न्यायिक प्रक्रिया भाग-2 की
#. सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया अप्रैल 2015 यह मामला में इसे चुनौती दी गई
#. J. S केहर संविधान पीठ के अध्यक्ष थे 16 अक्टूबर 2015 को 99 संविधान संशोधन आधारभूत संरचना के उल्लंघन के कारण रद्द कर दिया गया और इसे फोर्थ जज केस कहा जा रहा है हिंदुस्तान इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने पूरा संविधान संशोधन रद्द कर दी थी 5 लोगों के संवैधानिक पीठ में क्या वजह थी 99 संविधान संशोधन के रद्द होने का चलिए देखते हैं
99 संविधान संशोधन रद्द होने का कारण इसमें बोला गया कि NJAS जिसमें 6 सदस्य होते हैं
यदि NJAS द्वारा निर्धारित किसी व्यक्ति को न्यायाधीश पद के लिए सिफारिश बतौर राष्ट्रपति के पास सिफारिश के लिए भेजा जाएगा राष्ट्रपति मंत्री परिषद के सलाह पर एक बार इसे पुनर्विचार के लिए भेज सकता है अब यह बिल सर्व सहमति से दोबारा राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा तीन बहुमत के साथ तब राष्ट्रपति को यह स्वीकार करना ही होगा
लेकिन इसमें एक सदस्य विधि मंत्री भी है यह बात हमें नहीं भूलना चाहिए यदि राष्ट्रपति मंत्री परिषद के साथ विचार-विमर्श करता है तो यहां एनजेएसी के 6 सदस्यों में से एक मेंबर जो की विधि मंत्री हैं
वह बोलेगा मैं भी तो एक मंत्री परिषद का सदस्य हूं आप नाम दोबारा भेज दीजिए NJAS यहाँ एक सदस्य में भी हूं मैं अपनी सहमति दूंगा ही नहीं तो यहां आपको नहीं लगता कि आधारभूत संरचना का उल्लंघन है और यही एक मात्र कारण था जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने 99 वा संविधान संशोधन रद्द कर दिया सरकार इस बिल के बारे में अभी तक दोबारा सोचा ही नहीं इसी कारण इसी वजह से इस बाद में कॉलेजियम व्यवस्था को पुनः स्थापित कर दिया गया
मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के संदर्भ में
इस के संदर्भ में संविधान अभी मौन हैं सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज के सेवानिवृत्ति के बाद दूसरे नंबर के न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश बनाया जा सकता है और यह एक परंपरा है हालांकि इसका दो बार उल्लंघन किया जा चुका है
1973 अजीत नाथ रे और 1977 मोहम्मद हमीदुल्लाह बे
पहले इसे समझते हैं 24 अप्रैल 1973 अजीत नाथ रे केसवानंद भारती वर्सेस केरल राज्य के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया जब 13 न्यायाधीशों के संवैधानिक पीठ थी 7 , 6 से निर्णय लिया गया था उस समय सीकरी चीफ जस्टिस थे
इस पीठ के अध्यक्ष भी थे देश की परंपरा यह कहती है कि नंबर दो को चीफ जस्टिस बनाया जाना चाहिए लेकिन
नंबर 3 पर होबर
चौथे नंबर पर हेगड़े
पांचवे नंबर पर अजीत नाथ रे थे
यह तीनों साथ बहुमत वाले मैं से थे लेकिन चीफ जस्टिस उसे बनाया गया जो बहुमत में से नहीं थी अजीत नाथ रे
1973 में केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय की 13 न्यायाधीशों की पीठ ने अपने संवैधानिक रुख में संशोधन करते हुए कहा कि संविधान संशोधन के अधिकार पर एकमात्र प्रतिबंध यह है कि इसके माध्यम से संविधान के मूल ढांचे को क्षति नहीं पहुंचनी चाहिए। अपने तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद यह सिद्धांत अभी भी कायम है और जल्दबाजी में किए जाने वाले संशोधनों पर अंकुश के रूप में कार्य कर रहा है। केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के मामले में 68 दिन तक सुनवाई हुई, यह तर्क वितर्क 31 अक्टूबर 1972 को शुरू होकर 23 मार्च 1973 को खत्म हुआ। 24 अप्रैल 1973 को, चीफ जस्टिस सीकरी और उच्चतम न्यायालय के 12 अन्य न्यायाधीशों ने न्यायिक इतिहास का यह सबसे महत्वपूर्ण निर्णय दिया।
संविधान सरंचना के कुछ प्रमुख मूलभूत तत्व जिनमे अनुछेद 368 के तहत संसोधन नही किया जा सकता है निम्नलिखित है 1 संविधान की सर्वोच्चता 2 विधायिका,कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के बीच शक्ति का बंटवारा 3 गणराज्यात्मक एवं लोकतांत्रिक स्वरूप वाली सरकार 4 संविधान का धर्मनिरपेक्ष चरित्र 5 राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता 6 संसदीय प्रणाली 7 व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं गरिमा 8 मौलिक अधिकारों और नीति निदेशक तत्वों के बीच सौहार्द और संतुलन 9 न्याय तक प्रभावकारी पहुँच 10 एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का जनादेश
सभी प्रयास सिर्फ इस एक मुख्य सवाल के जवाब के लिए थे कि क्या संसद की शक्ति संविधान का असीमित संशोधन करने के लिए थी? दूसरे शब्दों में, क्या संसद संविधान के किसी भी हिस्से को रद्द, संशोधित और बदल सकती है चाहे वो सभी मौलिक अधिकार छीन लेने का ही क्यों ना हो? अनुच्छेद 368 में, उसको साधारण रूप से पढ़ने पर, संविधान के किसी भी भाग में संशोधन के लिए संसद की शक्ति पर कोई सीमा नहीं थी इस अनुच्छेद में ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे संसद को एक नागरिक के भाषण की स्वतंत्रता या उसकी धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार छीन लेने से रोका जा सके। 703 पृष्ठ का यह फैसला अत्यंत विभाजित मतो वाला था और अंत में 7:6 के मामूली बहुमत से यह माना गया कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन उस हद तक ही कर सकती है जहाँ तक कि वो संसोधन संविधान के बुनियादी ढांचे और आवश्यक विशेषताओं में परिवर्तन या संशोधन नहीं करे
1977 के दूसरे मामला मोहम्मद हमीदुल्लाह
एडीएम जबलपुर वर्सेस भारत संघ
1975 में नेशनल इमरजेंसी के दौरान बहुत सारे लोगों को सरकार के खिलाफ बोलने पर अवैध रूप से जेल में डाल दिया गया बहुत सारे लोग हाई कोर्ट में इसके खिलाफ अपील की अवैध रूप से गिरफ्तार कर लेने पर छुड़वाने के लिए जो याचिका जारी की जाती है उसे हैबियस कार्पस कहते हैं
हाई कोर्ट ने इस गिरफ्तारी को अवैध पाया उस समय 12 हाई कोर्ट थे सरकार ने 12 हाई कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया एडीएम जबलपुर बाद के नाम से जानते हैं इस बाद में सुनवाई के लिए 5 लोगों के संवैधानिक पीठ बैठी इनकी अध्यक्ष अजीत नाथ रे थे 4:1 से निर्णय लिया गया सुप्रीम कोर्ट ने कहा हाई कोर्ट के निर्णय खारिज किया जाता है और कहा हैबियस कार्पस Emergency में नहीं मिलेगी है
एक व्यक्ति इस बात के खिलाफ में निर्णय दिया वह व्यक्ति 02 नंबर पर थे
3,4 में से एक थे हमीदुल्लाह 1977 में चीफ जस्टिस भी बने
2018 के मामले की
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को छोड़कर चार अन्य न्यायाधीशों थे 02.जे बलायम
03.रंजन गोगोई
04.कुरियन जोसेफ
05.न मदन वी लोको
यह चारों जज बाहर आए और प्रेस कॉन्फ्रेंस किए और सिटी के कार्यशैली पर प्रश्न खड़े की हिंदुस्तान इतिहास में पहली बार था कि जज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे
जे बलायम अक्टूबर 2018 से पहले सेवानिवृत्त होने वाले थे इस वजह से इस कारण अब जीरो टू पर रंजन गोगोई आ गए और यही चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के बने
वी चंद्रचूड़ सबसे ज्यादा समय तक 7 वर्ष तक चीफ जस्टिस रहे थे कमल नारायण सिंह सबसे कम समय 17 दिन तक चीफ जस्टिस बतौर काम की
KS हेगड़े सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश रह चुके हैं पहले यह राज्यसभा में सांसद थे कर्नाटक से थे 1973 में न्यायाधीश से इस्तीफा भी दे दी और बाद में कर्नाटक से चुनाव लड़ कर लोकसभा में दोबारा आए और लोकसभा के अध्यक्ष भी बनाए गए
वी सदाशिवम एकमात्र मुख्य न्यायाधीश है जो सेवानिवृत्ति के बाद कर्नाटक राज्य के राज्यपाल बने
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की शपथ की
आर्टिकल 124 के तहत राष्ट्रपति और उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति द्वारा शपथ दिलाई जाती है व्यवहार में मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा एवं अन्य न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश द्वारा शपथ दिलाया जाता है सभी न्यायाधीश संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं
इसका उल्लेख अनुसूचित 3 में है
वेतन एवं पेंशन की
संचित निधि से दिए जाते हैं सभी न्यायाधीश को भारत की संचित निधि से वेतन प्राप्त होता है जो कि भारित होता है भारित वह है जिस पर संसद में बहस तो हो सकती है लेकिन मतदान नहीं होता इसलिए नहीं होता क्योंकि व्यवस्थापिका कार्यपालिका न्यायपालिका को स्वतंत्र रखना चाहते हैं राष्ट्रपति इन की नीति के संदर्भ में वारंट जारी करते हैं आफ्टर रिटायरमेंट पद पर रहते हुए उनके वेतन में किसी प्रकार का हानिकारक परिवर्तन नहीं किया जा सकता सेवानिवृत्ति के बाद भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ नहीं ले सकते हैं तथा ना ही किसी न्यायालय में वकील के रूप में सेवाएं दे सकते हैं सर्वोच्च न्यायालय से संबंधित आर्टिकल भाग 5 में उल्लेखित है जिसमें शामिल है 124 126 27 28 29 30 31 143 143 145 146
दीवानी मामला जमीन विवाद तलाक आदि मामले
फौजदारी मामले क्रिमिनल इश्यूज
List of All the Chief Justice of India is;
NAME | DATE OF APPOINTMENT AS C.J.I. | HELD OFFICE TILL |
1. Hon’ble Mr. Justice Harilal Jekisundas Kania | 26/01/1950 | 06/11/1951 |
2. Hon’ble Mr. Justice M. Patanjali Sastri | 7/11/1951 | 3/1/1954 |
3. Hon’ble Mr. Justice Mehr Chand Mahajan | 4/1/1954 | 22/12/1954 |
4. Hon’ble Mr. Justice Bijan Kumar Mukherjea | 23/12/1954 | 31/01/1956 |
5. Hon’ble Mr. Justice Sudhi Ranjan Das | 1/2/1956 | 30/09/1959 |
6. Hon’ble Mr. Justice Bhuvneshwar Prasad Sinha | 1/10/1959 | 31/01/1964 |
7. Hon’ble Mr. Justice P.B. Gajendragadkar | 1/2/1964 | 15/03/1966 |
8. Hon’ble Mr. Justice A.K. Sarkar | 16/03/1966 | 29/06/1966 |
9. Hon’ble Mr. Justice K. Subba Rao | 30/06/1966 | 11/04/1967 |
10.Hon’ble Mr. Justice K.N. Wanchoo | 12/4/1967 | 24/02/1968 |
11. Hon’ble Mr. Justice M. Hidayatullah | 25/02/1968 | 16/12/1970 |
12. Hon’ble Mr. Justice J.C. Shah | 17/12/1970 | 21/01/1971 |
13. Hon’ble Mr. Justice S.M. Sikri | 22/01/1971 | 25/04/1973 |
14. Hon’ble Mr. Justice A.N. Ray | 26/04/1973 | 28/01/1977 |
15. Hon’ble Mr. Justice M. Hameedullah Beg | 29/01/1977 | 21/02/1978 |
16. Hon’ble Mr. Justice Y.V. Chandrachud | 22/02/1978 | 11/7/1985 |
17. Hon’ble Mr. Justice P.N. Bhagwati | 12/7/1985 | 20/12/1986 |
18. Hon’ble Mr. Justice R.S. Pathak | 21/12/1986 | 18/06/1989 |
19. Hon’ble Mr. Justice E.S. Venkataramiah | 19/06/1989 | 17/12/1989 |
20. Hon’ble Mr. Justice Sabyasachi Mukherjee | 18/12/1989 | 25/09/1990 |
21. Hon’ble Mr. Justice Ranganath Misra | 25/09/1990 | 24/11/1991 |
22. Hon’ble Mr. Justice K.N. Singh | 25/11/1991 | 12/12/1991 |
23. Hon’ble Mr. Justice M.H. Kania | 13/12/1991 | 17/11/1992 |
24. Hon’ble Mr. Justice L.M. Sharma | 18/11/1992 | 11/2/1993 |
25. Hon’ble Mr. Justice M.N. Venkatachaliah | 12/2/1993 | 24/10/1994 |
26. Hon’ble Mr. Justice A.M. Ahmadi | 25/10/1994 | 24/03/1997 |
27. Hon’ble Mr. Justice J.S. Verma | 25/03/1997 | 17/01/1998 |
28. Hon’ble Mr. Justice M.M. Punchhi | 18/01/1998 | 9/10/1998 |
29. Hon’ble Dr. Justice A.S. Anand | 10/10/1998 | 31/10/2001 |
30. Hon’ble Mr. Justice S.P. Bharucha | 1/11/2001 | 5/5/2002 |
31. Hon’ble Mr. Justice B.N. Kirpal | 6/5/2002 | 7/11/2002 |
32. Hon’ble Mr. Justice G.B. Pattanaik | 8/11/2002 | 18/12/2002 |
33. Hon’ble Mr. Justice V.N. Khare | 19/12/2002 | 01/05/2004 |
34. Hon’ble Mr. Justice S. Rajendra Babu | 2/5/2004 | 31/05/2004 |
35. Hon’ble Mr. Justice R.C. Lahoti | 1/6/2004 | 31/10/2005 |
36. Hon’ble Mr. Justice Y.K. Sabharwal | 1/11/2005 | 13/01/2007 |
37. Hon'ble Mr. Justice K.G. Balakrishnan | 14/01/2007 | 11/5/2010 |
38. Hon'ble Mr. Justice S.H. Kapadia | 12/5/2010 | 28/09/2012 |
39. Hon'ble Mr. Justice Altamas Kabir | 29/09/2012 | 18/07/2013 |
40. Hon'ble Mr. Justice P. Sathasivam | 19/07/2013 | 26/04/2014 |
41. Hon'ble Mr. Justice R. M. Lodha | 27/04/2014 | 27/09/2014 |
42. Hon'ble Mr. Justice H.L. Dattu | 28/09/2014 | 02/12/2015 |
43. Hon'ble Mr. T. S. Thakur | 03/12/2015 | 03/01/2017 |
44. Hon'ble Mr. Jagdish Singh Khehar | 04/01/2017 | 27 August 2017 |
45. Hon'ble Mr. Justice Dipak Misra | 28 August 2017 | 2 October 2018 |
46. Hon'ble Mr. Ranjan Gogoi | 3 October 2018 | 17 November 2019 |
47. Hon'ble Mr. Sharad Arvind Bobde (incumbent) | 18 November 2019 | 23 April 2021 |
आज हमने न्यायिक प्रक्रिया के दोनों भाग को पूरा किया इसके अगले अध्याय में हम भारत के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के बारे में चर्चा करेंगे तब तक आप सब अपना ख्याल रखिए धन्यवाद
Emogi :
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