संघीय ढांचा केंद्र और राज्य संबंधों (THE RELATIONSHIP BETWEEN CENTRAL &STATE GOVERNMENT)

 THE RELATIONSHIP BETWEEN CENTRAL                     &STATE GOVERNMENT



चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं संघीय ढांचा केंद्र और राज्य संबंधों के बारे में 


शासन व्यवस्था दो ही प्रकार से हो सकती है एक तो होगा संघात्मक और 

दूसरा एकात्मक 

चलिए एक-एक करके इन दोनों को समझते हैं

#.संघात्मक एक ऐसा शासन व्यवस्था जहां केंद्र के साथ राज्य सरकारों का भी अस्तित्व हो तथा केंद्र तथा राज्यों के बीच कार्यों का बंटवारा होता है इसका बेस्ट एग्जाम  हम देखें तो हम अमेरिका में देख सकते हैं


#.एकात्मक शासन व्यवस्था की एक ऐसी शासन व्यवस्था जहां राज्य सरकारों का कोई अस्तित्व ना हो उसे एकात्मक शासन व्यवस्था कहा जाता है और इसका बेस्ट एग्जांपल हम इंग्लैंड में देख सकते हैं


#.भारत में संघात्मक शासन व्यवस्था है हालांकि संविधान के किसी भी अनुच्छेद में इस प्रकार  की शब्दावली उल्लेखित नहीं है 

एसआर मुंबई वर्सेस भारत संघ 1994 के मामले में

 यह निर्णय लिया गया कि संघात्मक शासन व्यवस्था संविधान के आधारभूत संरचनाएं हैं! 



संविधान में संघात्मक शासन व्यवस्था से संबंधित प्रावधानों की तो 

#.विषयों का बंटवारा --आर्टिकल 246 के तहत केंद्र और राज्यों के बीच विषयों का बंटवारा करते हुये तीन सूचियां बनाई गई हैं संघ सूची राज्यसूची एवं समवर्ती सूची इन तीनों को एक-एक करके देखते हैं

 #.संघ सूची ---मूल्य संविधान में इस सूची के अंतर्गत 97 विषय थे वर्तमान में इसमें 100 विषय शामिल हैं इस सूची में विषयों पर केवल संसद को कानून बनाने का अधिकार है

#.राज्य सूची की --मूल संविधान में इसके अंतर्गत 66 विषय शामिल थे वर्तमान में यह 62 विषय हैं इस सूची के विषय पर सामान्यता राज्य विधानमंडल कानून बनाता है समानता कुछ अपवाद से घिरी हुई है 

#.समवर्ती सूची की --संविधान में इसमें 47 विषय थे वर्तमान में इसमें 52 विषय हैं इस सूची के विषय पर संसद और राज्य विधानमंडल दोनों मिलकर कानून बनाते हैं



#.राज्यसभा का दूसरे सदन में के रुप में होना

 राज्यसभा के 233 सदस्यों का चुनाव आर्टिकल 80 के तहत राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों के द्वारा किया जाता है राज्यसभा राज्यों के हितों का प्रतिनिधित्व करती है

#.अखिल भारतीय सेवाओं का होना

 सरदार पटेल को अखिल भारतीय सेवाओं का जनक कहा जाता है संविधान सभा  में सरदार पटेल ने अखिल भारतीय सेवाओं का  समर्थन किया था 

वर्तमान में यह तीन है

 आईएएस ,आईपीएस और ,आईएएस



#.जब आईएएस की परीक्षा कंप्लीट कर ली जाती है तब कैंडिडेट को पूछा जाता है कि आपके कैडर के बारे में कि आप कहां सेवा देना पसंद करेंगे इंडिया में अभी तक 24 कैडर हैं और एक बार या कैडर मिल गया तब दोबारा है चेंज नहीं होता जब तक आप  सेवानिवृत्ति नहीं हो जाती 


#.दो ही स्थिति हैं जब यह Change हो सकता है 

#.पहली स्थिति यदि आप आईएएस महिला से शादी कर ले हो तो आप दोनों को एक ही जगह पर कैडर दिया जा सकता है

#.दूसरा यदि आप किसी कैडर में रहने से आपके हेल्थ में नुकसान हो 



#.1905 में लार्ड कर्जन ने ---Tenyor सिस्टम पदावली व्यवस्था की स्थापना की थी इस व्यवस्था के अंतर्गत अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी अपने कैडर तथा संघ सरकार दोनों के लिए कार्य करता है वर्तमान में 24 कैडर है


#.संविधान की सर्वोच्चता

 अनुच्छेद आर्टिकल 368 के तहत संसद को संविधान संशोधन का अधिकार है लेकिन संसद संविधान के आधारभूत संरचना में संशोधन नहीं कर सकती यह केसवानंद भारती वर्सेस केरल राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था  

आर्टिकल 13 न्यायिक पुनर्विलोकन का आधार है आर्टिकल 13 के आधार पर न्यायपालिका किसी भी ऐसे विधि को असंवैधानिक घोषित कर सकती है जो संविधान के विरुद्ध है

 

स्वतंत्र न्यायपालिका

 न्यायाधीशों की नियुक्ति में सरकार की कोई भूमिका नहीं है  पद पर रहते हुए उनके वेतन में हानिकारक परिवर्तन नहीं किए जा सकते उन्हें हटाने हेतु संसद में विशेष बहुमत आवश्यक होता है सेवानिवृत्ति के बाद भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद नहीं दिया जाता संविधान की व्याख्या करना न्यायपालिका का काम है


 भारतीय संविधान में एकात्मक प्रावधान

  विषयों का झुकाव केंद्र की ओर है ---संघ सूची के विषयों की संख्या अधिक है तथा सभी महत्वपूर्ण विषय संघ सूची में है 

#.आर्टिकल 248 में Residury Power आपसिष्ट विषय का उल्लेख है इन पर संसद के द्वारा कानून बनाया जाता है नोट यह वह विषय हैं जिनका उल्लेख तीन सूचियों में नहीं है एग्जांपल साइबरक्राइम


 #.आर्टिकल 249 में उल्लेखित है कि राज्य सूची का  कोई विषय वर्तमान समय में राष्ट्रीय महत्व का बन गया है   तब केंद्र सरकार इस विषय को अपने पास बुला लेती है राज्य सभा में  इस विषय पर कानून बनाने हेतु उपस्थित व मतदान करने वाले दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव रखती है  कानून की अवधि 1 वर्ष की होती है


 #.आर्टिकल 250 मैं यह उल्लेखित है कि आर्टिकल 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल लग जाने पर राज्य सूची के विषय पर कानून बनाने का अधिकार संसद को प्राप्त हो जाता है 

#.आर्टिकल 251 में उल्लेखित है कि आर्टिकल 249 तथा आर्टिकल 250 के तहत बनाए गए किसी कानून का टकराव यदि राज्य कानून से होता है तो  संसदीय कानून माना जाएगा


समवर्ती सूची आर्टिकल 256 राष्ट्रपति शासन 

आर्टिकल 252 में उल्लेखित है कि दो या दो से अधिक राज्यों के विधान मंडल द्वारा निवेदन करने पर संसद राज्य सूची के विषय पर कानून बना सकती है 

#.आर्टिकल 253 के तहत संघ सरकार द्वारा किसी अंतरराष्ट्रीय संधि यह समझौता पर हस्ताक्षर कर लेने पर राज्य सूची से जुड़े हुए विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार संसद को प्राप्त हो जाता है

#.आर्टिकल 254 मैं यह उल्लेखित है कि समवर्ती सूची के किसी विषय पर संसद व गैराज विधानमंडल में टकराव होने पर संसदीय कानून माना जाएगा

 

केद्र द्वारा निर्देश देना

#.आर्टिकल 257 के तहत संघ सरकार अपने संचार के साधनों तथा रेल पटरियों की सुरक्षा के संदर्भ में राज्य सरकारों को निर्देश दे सकती है

#.आर्टिकल 365 के तहत संघ सरकार राज्य सरकार को निर्देश दे सकती है इन  निर्देशों का पालन नहीं करने पर संवैधानिक तंत्र की विफलता माना जाता है और आर्टिकल 356 को आधार मानकर वहां राष्ट्रपति शासन लगा दी जाती है


राज्यसभा में असमान प्रतिनिधित्व

#.राज्यसभा में जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व है इकाई पर होना चाहिए राज्यसभा के 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं लोकसभा की तुलना में राज्यसभा शक्तिहींन


AIS-- AKHIL INDIAN SERVICE

 आर्टिकल 309--- के तहत आईएएस अधिकारियों के सेवा शर्तों का निर्धारण किया जाता है

 आर्टिकल 310-- के तहत के अधिकारी राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति  होते है  व राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पर रहते हैं 

आर्टिकल 311   मैं यह उल्लेखित है कि AIS के अधिकारियों को नियुक्त करने वाले की अधिस्थ  द्वारा हटाया नहीं जा सकता

नोट- AIS के अधिकारियों पर राज्य सरकार का आंशिक नियंत्रण होता है राज्य सरकार  इनका स्थानतरण कर सकती हैं इन्हें पदस्थापन  (APU) पर रखा जाता है केंद्र सरकार की अनुमति से निलंबित कर सकती है लेकिन इन्हें बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है


 वित्तीय निर्भरता की 

#.आर्टिकल 275 के तहत संसद कानून बनाकर राज्य को अनुदान देती है 

आर्टिकल 280 में वित्त आयोग का उल्लेख है इसमें एक अध्यक्ष और 4 सदस्य होते हैं सब की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है यह आयोग केंद्र और राज्यों के बीच करो का बंटवारा के संदर्भ में सिद्धांत बनाता है

 आर्टिकल 282 के तहत सरकार राज्य सरकारों को अनुदान दे सकती है


 आर्टिकल 293-- के तहत राज्य सरकारें संघ सरकार की गारंटी पर ही उधार ले सकती हैं

 आर्टिकल 304 के तहत किसी अन्य राज्य के साथ व्यापार पर रोक लगाने संबंधी विधेयक राष्ट्रपति के अनुमति से ही विधानमंडल में रखा जाता है


  एकल नागरिकता

  एकल नागरिकता पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट संघ सूची का विषय है

 संघात्मक शासन व्यवस्था के पक्ष पर तर्क अंतरराष्ट्रीय परिषद का होना आर्टिकल 263 में इसका उल्लेख है कि यह परिषद केंद्र और राज्यों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों पर विचार विमर्श करने का संदर्भ में सुझाव देने का काम करती है

नोट-- 1940 में इस परिषद की स्थापना हुई प्रधानमंत्री इस परिषद का पदेन अध्यक्ष होता है केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री तथा सभी राज्य के मुख्यमंत्री सदस्य होते हैं 


क्षेत्रीय परिषद(  zonal council) 

 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के तहत राज्य क्षेत्रीय परिषद  बनाई गई उत्तरी पूर्वी राज्य क्षेत्रीय परिषद अधिनियम 1971 उत्तरी पूर्वी राज्य के लिए अलग क्षेत्रीय परिषद की स्थापना की गई इसमें 8 राज्य सदस्य हैं 1994 से  सिक्किम भी इसका सदस्य हैं भारत के गृहमंत्री क्षेत्रों की अध्यक्षता करते हैं पूर्वी क्षेत्रीय परिषदों में सात बहने मतलब सिक्किम को छोड़कर सभी राज्य


 सुझाव  राज्य और केंद्र शासन के संबंधों के बीच

#.प्रशासनिक सुधार आयोग--- इसकी स्थापना 1966 में हुई थी और उन्होंने रिपोर्ट 1969 में दिया अंतरराष्ट्रीय परिषद की स्थापना की सिफारिश की थी

 #.राजमन्नार आयोग 1969 तमिलनाडु राज्य द्वारा टीवी राजमन्नार के अध्यक्षता में इसका गठन किया गया थ

इसमें AIS द्वारा आर्टिकल 356 की समाप्ति का सुझाव दिया था

#.सहाय समिति--- तत्कालीन  राष्ट्रपति वीके गिरी द्वारा 1971 में  राज्यपाल भगवान सहाय की अध्यक्षता में इसका गठन किया गया सहाय समिति ने राज्यपाल पद को सुदृढ़ करने की अनुशंसा पर इसी में राज्यपाल द्वारा राज्य संबंधी हर 15 दिन में रिपोर्ट राष्ट्रपति को देता है

#.आनंदपुर सहाय प्रस्ताव 1973  इसमें राज्यों को स्वायत्तता देने तथा केंद्र सरकार को विदेशी मामलों रक्षा तथा मुद्रा तथा सीमित रखने की मांग की गई


# पश्चिम बंगाल ज्ञापन पत्र 1977 के बारे में ज्ञापन पत्र ने सुझाव दिया कि आर्टिकल 1 में संशोधन करना चाहिए और यूनियन शब्द के स्थान पर federation उल्लेखित किया जाना चाहिए आर्टिकल 3 में संशोधन कर राज्यों के साथ विचार विमर्श को अनिवार्य किया जाना चाहिए

  सरकारिया आयोग 1983--( 87 में रिपोर्ट सौंपी उन्होंने कहा    आर एस सरकारिया इसके अध्यक्ष थे जबकि बी सीवरमन तथा एफआर सेंन इसके दो सदस्य थे नई अखिल भारतीय सेवाएं गठित की जानी चाहिए आर्टिकल 356 का प्रयोग अंतिम विकल्प के रूप में होना चाहिए राज्यपाल की नियुक्ति के संदर्भ में संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री के साथ विचार-विमर्श होना  जरूरी होना चाहिए



आज हमने केंद्र एवं राज्यों के बीच संबंधों को बहुत अच्छे से समझा साथ ही अलग-अलग तिथ्यो को आधार मानकर इसके अगले दिन हम बात करेंगे न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया के बारे में और यह पॉलिटिकल साइंस का लास्ट चैप्टर होगा आप हमारे साथ इतने दिन तक बने रहे और यही रह कर पढ़ाई किया इसके लिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद साथ ही  Pk25ng team एक नया वेबसाइट क्रिएट करने जा रही हैं  डिजास्टर मैनेजमेंट से संबंधित सारे आर्टिकल अपलोड होने हैं विजिट कर सकते हैं 

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धन्यवाद

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