Upsc 2019 For Paper 3. Technology
डीएनए प्रोफ़ाइलिंग बिल क्या है
हूबहू मिलने वाले जुड़वा लोगों को छोड़ दें तो हर आदमी का डीएनए सीक्वेंस किसी और से एकदम अलग होता है इसमें आधा हिस्सा माता का होता है और आधा पिता का |
डीएनए प्रोफाइलिंग की तकनीक इस अनूठेपन और आनुवंशिकता को आगे ले जाने के गुण का दो तरह से इस्तेमाल करना चाहती है |
सरकार के पास डीएनए प्रोफ़ाइल होने से परेशानी क्यों
पहला ये कि एक आदमी से दो जैविक नमूने इकट्ठे किए गए हैं या दो जैविक नमूने उनसे लिए गए हैं जो जन्म से एक दूसरे से जुड़े होते हैं, जैसे माता पिता और बच्चा |
क्यों चाहिए डीएनए प्रोफ़ाइलिंग बिल
उंगलियों के सामान्य निशानों की ही तरह एक डीएनए प्रोफ़ाइल का भी अपना कोई महत्व नहीं होता है, बल्कि इसका महत्व होता है दूसरे आदमी के डीएनए प्रोफ़ाइल से तुलना करने में |
डीएनए प्रोफ़ाइल तकनीक के ज़रिए इकट्ठे किए गए नमूनों के ग़लत होने की संभावना एक हज़ार ख़रब में एक होती है |
क्यों जाँचना चाहती है सरकार आपका डीएनए
साठ से ज़्यादा देशों ने आपराधिक मामलों की जांच में इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए क़ानून बनाए हैं |
भारत में यह प्रावधान पहले से ही है कि ज़रूरत पड़ने पर न्यायिक मजिस्ट्रेट को जानकारी देकर कई अपराधों के मामलों में संदिग्धों की डीएनए प्रोफ़ाइल बनाने के लिए जैविक नमूने लिए जा सकते हैं| कई लैबोरेट्री में डीएनए प्रोफ़ाइल से जुड़ी जांच करने की व्यवस्था है |
इससे मिले सबूत अदालतों में माने भी जाते हैं. इसके बावजूद, भारत मे अब तक डीएनए प्रोफ़ाइलिंग क़ानून नहीं है | लेकिन अब इस ऐसे एक बिल पर सरकार विचार कर रही है जिसे संसद में पेश किया जाएगा |
विधेयक की क्या ज़रूरत है
ये पूछा जा सकता है कि अगर डीएनए प्रोफ़ाइलिंग के लिए जैविक नमूने इकट्ठा करने का काम क़ानूनी तरीके से हो ही रहा है तो इसके लिए अलग विधेयक की क्या ज़रूरत है |
ये बिल क़ानून बनेगा तो इससे चार अहम नतीजे होंगे |
ये हैं, एक बोर्ड की मदद से डीएनए प्रोफ़ाइलिंग के काम में लगी प्रयोगशालाओं और उनसे जुड़े लोगों का स्तर तय करना; एक राष्ट्रीय डीएनए डेटा बैंक की स्थापना, इकट्ठा किए गए नमूनों की सुरक्षा |
इसमें नमूनों के अनधिकृत या ग़लत तरीके से इस्तेमाल करने पर सज़ा की व्यवस्था होगी और दोषी क़रार दिए जाने के बाद लोगों को ये मौका भी दिया जाएगा कि वो डीएनए जांच के ज़रिए ख़ुद को बेकसूर साबित कर सकें |
किसके नमूने लिए जाएंगे
जिन लोगों की डीएनए प्रोफ़ाइल रखी जाएगी उनमें शामिल हैं वे लोग जिन्हें या तो यौन हमले या हत्या जैसे मामलों में दोषी क़रार दिया गया है या जिन पर मुक़दमा चल रहा है; ऐसे शव जिनकी पहचान नहीं हुई है या वो लोग जो आपदा के शिकार हुए | गुमशुदा लोगों या बच्चों के रिश्तेदार और उस जगह से लिए गए नमूने जहां अपराध हुआ हो |
कई दीवानी मामलों में लोगों के डीएनए प्रोफ़ाइल जमा नहीं किए जाएंगे |
डेटा बैंक क्यों ज़रूरी है
देश की न्याय व्यवस्था में सुधार के लिए डीएनए डेटा बैंक बनाना निहायत ही ज़रूरी है |
कम से कम तीन फ़ायदे तो साफ दिखते हैं: आदतन अपराधियों को पकड़ना, आपदा के शिकार या लापता लोगों के रिश्तेदारों की डीएनए प्रोफ़ाइल से मिलान कर उनकी पहचान तय करना |
अपराध की जगह से लिए नमूनों की प्रोफ़ाइल का मिलान किसी ऐसे संदिग्ध से करना जो अपराध के सालों बाद पकड़ा गया हो |
जिन देशों में डीएनए प्रोफ़ाइल क़ानून लागू है, वहां ये सभी फ़ायदे दिख रहे हैं |
निजता का क्या होगा
किसी आदमी की निजी जानकारी, ख़ास तौर पर आनुवांशिक जानकारी को इकट्ठा करना या जमा करना ऐसी बातें हैं जिन्हें लेकर निजता में दखल के सवाल उठ सकते हैं |
लेकिन डीएनए प्रोफ़ाइलिंग बिल से ऐसा नहीं होगा ये मानने की कई वज़हें हैं |
पहली बात तो यह है कि फ़िलहाल तो डीएनए प्रोफ़ाइल सिर्फ़ 17 जोड़ी अंकों का एक समूह है, जो जानकारी जमा होगी वो किसी व्यक्ति के बारे में कुछ नहीं बताती |
दूसरे, डेटा बैंक में देश के हर आदमी का डीएनए प्रोफ़ाइल नहीं होगा, बल्कि कुछ ख़ास श्रेणियों के ही लोगों का डीएनए प्रोफ़ाइल होगा।
तीसरी बात ये कि हर जीवित आदमी का प्रोफ़ाइल उसकी इजाज़त के बाद ही रखा जाएगा |
अपराधियों या संदिग्धों की प्रोफ़ाइल समाज के हित में उनकी इजाज़त लिए बग़ैर रखी जा सकती है |
इसके अलावा यह प्रावधान भी होगा कि डेटा का इस्तेमाल पहले से तय मक़सद के लिए ही हो और वो भी पूरी मंज़ूरी के साथ |
हालांकि डीएनए प्रोफ़ाइल डेटा को लेकर निजता में दखल की चिंताएं ना के बराबर हैं, ये बात उन जैविक या डीएनए नमूनों पर लागू नहीं होतीं जो इकट्ठा किए गए हैं |
यहां भी डीएनए जांच प्रयोगशाला में पर्याप्त सुरक्षा उपाय अपनाए जाएंगे लेकिन ख़ून और दूसरे जैविक नमूने जिस पैमाने पर पूरे देश में क्लिनिकल लैब में इकट्ठा हो रहे हैं उन पर ये नियम लागू नहीं होंगे |
निजता के लिए और क्या हो?
ज़रूरी है कि राष्ट्रीय निजता सुरक्षा विधेयक पेश किया जाए |
अमरीका में पारित जेनेटिक इनफ़ॉर्मेशन नॉन डिसक्रिमिनेशन एक्ट (2008) के कई प्रावधान इस विधेयक में शामिल किए जाएं. डीएनए विधेयक के साथ ही यह विधेयक भी ज़रूरी है |
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