नगर निगम
भारत में नगरीय शासन प्रणाली को 74 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा अपनाया गया संघ स्तर पर नगरीय शासन प्रणाली का विषय निम्न तीन मनचलों से संबंधित है
1. नगर विकास मंत्रालय(Ministry of urban development)
2. रक्षा मंत्रालय(Ministry of defence)
3. गृह मंत्रालय(Home ministry )
नगर निगमों का संवैधानिकरण
A.राजीव गांधी सरकार
नगर निगम को संवैधानिक मान्यता दिलाने हेतु वर्ष 1989 में सरकार द्वारा विधेयक संसद में पेश किया गया जो लोकसभा में तो पारित हो गया किंतु राज्यसभा में पारित नहीं हो सका क्योंकि इसमें केंद्र को मजबूत
बनाने का प्रावधान था
B. बीपी सिंह सरदार

वर्ष 1990 में नगर निगम से संबंधित एक विधेयक लोकसभा में पेश किया गया परंतु सरकार गिर जाने के साथ ही विधेयक भी समाप्त हो गया
C. नरसिम्हा राव सरकार
74 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के द्वारा पंचायतों को संवैधानिक मान्यता प्राप्त हो गई 74 वें संविधान संसोधन अधिनियम 1992 इस अधिनियम के अंतर्गत भारतीय संविधान में एक नया भाग 9A नगर पालिका अनु 243 के अंतर्गत सम्मिलित किया गया
इस अधिनियम के द्वारा संविधान में एक नई 12वीं अनुसूची जोड़ी गई जिसके अंतर्गत पंचायतों को 18 कार्यकारी विषय वस्तु शामिल है
नगर पालिका की प्रमुख विशेषताएं
74 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के अंतर्गत प्रत्येक राज्य तीन प्रकार के नगर पालिकाओं की संरचना का उपबंध करता है
1.नगर पंचायत( वह क्षेत्र जो ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में परिवर्तित हो रहे हैं)
2. नगर पालिका परिषद( छोटी शहरी क्षेत्र)
3. नगर निगम( बड़े शहरी क्षेत्र)
संरचना
नगरपालिका के सभी सदस्य सीधे जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं इस उद्देश्य के लिए प्रत्येक नगर पालिका को निर्वाचन क्षेत्रों वार्ड में विभाजित किया जाएगा विधान मंडल द्वारा नगर पालिका के अध्यक्ष के निर्वाचन कार्य K भी उपबंध किया जाएगा
वार्ड समितियां
300000 या अधिक जनसंख्या वाले नगर पालिका के क्षेत्र के अंतर्गत एक या अधिक वार्ड को मिलाकर वार्ड समिति बनेगी राज्य विधान मंडल द्वारा वार्ड समिति की संरचना क्षेत्र वार्ड समिति में पदों पर नियुक्ति हेतु राज्य विधानमंडल द्वारा नियम बनाए जा सकते हैं
आरक्षण
yeh अधिनियम अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति को नगर पालिका क्षेत्र में उनकी जनसंख्या के अनुपात में पदों के आरक्षण का प्रावधान करता है तथा इसके साथ ही महिलाओं के लिए कुल सीटों का एक तिहाई 1/3 सीटों पर आरक्षण का प्रावधान करता है
राज्य विधान मंडल द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति महिलाओं के लिए नगर पालिका में अध्यक्ष पद के आरक्षण हेतु उपबंध बना सकता है
नगर पालिका का कार्यकाल संविधान द्वारा पंचायतों के लिए 5 वर्ष का कार्यकाल निश्चित किया गया है किंतु उसे समय से पूर्व में विघटित किया जा सकता है किंतु विघटित होने की दशा में 6 माह के भीतर पुनः नई पंचायत का गठन आवश्यक है परंतु जहां पंचायत के कार्यकाल पूरा होने में 6 माह शेष है इस अवधि में पंचायत का विघटन होने पर नई पंचायत के लिए चुनाव करना आवश्यक नहीं है इस स्थिति में भंग नगरपालिका ही कार्य करते रहती है
चुनाव
नगर पालिका के चुनाव की तैयारी देखरेख निर्देशन और मतदाता सूची तैयार करने संबंधित सभी कार्य राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किए जाते हैं राज्य निर्वाचन आयुक्त के राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया गया किया जाता है तथा उसकी सेवा शर्त व पद अवधि भी राज्यपाल द्वारा निर्धारित की जाती है
राज्य निर्वाचन आयोग के चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान है 74 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 पंचायत के चुनावी मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप पर रोक लगाता है
अर्थात निर्वाचन क्षेत्र और सीटों का आवंटन संबंधी मुद्दों को न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया जा सकता
शक्तियां व कार्य
राज्य विधान मंडल द्वारा नगर पालिका को आवश्यकता अनुसार ऐसी शक्तियां व अधिकार दिए जा सकते हैं जिससे वे स्वायत्तता सरकारी संस्था के रूप में कार्य कर सकें आर्थिक विकास व सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों को तैयार करना आर्थिक विकास व सामाजिक न्याय के कार्यक्रम को कार्यान्वित करना जो उन्हें दिए जाते हैं
इसके अंतर्गत 12वीं अनुसूची के 18 विषय सम्मिलित हैं राज्य विधान मंडल द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में नगर पालिका द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में नगर पालिका द्वारा वित्त आयोग का गठन किया जाएगा नगर पालिका की वित्तीय स्थिति का पुनरावलोकन करेगा राज्यपाल निम्न सिफारिशें करेगा राज्यपाल राज्य की संचित निधि से नगर पालिका को दिए जाने वाली सहायता अनुदान नगर पालिका की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए आवश्यक उपाय नगर पालिका या पंचायतों को अधिक वित्तीय स्वायत्तता लेखा परीक्षण विधानमंडल द्वारा नगर पालिका के खातों की देखरेख व परीक्षण के लिए प्रावधान बनाए जा सकते हैं
केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध पंचायती राज
राष्ट्रपति द्वारा भारत के किसी भी राज्य क्षेत्र में आपवाद अथवा संशोधनों के साथ लागू करने के लिए दिशा निर्देश दे सकता है यह अधिनियम अनुसूचित जाति व जनजाति क्षेत्रों पर लागू नहीं होता
मेरे विचार से नगर निगम से संबंधित यह आर्टिकल बहुत ही फायदेमंद होगा
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद....................................................................................................pk25ng
भारत में नगरीय शासन प्रणाली को 74 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा अपनाया गया संघ स्तर पर नगरीय शासन प्रणाली का विषय निम्न तीन मनचलों से संबंधित है
1. नगर विकास मंत्रालय(Ministry of urban development)
2. रक्षा मंत्रालय(Ministry of defence)
3. गृह मंत्रालय(Home ministry )
नगर निगमों का संवैधानिकरण
A.राजीव गांधी सरकार
नगर निगम को संवैधानिक मान्यता दिलाने हेतु वर्ष 1989 में सरकार द्वारा विधेयक संसद में पेश किया गया जो लोकसभा में तो पारित हो गया किंतु राज्यसभा में पारित नहीं हो सका क्योंकि इसमें केंद्र को मजबूत
बनाने का प्रावधान था
B. बीपी सिंह सरदार

वर्ष 1990 में नगर निगम से संबंधित एक विधेयक लोकसभा में पेश किया गया परंतु सरकार गिर जाने के साथ ही विधेयक भी समाप्त हो गया
C. नरसिम्हा राव सरकार

इस अधिनियम के द्वारा संविधान में एक नई 12वीं अनुसूची जोड़ी गई जिसके अंतर्गत पंचायतों को 18 कार्यकारी विषय वस्तु शामिल है
नगर पालिका की प्रमुख विशेषताएं
74 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 के अंतर्गत प्रत्येक राज्य तीन प्रकार के नगर पालिकाओं की संरचना का उपबंध करता है
1.नगर पंचायत( वह क्षेत्र जो ग्रामीण क्षेत्र से शहरी क्षेत्र में परिवर्तित हो रहे हैं)
2. नगर पालिका परिषद( छोटी शहरी क्षेत्र)
3. नगर निगम( बड़े शहरी क्षेत्र)
संरचना
नगरपालिका के सभी सदस्य सीधे जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं इस उद्देश्य के लिए प्रत्येक नगर पालिका को निर्वाचन क्षेत्रों वार्ड में विभाजित किया जाएगा विधान मंडल द्वारा नगर पालिका के अध्यक्ष के निर्वाचन कार्य K भी उपबंध किया जाएगा
वार्ड समितियां
300000 या अधिक जनसंख्या वाले नगर पालिका के क्षेत्र के अंतर्गत एक या अधिक वार्ड को मिलाकर वार्ड समिति बनेगी राज्य विधान मंडल द्वारा वार्ड समिति की संरचना क्षेत्र वार्ड समिति में पदों पर नियुक्ति हेतु राज्य विधानमंडल द्वारा नियम बनाए जा सकते हैं
आरक्षण
yeh अधिनियम अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति को नगर पालिका क्षेत्र में उनकी जनसंख्या के अनुपात में पदों के आरक्षण का प्रावधान करता है तथा इसके साथ ही महिलाओं के लिए कुल सीटों का एक तिहाई 1/3 सीटों पर आरक्षण का प्रावधान करता है
राज्य विधान मंडल द्वारा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति महिलाओं के लिए नगर पालिका में अध्यक्ष पद के आरक्षण हेतु उपबंध बना सकता है
नगर पालिका का कार्यकाल संविधान द्वारा पंचायतों के लिए 5 वर्ष का कार्यकाल निश्चित किया गया है किंतु उसे समय से पूर्व में विघटित किया जा सकता है किंतु विघटित होने की दशा में 6 माह के भीतर पुनः नई पंचायत का गठन आवश्यक है परंतु जहां पंचायत के कार्यकाल पूरा होने में 6 माह शेष है इस अवधि में पंचायत का विघटन होने पर नई पंचायत के लिए चुनाव करना आवश्यक नहीं है इस स्थिति में भंग नगरपालिका ही कार्य करते रहती है
चुनाव
नगर पालिका के चुनाव की तैयारी देखरेख निर्देशन और मतदाता सूची तैयार करने संबंधित सभी कार्य राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा किए जाते हैं राज्य निर्वाचन आयुक्त के राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया गया किया जाता है तथा उसकी सेवा शर्त व पद अवधि भी राज्यपाल द्वारा निर्धारित की जाती है
राज्य निर्वाचन आयोग के चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान है 74 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1992 पंचायत के चुनावी मामलों में न्यायालय के हस्तक्षेप पर रोक लगाता है
अर्थात निर्वाचन क्षेत्र और सीटों का आवंटन संबंधी मुद्दों को न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया जा सकता
शक्तियां व कार्य
राज्य विधान मंडल द्वारा नगर पालिका को आवश्यकता अनुसार ऐसी शक्तियां व अधिकार दिए जा सकते हैं जिससे वे स्वायत्तता सरकारी संस्था के रूप में कार्य कर सकें आर्थिक विकास व सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों को तैयार करना आर्थिक विकास व सामाजिक न्याय के कार्यक्रम को कार्यान्वित करना जो उन्हें दिए जाते हैं
इसके अंतर्गत 12वीं अनुसूची के 18 विषय सम्मिलित हैं राज्य विधान मंडल द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में नगर पालिका द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में नगर पालिका द्वारा वित्त आयोग का गठन किया जाएगा नगर पालिका की वित्तीय स्थिति का पुनरावलोकन करेगा राज्यपाल निम्न सिफारिशें करेगा राज्यपाल राज्य की संचित निधि से नगर पालिका को दिए जाने वाली सहायता अनुदान नगर पालिका की वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए आवश्यक उपाय नगर पालिका या पंचायतों को अधिक वित्तीय स्वायत्तता लेखा परीक्षण विधानमंडल द्वारा नगर पालिका के खातों की देखरेख व परीक्षण के लिए प्रावधान बनाए जा सकते हैं
केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध पंचायती राज
राष्ट्रपति द्वारा भारत के किसी भी राज्य क्षेत्र में आपवाद अथवा संशोधनों के साथ लागू करने के लिए दिशा निर्देश दे सकता है यह अधिनियम अनुसूचित जाति व जनजाति क्षेत्रों पर लागू नहीं होता
मेरे विचार से नगर निगम से संबंधित यह आर्टिकल बहुत ही फायदेमंद होगा
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद....................................................................................................pk25ng
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