संसद
गठन
संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार संघ के लिए एक संसद होगी जो राष्ट्रपति और दो सदनो से मिलकर बनेगी
उच्च सदन राज्यसभा तथा निम्न सदन लोकसभा कहलाती है
इस प्रकार संसद राष्ट्रपति राज्यसभा और लोकसभा से मिलकर गठित है राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है इसे संसद का अभिन्न भाग इसलिए माना जाता है क्योंकि इसकी अनुमति के बिना राज्य सभा तथा लोकसभा द्वारा पारित कोई भी विधेयक अधिनियम का रूप नहीं लेगा कुछ ऐसे विधायक भी हैं जिन्हें राष्ट्रपति के अनुमति के बिना लोकसभा में पेश नहीं किया जा सकता
राष्ट्रपति को राज्य सभा तथा लोकसभा में पेश नहीं किया जा सकता राष्ट्रपति को राज्य सभा तथा लोकसभा सत्र बुलाने सत्रावसान करने और लोकसभा को विघटित करने का अधिकार है
राष्ट्रपति की योग्यता
- व भारत का नागरिक HO
- निर्वाचन आयोग द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में दिए गए प्रारूप के अनुसार शपथ लेता है या प्रतिज्ञान करता है और उस पर हस्ताक्षर करता है
- उसे राज्यसभा की दशा में 30 वर्ष से कम तथा लोकसभा की दशा में 25 वर्ष से कम आयु का नहीं होना चाहिए
राज्यसभा की सदस्यता
- राज्यसभा में किसी राज्य या संघ राज्य क्षेत्र की प्रतिनिधित्व के रूप में वह व्यक्ति चुना जाएगा जो उस राज्य राज्य क्षेत्र के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक हो लेकिन इस सावधान की भावना का राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा उल्लंघन किया जाता रहा है क्योंकि किसी राज्य संघ राज्य क्षेत्र से राज्यसभा का प्रतिनिधि चुने जाने के लिए राजनीतिक दल के सदस्य राज्य संघ राज्य क्षेत्र के किस संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचक बन जाते हैं जबकि वे उससे पहले उस राज्य संघ राज्य क्षेत्र के किसी भी निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचक नहीं होते ऐसे नेताओं भ्रष्टाचार का दोषी माना जाना चाहिए तथा इन्हें सदैव के लिए संसद की सदस्यता के आयोग कर देना चाहिए वर्तमान चुनाव आयुक्त T.N SHENSAN ने इस संबंध में कदम उठाए थे राज्य सभा संसद का उच्च सदन है इसमें सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 हो सकती है
लोकसभा की सदस्यता
लोकसभा की सदस्यता के लिए यह अर्हता निश्चित की गई है कि वह अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित स्थान की दशा में चुनाव में खड़े होने वाले व्यक्ति के लिए उसी जाति या जनजाति का होना चाहिए
तथा सिक्किम राज्य के स्थान स्थानों की स्थिति में चुनाव में खड़े होने वाले व्यक्तियों को सिक्किम का निर्वाचक होना चाहिए
अयोग्यता
अनुच्छेद 102 के अनुसार कोई व्यक्ति संसद की किसी सदन का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य होने के लिए निम्नलिखित आधार पर आयोग होगा
यदि मैं भारत सरकार के किसी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है लेकिन यदि संसद में विधि द्वारा किसी पद का को धारण करने की छूट दी है तो उस पद को धारण करने वाला व्यक्ति संसद की सदस्यता के लिए आयोग नहीं होगा
यदि वह सक्षम न्यायालय के द्वारा विकृत चित्त घोषित कर दिया गया है
यदि वह दिवालिया है यदि मैं भारत का नागरिक नहीं है या उसने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता अर्जित कर ली है या
यदि किसी विदेशी राज्य की प्रति निष्ठा धारण करता है यदि वह दल बदल कानून संविधान की 10वीं अनुसूची के अधीन संसद की सदस्यता के लिए आयोग ठहराया गया है यदि वह संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन आयोग घोषित कर दिया गया है
संसद ने 1951 में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 बनाकर निम्नलिखित व्यक्तियों को संसद की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित किया है
जो भ्रष्ट आचरण का दोषी ठहराया गया हो जो कुछ अपराधियों के लिए सक्षम न्यायालय द्वारा दोषी निर्मित किया गया हो जो
व्यक्ति भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के अधीन पद धारण करते हुए भ्रष्टाचार के कारण या राज्य के प्रति व्यक्ति के कारण पदच्युत कर दिया गया हो
जो सरकार के साथ अपने व्यापार या कारोबार के अनुक्रम में सरकार को माल प्रदान करने के लिए या सरकार द्वारा किए जाने वाले किसी कार्य के लिए संविदा लिया हो
जो व्यक्ति किसी ऐसी कंपनियां निगम सहकारी सोसायटी से भिन्न जिसकी पूंजी में सरकार का 25 परसेंट या अधिक हिस्सा है प्रबंध अधिकृत आया सचिव है
जो व्यक्ति अपने चुनाव व्यय का लेखा दाखिल करने में असफल रहा है दिसंबर 1988 में जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 में संशोधन कर आतंकवाद गतिविधि तस्करी जमाखोरी मुनाफाखोरी खाद्य पदार्थों एवं दबाव में मिलावट करने वाले FERA का उल्लंघन तथा महिलाओं के विरुद्ध अपराध करने वाले व्यक्तियों को संसद या राज्य के विधानमंडल का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है
बहुत-बहुत धन्यवाद.....................................................................................................................pk25ng
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