Judiciary system in India part 1(भारत में न्यायपालिका )

 चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं भारत में न्यायपालिका  सर्वोच्च न्यायालय और उससे संबंधित आर्टिकल  की न्यायाधीश की योग्यता उनकी शक्तियां उनका निर्वाचन उनकी शपथ एवं उनकी पदा अवधि की




 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना का प्रावधान किया गया था

#.1774 कोलकाता में सर्वोच्च न्यायालय स्थापित हुआ लॉर्ड इम्पे   इसके पहले मुख्य न्यायाधीश थे 


#.1935 के भारत शासन अधिनियम द्वारा दिल्ली में संघीय न्यायालय फेडरल कोर्ट की स्थापना का प्रावधान किया गया 1 अक्टूबर 1937 को यह संघीय न्यायालय दिल्ली में स्थापित हुआ था 

दे

#  मोरिस ग्रेटर इसके मुख्य न्यायाधीश थे यह सर्वोच्च न्यायालय नहीं था क्योंकि इसके निर्णय के विरुद्ध लंदन के  Privy काउंसिल में अपील की जा सकती थी 


#वर्तमान में उच्चतम न्यायालय 28 जनवरी 1950 को अस्तित्व  मैं आया हरी लाल जे कन्हैया इसके पहले मुख्य न्यायाधीश थे 

#.हरिलाल जे कंहैया फेडरेशन कोर्ट के अंतिम मुख्य न्यायाधीश इससे पहले चार और मुख्य न्यायाधीश हो चुके थे और यह पद पर रहते ही इनका निधन हो गया था हरिलाल जे कन्हैया और सब्यसाची मुखर्जी यह दोनों न्यायाधीशों है  जिनका पद पर रहते हुए निधन हुआ है


#.आर्टिकल 124


 में उच्चतम न्यायालय का उल्लेख है इसके अनुसार सुप्रीम कोर्ट में एक मुख्य   न्यायाधीश इसके अलावा सात अन्य न्यायाधीश  होते हैं 

आर्टिकल 124 के अनुसार संसद कानून बनाकर वारेन्ट न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि कर सकती है


#.1986 वर्ष 2009 तक इसमें  1  + 25 = 26 एक मुख्य न्यायाधीश के अलावा 25 अन्य न्यायाधीश को वर्ष 2009 तक रहेंगे इस बात की प्रक्रिया थी पर अभी यह आंकड़ा 30 प्लस 1 का है यानी कि 31 का प्रावधान है 


1956 से 1959 तक 11

1960 से 1976 तक14

 1977 से 1985 तक 18




 योग्यताएं की क्वालिफिकेशन 



आर्टिकल 124 न्यायाधीश की योग्यता 

#.भारत का नागरिक हो 5

#. 5 वर्षों तक किसी हाई कोर्ट में जज होना चाहिए  या 10 वर्षों तक किसी हाईकोर्ट में अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस करने वाला व्यक्ति होना चाहिए 

# या कानून का जानकार हो और राष्ट्रपति द्वारा उन्हें मुख्य न्यायाधीश बनाया जा सकता है  लेकिन इस आधार पर किसी भी व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट में जज नहीं बनाया गया 




 अब तक 240 के आसपास सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किए जा चुके हैं उसमें से 90 से पंचानवे ऐसे हैं जो हाई कोर्ट से होते हुए निकले हैं  अभी-अभी दो महिला न्यायधीश इंदु मल्होत्रा और भानुमति 2018 में यह ऐसी भारतीय महिला है जो हाई कोर्ट में वकील के कोटे  से सुप्रीम कोर्ट में जज रही हैं


 10 वर्षों की प्रैक्टिस के   आधार पर चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं एजेंसी करी 10 वर्षों तक प्रैक्टिस के आधार पर वकील के कोटे से सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनने वाले प्रथम व्यक्ति हैं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के पद पर एक भी महिला नियुक्त नहीं हुई

 मीरा साहिब फातिमा बीबी सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला न्यायाधीश थी 1950 से 1989 तक एक भी महिला सुप्रीम कोर्ट  मैं मुख्य न्यायाधीश नहीं थी  लेकिन  वर्तमान में आर भानुमति इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश हैं 1950 से 2019 तक 8 महिला ही सुप्रीम कोर्ट  मैं न्यायाधीश बन पाई



 इनकी नियुक्ति याने की अपॉइंटमेंट के बारे में



 आर्टिकल 124 के तहत राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश  की नियुक्ति मंत्री परिषद  के साथ विचार विमर्श कर न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं राष्ट्रपति इस संदर्भ में अपॉइंटमेंट यानी नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश से अवश्य परामर्श करता है 1950 से 1993 तक मंत्री परिषद की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति की जा सकती थी 



लेकिन एक दिलचस्प मामला सामने आया और बोला गया है कि जब मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति मंत्री परिषद के सिफारिश पर राष्ट्रपति कर रहा है यह  यह कैसी व्यवस्था है जिसमें मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर राष्ट्रपति करता है लेकिन जब बात आए मंत्री के ऊपर भ्रष्टाचार या अविश्वास प्रस्ताव की तो हम कैसे मान लें कि मुख्य न्यायाधीश निर्विरोध हंड्रेड परसेंट सही निर्णय देगा क्योंकि उसकी नियुक्ति तो मंत्रिपरिषद द्वारा की गई

 यह मामला है एसपी गुप्ता वर्सेस भारत संघ मामला 1978 का है लेकिन इसका निर्णय 1982 में आया और यह पहला मामला था जिसमें जजों की नियुक्ति किस प्रकार की जाए इस व्यवस्था का बड़ा प्रभावित किया हाई कोर्ट में न्यायाधीश का ट्रांसफर कर दिया गया था विदाउट परमीशन इसी वजह से यह मामला सामने आया था


  आर्टिकल 222


 राष्ट्रपति हाई कोर्ट के जज की ट्रांसफर कर सकता है राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ विचार-विमर्श करके निर्णय ले सकता है एसपी गुप्ता  फर्स्ट जज केस के नाम से भी जाना जाता है इसे फर्स्ट जज ट्रांसफर केस के नाम से भी जाना जाता है




 और हमने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन यूनियन ऑफ इंडिया 1993 का मामला मामले में न्यायाधीशों की नियुक्ति की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया और उसके स्थान पर कॉलेजियम व्यवस्था की स्थापना की गई न्यायाधीश की नियुक्ति के  संदर्भ में कॉलेजियम व्यवस्था का उल्लेख संविधान में  नहीं है यह तो 1993 में सामने आया 


कॉलेजियम क्या है? 


इसकी स्थापना हुई कॉलेजियम में 5 लोग शामिल होते हैं यह 5 लोगों का समूह राष्ट्रपति को सिफारिश भेजते हैं कि आप इस व्यक्ति को हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बना दीजिए इससे सेकंड जज केस कहा जाता है 5 लोग जो कॉलेजियम में शामिल होंगे अध्यक्ष चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया होगा 4 सदस्य सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश और सीनियर जज होंगे


मामला है 1998 का जब के एन   नारायण राष्ट्रपति थे राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट से लिए गए प्रेसीडियम रिफरेंस में यह निर्णय लिया गया कि राष्ट्रपति एक बार कॉलेजियम की सिफारिश को पुनर्विचार के लिए भेज सकता है इसे थर्ड जज केस के नाम से जाना जाता है 


 एमएन वेंकटचलिया की अध्यक्षता वाले संविधान समीक्षा आयोग 2002 में कॉलेजियम व्यवस्था को समाप्त कर न्याययिक नियुक्ति आयोग की स्थापना का सुझाव दिया गया था वर्ष 2013 में इस आयोग की स्थापना हेतु 120 वा संविधान संशोधन बिल लोकसभा में लाया गया वर्ष 2014 लोकसभा भंग हो जाने के कारण यह विधेयक भी समाप्त हो गया 12 अगस्त 2014 में इसके स्थान पर 121 वा संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में लाया गया यह फर्स्ट टाइम था कि ठीक 3 दिन बाद 16 अगस्त 2014 को संपूर्ण और सर्व सहमति से लोकसभा में पारित हो गए राज्यसभा भी 3 दिन बाद यानी कि 18 अगस्त 2014 को सर्व सहमति से पारित कर दिया गया एक व्यक्ति ने विरोध किया राम जेठमलानी राज्यसभा में 29 राज्यों के पास 29 राज्यों के पास क्या मतलब है इसका 29 प्लस 2 राज्यों का मतलब है कि 29 राज्य और 2 केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पांडिचेरी जहाँ विधानसभा होती है वहां इस बिल में आधी राज्यों का अनुमोदन जरूरी रहता है जैसी ही 16 राज्यों ने इस बिल को अनुमोदन दे दिया बिल चली गई राष्ट्रपति के पास 31 दिसंबर 2014 को राष्ट्रपति का सिग्नेचर हो गया और 23 सितंबर 2014 को राजस्थान पहला राज्य बना जिसने इस विद्यियक को अनुमोदन दिया 1 जनवरी 2015 को यह 99 संविधान संशोधन के रूप में लागू हुआ इसके द्वारा निम्न आर्टिकल संविधान में जोड़े गए यह आर्टिकल थे 


आर्टिकल 124(A)

आर्टिकल 124(B)

आर्टिकल 124(C) 

 



 इसके अगले अध्याय में हम और विस्तार से चर्चा करेंगे तब तक आप अपना ख्याल रखें धन्यवाद.

Emogi :

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