में यह बहुत जरूरी होता है कि हम विधायक का मत मूल निकाले और इसे निकालने के लिए हम एक विधायक का मत मूल्य निकालने के लिए हम उस राज्य की जनसंख्या से उस राज्य की विधान सभा निर्वाचित सदस्य की संख्या को एक बटे हंड्रेड से गुणा कर देते हैं

जनसंख्या का आधार याद रहे जनसंख्या अधार 1971 है और यह 2026 तक यही आधार संख्या रहेगी


इंटरेस्टिंग बात यह देखने को मिलती है की 1971 को ही जनसंख्या का आधार क्यों बनाया गया क्या कारण हो सकता है तो कारण भी बड़ा वाजिब है चलिए देखते हैं कारण उत्तर भारत

और दक्षिण भारत की जनसंख्या है एक बड़ा फर्क नजर आ रहा है दक्षिण भारत में तुलनात्मक रूप से वृद्धि कम उत्तर भारत की जनसंख्या में तुलनात्मक रूप से वृद्धि ज्यादा हो रही है अर्थात जिस राज्य की जनसंख्या ज्यादा होगी उस राज्य की एमएलए कीमत मूल्य भी ज्याद आएगा दक्षिण भारत के लोग इसका विरोध करते हैं कहते हैं एक तो हमने 2001 व 2011 में जनसंख्या को कम कर राष्ट्र कर्तव्य का पालन किया और राष्ट्रपति चुनाव में हमारी एमएलए का मत मूल्य भी कम रहा है  यह गलत बात है इस कारण हम इन्हें हतोत्साहित नहीं करना चाहते और जनसंख्या का आधार वर्ष  अभी भी 1971 ही रखा है अब हम बात करने वाले हैं

 सभी राज्यों के विधायक का मत मूल्य अलग-अलग आएगा संख्या


सभी राज्यों के विधायक का मत मूल्य अलग-अलग आएगा कैसे

और कारण समझते हैं सभी राज्यों की जनसंख्या अलग-अलग है और सभी राज्यों के विधायक की संख्या भी अलग-अलग हैं और हमें इस चुनाव में एक संसद का मत मूल्य निकालने की जरूरत पड़ती है एक संसद तो टोटल हम समझ लेते हमारे यहां सांसद कितने हैं जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों शामिल हैं


 को एक संसद का मत मूल्य निकालने के लिए सभी राज्यों के विधायक मत मूल्य से संसद के निर्वाचित संख्या लोकसभा और राज्यसभा से भाग दे देते हैं जो करीब करीब 708 आता है


राष्ट्रपति की निर्वाचन विधि का उल्लेख आर्टिकल 55 में मिलता है राष्ट्रपति चुनाव हो रही है और विधानसभा भंग हो गई है

आर्टिकल 71 कहता है राष्ट्रपति के चुनाव के निर्वाचक के पद खाली होने से नहीं रुकेगा और यदि विधानसभा या लोकसभा भंग हो जाती है फिर भी चुनाव नहीं रुकेगा

 दूसरा आर्टिकल 71 इस बात का उल्लेख भी करता है राष्ट्रपति चुनाव में किसी प्रकार के विवाद होने पर इसकी सुनवाई केवल और केवल सुप्रीम कोर्ट करेगा सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की टीम गठित करेगा


राष्ट्रपति चुनाव में यदि किसी भी प्रकार की समस्या है तो राष्ट्रपति चुनाव होने के बाद 30 दिन के भीतर आपको दर्ज करवानी है सुप्रीम कोर्ट में शिकायत करने का अधिकार विरोधी उम्मीदवार व निर्वाचक को है जो राष्ट्रपति चुनाव में मत देते हैं कम से कम 20 मतदाता शिकायत कर सकते हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अंतिम निर्णय होगा सुप्रीम कोर्ट जांच करने में जितना भी समय ली इस दौरान राष्ट्रपति द्वारा किए गए कार्य वैलिड होंगे चुनाव आयोग राष्ट्रपति का चुनाव करवाता है और शिकायत पर निर्णय सुप्रीम कोर्ट देता है चुनाव आयोग नहीं

आर्टिकल 324 इस बात का बखूबी उल्लेख करता है लेकिन राष्ट्रपति चुनाव आयोग तो कराता है पर पीठासीन अधिकारी लोकसभा व राज्यसभा का महासचिव बारी-बारी से अधिकारी के रूप में काम करते हैं




एक अच्छा क्वेश्चन यू हो सकता है कि कोटा क्या होता है तो कोटा निकालने के लिए हम कुल वैध मतों की संख्या प्लस वन से
  कुल  स्थानों की संख्या प्लस वन को भाग दे देते हैं तब हमें कोटा प्राप्त हो जाता है

ओके दोस्तों आज राष्ट्रपति की इस बात का उल्लेख को यहीं समाप्त करते हैं आगे वाले पोस्ट में हम राष्ट्रपति के शपथ राष्ट्रपति के कार्यकाल और साथ ही राष्ट्रपति के विशेष अधिकार के बारे में चर्चा करेंगे तब तक अपना ख्याल  रखें आपको बहुत-बहुत धन्यवाद एडमिन ऑफ ,............ pk25ng






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