आज हम इसके दूसरे अध्याय के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे तो
1976 में संसद ने एक कानून बनाया नाम था सीएजी पावर ड्यूटी एंड सर्विस कंडीशन एक्ट 1971 इसमें 1976 में सीजी ए नाम का एक नया पद बनाया जो भारत सरकार के लिए एकाउंटिंग का काम करते थे
भारत के पहले सीएजी नरसिम्हा राव थे 1948 से लेकर 1954 तक दूसरे थे A K चंद्रा 1954 से लेकर 1960 तक वर्तमान में राजीव महर्षि हैं और राजस्थान के मुख्य सचिव भी रह चुके यह भारत के शेर भी सीएजी हैं जो 2017 से लेकर 2021 तक रहेंगे ऑल फाइनेंस सिस्टम का नियंत्रक जी होता है इससे पहले शक्ति कांत शर्मा 2013 से लेकर 2017 तक सीएजी के पद पर रहे
इंपोर्टेंट फैक्ट ऑफ़ सीएजी
सीएजी का करतब होता है कि वह भारत के संविधान और संसद की विधि के तहत वित्तीय प्रशासन पर निगरानी रखी जाए
यह एकल सदस्य संस्था है य भारत के महा लेखक परीक्षा विभाग का संवैधानिक प्रमुख होता है और इस विभाग के अन्य अधिकारी इसके अधिनस्थ होते है CAG के एजेंट अलग-अलग स्टेट में नियुक्त किए जाते हैं जो सीएजी को रिपोर्ट देते हैं
राष्ट्रपति को पत्र देकर अपना पद छोड़ सकता है
CAG द्वारा स्टेट व जनरल के सभी खर्चों की वित्तीय जांच करता है खर्च कहां किए गए हैं किस उद्देश्य किए गए किस प्राधिकरण द्वारा किए गए हैं तथा किन योजनाओं के लिए किए गए किए गए हैं इन सभी प्रकार के प्रश्नों का जांच सीएजी करता है
लाभ हानि व्यापार निर्माण खरीदी बिक्री सभी विभागों का कर सभी राजस्व प्राप्ति के नियम व कानूनों में अनदेखी तो नहीं की गई है आर्टिकल 297 अभी भी इसमें शामिल है निगम के एवज कार्यकुशलता लेनदेन रजिस्टर प्राप्त किया वालों का लेखा-जोखा भी यही डिपार्टमेंट करता है राज्य सरकार के लेखों में संबंधित रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपा जाता है है और राज्यपाल विधानमंडल में करवाता है
राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेखा परीक्षा हेतु प्रशिक्षित प्रशिक्षण देना भी सीएजी का काम है कोई भी मंत्री संसद के दोनों सदनों में से प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता और कोई मंत्री उसके द्वारा किए गए कार्य की जिम्मेदारी नहीं ले सकता
सीएजी की शक्तियां
य सेंट्रल गवर्नमेंट के सर्वोच्च लेखांकन संस्था है जो सिविल न्यायालय की शक्तियों को धारण करती है इसके अंतर्गत वह किसी भी विभाग के लेखा प्रारूप की जांच कर सकता है वह हस्तक्षेप करवा सकते हैं दस्तावेज मंगवा सकता है सीएजी को गवर्नमेंट के आय-व्यय की देखरेख करने वाली सबसे बड़ी संवैधानिक संस्था का दर्जा प्राप्त है अर्थात सीएजी की भूमिका जनता के धन की रक्षा के रूप में है
गुप्त सेवा में सीएजी की सीमा तय करता है
सामाजिक निगमों की लेखा परीक्षा में सीएजी की भूमिका सीमित है कुछ नियमों का पूर्ण संपूर्ण या डायरेक्ट सीएजी के द्वारा किया जाता है कुछ निगमों का ऑडिटिंग पूरी तरह निजी परीक्षक द्वारा की जाती है उदाहरण बीमा जीवन बीमा योजना भारतीय खाद्य निगम आदि
द रोल ऑफ सीएजी एंड इश्यूज
सीएजी के द्वारा कुछ मामलों में अनुमानित धारा की बात की जा रही है जो वर्तमान में विवाद का मूल कारण है 2G स्पेक्ट्रम विवाद 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन वर्ष 2008 पहले आओ पहले पाओ नीति के आधार पर किया गया था कि आवंटन नीलामी प्रक्रिया गवर्नमेंट को करोड़ों रुपए का लाभ होता है पर आधारित जांच थी एग्जांपल कोयला ब्लॉक आवंटन
7 जनवरी 2016 को सेंट्रल गवर्नमेंट ने फॉरेन मिनिस्ट्री और प्रवासी मामलों के मंत्रालय का विलय कर दिया उद्देश्य न्यूनतम सरकार अधिकतम प्रशासन के लक्ष्य को प्राप्त करना था विदेश मंत्रालय का मानना था प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय एमवाई को अप्रवासी भारतीयों के मामलों के मंत्रालय के रूप में शामिल किया गया वर्ष 2014 की में पुनः इसे प्रवासी भारतीय मंत्रालय नाम दिया गया और 2014 के मंत्रालय के लिए एक मंत्री व राज्य मंत्री बनाए गए जो कि दोनों मामलों में समानता है
ं आज हमने सीएजी के दूसरे अध्याय को भी सफलतापूर्वक पूरा किया इसके दूसरे अध्याय में संसद की संरचना एवं उसके गठन के बारे में चर्चा करेंगे धन्यवाद
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