नागरिक अधिकार पत्र (CITIZEN CHARTER)


                   CITIZEN CHARTER




 आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं नागरिक अधिकार पत्र की 


#.नागरिक अधिकार पत्र की अवधारणा इंग्लैंड से ले गई है विश्व का पहला नागरिक अधिकार पत्र 1991 में इंग्लैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री चार्ज मेजर द्वारा 1991 में निकाला गया था


#. एक ऐसा दस्तावेज जो किसी भी संगठन के उद्देश्यों कार्यो कार्य प्रणाली संबंधित अधिकारी तथा शिकायत निवारण तंत्र की जानकारी देने वाला पत्र नागरिक अधिकार पत्र  कहलाता है


  आयरन लेडी के नाम से प्रख्यात 1980- 90 के दशक में

मार्गेय थेचर-----थेचरवाद( इंग्लैंड में) 

Ronald रीगन--- reaganomics( अमेरिका)

 

#.इंग्लैंड की  तात्कालीन प्रधानमंत्री मार्गेट थैचर प्रशासनिक एहमबाद द्वारा इंग्लैंड में किए गए प्रशासनिक सुधारों को थैचरबाद तथा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड रीगन द्वारा किए गए सुधारों को रीगनोमिक्स कहा जाता है


 #. बुचानन  एवं मार्शल ने प्रशासनिक एहमवाद का सिद्धांत दिया था 


बात आती है 1994 में कॉमन फोज एनजीओ का नाम द्वारा भारत में नागरिक अधिकार पत्र पहली बार मांग की गई 

#.1996 में दिल्ली में आयोजित मुख्य सचिवों के सम्मेलन तथा 1997 में आयोजित मुख्यमंत्री के सम्मेलन में भी इस मांग को रखा गया 


#.दिल्ली भारत का पहला राज्य जहां नागरिक अधिकार पत्र 2011 में कानून बनाया गया और मध्य प्रदेश भारत का पहला राज्य बना जहां अगस्त 2010 में कानून बनाकर लोक सेवाओं में उपलब्ध करवाने की गारंटी दी गई इसी के साथ पंजाब दूसरा राजस्थान तीसरा राज्य बना


#.निर्धारित अवधि में सेवा उपलब्ध नहीं करवाने पर न्यूनतम 500 तथा अधिकतम 5000 तक इन पर जुर्माना दोषी अपराधी पर लगाया जा सकता है 

राजस्थान पहला राज्य जहां पर जुर्माना का प्रावधान किया गया है इस संदर्भ में



आज हमने नागरिक अधिकार पत्र के बारे में बखूबी अध्ययन किया इसके अगले ध्यान हम बात करेंगे संघीय ढांचा एवं केंद्र एवं राज्य के बीच संबंधों की तब तक आप सब अपना ख्याल रखिए आप हमारे साथ बने इस लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.. 

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