नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(CAG CONTROLLER &AUDITOR GENERAL OF INDIA)

 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक इसके पिछले अध्याय में हमने डिप्टी प्रधानमंत्री के कार्य के बारे में चर्चा किया था इसके अगले अध्याय में हम सीएजी यानी कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के बारे में चर्चा करेंगे 




अंबेडकर ने कहा था कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक भारतीय संविधान के तहत सर्व प्रमुख अधिकारी होगा जो लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोकतंत्र भारत सरकारों में से एक है इस वित्तीय रक्षकों में वे शामिल रहेगा 





किसी देश के लोकतंत्र को संवैधानिक गतिविधियों को चलाने के लिए चार स्तंभ क ईमानदार एवं न्याय पूर्ण होना बहुत जरूरी है 

 लोकतंत्र
  न्यायपालिका 
चुनाव आयोग
 सीएजी 
और यूपीएससी


 चली आगे देखते हैं और बात करते हैं आर्टिकल 148 कि यह आर्टिकल भारत में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की व्याख्या करता है सीएजी की योग्यता शर्ते व नियम को लेकर कोई व्याख्या संविधान के किसी भी अनुच्छेद में नहीं है लेकिन वर्तमान में यह सीएजी की नियुक्ति एवं उनकी योग्यता के निर्धारण हमारे संसद को दी गई है जिसमें इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन सर्विस के अधिकारी इस पद पर
 नियुक्त किए जाते हैं और भारत के राष्ट्रपति मंत्री परिषद के सिफारिश पर इनकी नियुक्ति करते हैं और नियंत्रक एवं महालेखा यहां सरकार द्वारा जिसमें संसद शामिल है कि साल भर में खर्चा किया गया फाइनेंस की निगरानी करता है 





यह व्यवस्था ठीक नहीं है मंत्रिपरिषद की सलाह पर राष्ट्रपति सीएजी क  नियुक्त कर रहा है और वही  मंत्री परिषद के खर्चा की निगरानी कर रहा है



 इसके लिए एक कॉलेजियम मंडल हो जिसमें प्रधानमंत्री लोकसभा स्पीकर राज्यसभा के मेंबर आदि शामिल हो और वह सीएजी की नियुक्ति करें 





लालकृष्ण आडवाणी CAG की नियुक्ति के संबंध  मैं एक सुझाव  दिया था  इसकी काफी ज्यादा उनकी सुझाव को तारीफ किया गया  सीएजी की नियुक्ति के संबंध में हमें कॉलेजियम व्यवस्था अडॉप्ट करना चाहिए और इनकी सुझाव को नहीं सुना गया 




अभी आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं इनकी नियुक्ति की राष्ट्रपति सीएजी की नियुक्ति के संदर्भ में क्या कहते हैं आर्टिकल 148  warrant या अधिपत्र जारी करते हैं यह वारंट निम्न पद की नियुक्ति के लिए जारी किए जाते हैं  इन सब का उल्लेख आर्टिकल 148 में किया गया है 

सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जज पद के लिए 
सारे राज्यपाल सारे स्टेट ओं के लिए 
और  सीएजी नियुक्ति के लिए


चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं सप्त एवं कार्यकाल की सीएजी को शपथ Rashtrapati दिलाते हैं

 सीएजी  अनुसूचित 3  के अंतर्गत संविधान के प्रति निष्ठा का शपथ लेते हैं 

सीएजी की कार्यकाल के संबंध में संविधान में उल्लेख नहीं मिलता लेकिन सीएजी की पदाअवधि  को तय करने की  जिम्मेदारी संसद को दे रखा है और संसद यह समय अवधि य कार्यकाल 6 वर्ष तक तय किया है 


 इनके सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष होगी 



सीएजी डीपीसी एक्ट 1971 इसके तहत यदि कोई व्यक्ति 59 वर्ष की उम्र में सीएजी पद पर नियुक्त होता है तो उसका   कार्यकाल पूरा 6 वर्ष का होगा और यदि वह 62 वर्ष की उम्र में नियुक्त होते हैं तो उनकी कार्यकाल घटकर केवल 3 साल का हो जाएगा


 CAG को कैसे हटाया जाएगा 


आर्टिकल 124(4 ) जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाया जाता है वही विधि नियंत्रक एवं महालेखा अधिकारियों को हटाने का प्रावधान है सुप्रीम कोर्ट को हटाने के लिए दो आधार हैं या Missbehevior  और दूसरे मानसिक एवं शारीरिक तौर पर कार निर्वाहन में अक्षम दोनों आधार को ध्यान में रखते हुए सदन में प्रस्ताव लाया जाता हैं  यही विधि नियंत्रक एवं महालेखा ऑफिसर को हटाने के लिए भी लागू की जाती है मतलब सीएजी ऑफिसर की दर्जा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के समान होता है वेतन एवं भत्ते यह संसद तय करेगा कि नियंत्रक एवं महालेखा के पद पर रहने वाले व्यक्ति के लिए सेवा ऐसा कोई परिवर्तन नहीं लाया जा सकता जो उनके लिए हानिकारक हो सीएजी के के रिटायर के बाद कोई भी सेंट्रल  य state के अधीन लाभ के पद पर काम नहीं रह  सकते 


विवाद एग्जांपल टीएन चतुर्वेदी रिटायरमेंट के बाद राज्यपाल  रहे राज्यपाल कपसरा लाभ के पद पर नहीं आता 




 सीएजी का वेतन सुप्रीम कोर्ट के वेतन के समक्ष होगा और यह वेतन भारत की संचित निधि पर भारित होगा  

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 भारित व्यय  ( charge expenditure) की क्या है वह व्यय जिस पर संसद चर्चा बहस तो कर सकती है लेकिन जिस पर मतदान नहीं होता 




कार्य Accounting और ऑडिटिंग की लेखांकन एवं लेखा परीक्षक की बात करते हैं और अंतर समझते हैं लेखांकन एकाउंटिंग जो पैसा खर्च हुआ है उसका हिसाब-किताब रखना लेखांकन कहलाता है लेखा परीक्षण ऑडिटिंग मतलब जिस बात के लिए उस पैसे को आपने कहां खर्च किया है कितना खर्च किया है कहीं फिजूल बाजी तो नहीं कि इन सब बातों को देखना ऑडिटिंग कहलाता है लापरवाही या भ्रष्टाचार तो नहीं किया गया





 यह दोनों विभाग की ऑफिसर सीएजी में अलग-अलग होंगे 1950 से लेकर 1976 तक भारत सरकार और राज्य सरकार दोनों के लिए एकाउंटिंग का काम करता था लेकिन 1976 में कहा गया कि इन दोनों को भी अकाउंट को अलग अलग कर दिया जाए लेकिन Rajasthan गवर्नमेंट ने कहा हमारे पास इतनी बजट नहीं है कि हम दोनों को अलग अलग रखें और इस कारण आज भी 



CAG STATE GOVERNMENT के लिए accounting AVN auditing ka kam karti hai Lekin Central Government Bharat Sarkar ko accounting ka kam Kisi Aur ko de diya hai article 149 आर्टिकल 149 एक भारत काउंटिंग दोनों काम करती है आर्टिकल 149 में इस को बखूबी बताया गया है अब बात करते हैं





 आर्टिकल 150 की सेंटर गवर्नमेंट जितने खर्चे हो रहे हैं उन प्रारूपों को किस प्रारूप में रखेगी लेखा का प्रारूप क्या होगा इनका तय सीएजी करता है और इस नियंत्रक एवं महालेखा की सिफारिश पर ही प्रधानमंत्री लेखक का प्रारूप का निर्धारण करता है आर्टिकल 151 नियंत्रक एवं महालेखा अपनी रिपोर्ट को   राष्ट्रपति  को सौंप दें  है जिसे वह संसद में रखवाता है



 संसद में बहुत सारी समितियां होती हैं एक समिति है वित्तीय समिति जिसका नाम एसी लोक लेखा समिति रखी गई है इस रिपोर्ट की जांच पब्लिक अकाउंट्स कमिटी   करती है



 इस पीएसी में 22 लोग शामिल होते हैं लोकसभा के 15 सदस्य और राज्यसभा के 7 सदस्य  इस रिपोर्ट में कोई जानकारी यदि पीएसी को समझ नहीं आ रहा इस स्थिति में पीएसीसीएजी को बुला सकता है इस कारण इसे प्रिंट फिलॉस्फर गाइड भी कहा जाता है


 अब सीएजी को के एकाउंटिंग का काम सेंट्रल गवर्नमेंट के लिए सीजीए करता है यानी कि कंट्रोलर जनरल ऑफ द काउंटिंग भारत के वित्त मंत्रालय में बहुत सारे विभाग रहते हैं डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर डिपार्टमेंट ऑफ डिपार्टमेंट के अंदर आता है चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं सीएजी का इसका आधार आर्टिकल 150 है संविधान में उल्लेख नहीं है



 आज हमने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के बारे में बखूबी अध्ययन किया इसके अगले पोस्ट में इसी से संबंधित दूसरे अध्याय को देखेंगे तब तक अपना ख्याल रखिए धन्यवाद

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