राज्य के नीति निदेशक तत्व
राज्य के नीति निदेशक तत्व
इसका उल्लेख इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन भाग 4 में आर्टिकल 36 से 51 तक मिलता है भाग 4 को हम सामाजिक व आर्थिक न्याय का प्रतीक कहते ं क्योंकि इसमें सभी सामाजिक भेदभाव वा आर्थिक विषमताओं को दूर किया गया है सामाजिक व आर्थिक तथा राजनीतिक न्याय का उल्लेख संविधान के प्रस्तावना के साथ साथ राज्य के नीति निदेशक तत्व में भी है डीपीएसपी वाद्य योग नहीं इन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती!
State * Policy state
*Welfare State
Policy state
केवल राजस्व व्यवस्था
Welfare state नागरिक का सर्वस्व विकास शिक्षा चिकित्सा रोजगार आदि नागरिक को उपलब्ध कराना
केवल राजस्व व्यवस्था
Welfare state नागरिक का सर्वस्व विकास शिक्षा चिकित्सा रोजगार आदि नागरिक को उपलब्ध कराना
इस कारण हम राज्य के नीति निदेशक तत्व या भाग 4 को वेलफेयर स्टेट का प्रतीक भी कहते हैं साथ ही गांधी विचारधारा भाग 4 में देखने को मिलता है राज्य के नीति निदेशक तत्व है एक और हम कहते हैं कि हम राज्य के नीति निदेशक तत्व आयरलैंड से लिए हैं वहीं दूसरी और हमें यह पता चलता है कि भारत शासन अधिनियम 1935 के निर्देशों के उपकरण है यह सच है आज हमारे नीति निदेशक तत्व निर्देशों के उपकरण हैं लेकिन यह निर्देशों के उपकरण आयरलैंड से लिए गए
राज्य के नीति निदेशक तत्व मैं हम चाहते हैं और उससे यह अपेक्षा रखते हैं कि राज्य हमारे लिए यह करें लेकिन फंडामेंटल राइट्स सभी राज्यों को लागू करने पड़ेंगे जबकि राज्य के नीति निदेशक तत्व यह जरूरी नहीं है की सभी राज्य लागू करें
राज्य के नीति निदेशक तत्व मैं हम चाहते हैं और उससे यह अपेक्षा रखते हैं कि राज्य हमारे लिए यह करें लेकिन फंडामेंटल राइट्स सभी राज्यों को लागू करने पड़ेंगे जबकि राज्य के नीति निदेशक तत्व यह जरूरी नहीं है की सभी राज्य लागू करें
आर्टिकल 36
राज्य शब्द का परिभाषा करता है आर्टिकल 12 भी राज्य शब्द को परिभाषित करता है इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन के भाग 4 के अंतर्गत आर्टिकल 36 और भाग 3 के अंतर्गत आर्टिकल 12राज्य शब्द को परिभाषित करते हैं लेकिन आर्टिकल 36 में यह लिखा है कि राज्य शब्द का परिभाषा वही है जो भाग 3 के अंतर्गत आर्टिकल 12 में दिया गया है!
राज्य शब्द का परिभाषा करता है आर्टिकल 12 भी राज्य शब्द को परिभाषित करता है इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन के भाग 4 के अंतर्गत आर्टिकल 36 और भाग 3 के अंतर्गत आर्टिकल 12राज्य शब्द को परिभाषित करते हैं लेकिन आर्टिकल 36 में यह लिखा है कि राज्य शब्द का परिभाषा वही है जो भाग 3 के अंतर्गत आर्टिकल 12 में दिया गया है!
आर्टिकल 37
राज्य के नीति निदेशक तत्व बाध्य योग नहीं है राज्य जब भी नीतियां बनाएगा उसे इन बातों को ध्यान में रखना पड़ेगा आर्टिकल 38 राज्य ऐसी व्यवस्था का प्रावधान करेगा जिससे सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक न्याय की प्राप्ति की जा सके!
राज्य के नीति निदेशक तत्व बाध्य योग नहीं है राज्य जब भी नीतियां बनाएगा उसे इन बातों को ध्यान में रखना पड़ेगा आर्टिकल 38 राज्य ऐसी व्यवस्था का प्रावधान करेगा जिससे सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक न्याय की प्राप्ति की जा सके!
आर्टिकल 39
संविधान की सबसे महत्वपूर्ण आर्टिकल 13 है जो कि न्यायपालिका को यह शक्तिि देता लेकिन
राज्य के नीति निदेशक तत्व के मामले में सबसे महत्वपूर्ण आर्टिकल 39 है यह बातों का उल्लेख करता है
पहला राज्य सभी महिला व पुरुष को अजीविका प्राप्त करने का समान अवसर उपलब्ध कराएगा
दूसरा राज्य माननीय और भौतिक संसाधनों का आवंटन इस तरह से करेगा जिसमें नागरिक का कल्याण हो
तीसरा राज्य आर्थिक संसाधनों का आवंटन इस तरह से करेगा जिससे केंद्रीकरण ना हो
चौथा समान कार्य के लिए समान वेतन
5.राज्य अपने नागरिक को ऐसा कार्य नहीं करने देगा जिससे उनके स्वास्थ्य में खराबी हो यह बिगड़े
छठा राज्य ऐसा वातावरण उपलब्ध कराएगा जिससे वे अपना व्यक्तित्व का विकास कर सके व उसका शोषण ना हो
आर्टिकल 39 (B,C)
को 25 संविधान संशोधन द्वारा आर्टिकल 31 में C से जोड़ा गया इसके तहत आर्टिकल 39 बी सी को हमारे फंडामेंटल राइट्स आर्टिकल 14 आर्टिकल 19 पर मान्यता दी जाएगी
संविधान की सबसे महत्वपूर्ण आर्टिकल 13 है जो कि न्यायपालिका को यह शक्तिि देता लेकिन
राज्य के नीति निदेशक तत्व के मामले में सबसे महत्वपूर्ण आर्टिकल 39 है यह बातों का उल्लेख करता है
पहला राज्य सभी महिला व पुरुष को अजीविका प्राप्त करने का समान अवसर उपलब्ध कराएगा
दूसरा राज्य माननीय और भौतिक संसाधनों का आवंटन इस तरह से करेगा जिसमें नागरिक का कल्याण हो
तीसरा राज्य आर्थिक संसाधनों का आवंटन इस तरह से करेगा जिससे केंद्रीकरण ना हो
चौथा समान कार्य के लिए समान वेतन
5.राज्य अपने नागरिक को ऐसा कार्य नहीं करने देगा जिससे उनके स्वास्थ्य में खराबी हो यह बिगड़े
छठा राज्य ऐसा वातावरण उपलब्ध कराएगा जिससे वे अपना व्यक्तित्व का विकास कर सके व उसका शोषण ना हो
आर्टिकल 39 (B,C)
को 25 संविधान संशोधन द्वारा आर्टिकल 31 में C से जोड़ा गया इसके तहत आर्टिकल 39 बी सी को हमारे फंडामेंटल राइट्स आर्टिकल 14 आर्टिकल 19 पर मान्यता दी जाएगी
आर्टिकल 40
राज्य ग्राम पंचायत का गठन करेगा स्थापना को बढ़ावा देगा और गांधी पॉलिसी है गांधीजी चाहते थे मेरे देश का गांव आत्मनिर्भर बनेगा उन्होंने यह सिद्धांत ग्राम स्वराज से संबंधित है ग्राम पंचायत तो मेरा देश में आत्मनिर्भर बनेगा
राज्य ग्राम पंचायत का गठन करेगा स्थापना को बढ़ावा देगा और गांधी पॉलिसी है गांधीजी चाहते थे मेरे देश का गांव आत्मनिर्भर बनेगा उन्होंने यह सिद्धांत ग्राम स्वराज से संबंधित है ग्राम पंचायत तो मेरा देश में आत्मनिर्भर बनेगा
आर्टिकल 41 42 एवं 43
यह तीनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं आर्टिकल 41 राज्य आपको काम देगा शिक्षा देगा वह लोग सहायक उपलब्ध कराएगा लोग सहायता का मतलब होता है बुजुर्गों के लिए बेरोजगारों के लिए बीमारों के लिए और विकलांगों के लिए लोग सहायता उपलब्ध कराना
तथा आर्टिकल 42
राज्य माननिर्वाचित दशा से उभारेगा व प्रसूति सहायता उपलब्ध कराएगा
आर्टिकल 43
जीवन निर्वाह योग्य वेतन उपलब्ध कराएगा इसमें दो अलग बिंदु जोड़े गए जिसमें शामिल है धारा
धाराA यह 42 वा संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया राज्य उद्योगों के प्रबंधन में कार्य को कार्य कर्मियों की भागीदारी को सुनिश्चित करेगा
धारा B
इसे 97 संविधान संशोधन 2012 में जोड़ा गया और इसमें यह बताने की कोशिश की गई राज्य सहकारी संस्थाओं की स्थापना को बढ़ावा देगा
आर्टिकल 44
यह इस बात का उल्लेख करता है कि राज्य समान नागरिक संहिता कॉमन सिविल कोर्ट की स्थापना करेगा कॉमन सिविल कोर्ट का मतलब होता है जब देश एक है तो देश की शासन व्यवस्था को रेगुलेट करने के लिए नियम व कानून भी एक होनी चाहिए भारत में 98% मामले में कॉमन सिविल कोर्ट है लेकिन मुस्लिम लोगों के लिए यह नियम कानून अलग है अलग है तो फिर कैसे
Ex. यहां दंड देने की बात पर सभी धर्म जाति के लोगों के लिए एक जैसा है यह कॉमन सिविल कोर्ट की पुष्टि करता है लेकिन विवाह के नियम तलाक के नियम गोद लेने के नियम उत्तराधिकारी के नियम मुसलमानों के लिए अलग होने के मामले में यह व्यक्तिगत मामलों के हिसाब से कॉमन सिविल कोड नहीं है common Civil Court mineority Muslim community के लिए इस वजह से लागू नहीं होता क्योंकि अल्पसंख्यक पार्लियामेंट मेंबर चाहते थे कि अभी इस बात को मुस्लिम Community पर लागू न किया जाए जब देश तरक्की करने लगे तब यूनियन तौर पर कॉमन सिविल कोड लागू कर दीजिए
चलिए हम देखते हैं यह मामला है अहमद खान का 1985 शाहबानो जो कि मुस्लिम महिला है 70 के दशक की बात है मोहम्मद अहमद खान ने तलाक दे दिया मोहम्मद अहमद खान मध्य प्रदेश के फेमस वकील थे उन्होंने शाहबानो को तलाक दे दिया तलाक के बाद मुस्लिम नियम कहता है इद्दत की अवधि तक इन्हें भरण पोषण व्यवस्था दिया जाएगा उसका क्या होगा इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में निर्णय मुस्लिम महिला को भी तलाक लेने का अधिकार है और उसे जीवन पर्यंत एवं भरण पोषण भाजपा मिलना चाहिए यह निर्णय कॉमन सिविल कोर्ट की व्याख्या करता है भारत सरकार ने 1986 में मुस्लिम महिला भरण पोषण अधिनियम कानून बनाया तलाक से संरक्षण अधिनियम इस समय राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे उन्होंने इस बात को मानने से इंकार कर दिया डेनियल लतीफी वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया शाहबानो के वकील थे इन्होंने दोबारा सुप्रीम कोर्ट को चैलेंज दिया और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी इस बार भी वही रहा
यह जब मिलना चाहिए जब तक हक मिलना चाहिए जब तक कि remarriage ना हो जाए इस पर सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने इससे पर निर्णय देते हुए कहा यह मुस्लिम महिला के प्रति अत्याचार है साथ ही इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ भी है और यह सारी निर्णय कॉमन सिविल कोर्ट की ओर ले जाते हैं और 4/1 से यह मामला रद्द कर दिया!
इसमें शामिल है
तलाक ए हसन
तलाक अ हशन
तलाक ए शिद्दत
इसे तलाक का बिगड़ा हुआ रूप भी कहते हैं
आर्टिकल 45
यह आर्टिकल इस बात का उल्लेख करता है कि राज्य 6 साल तक के बच्चों के लिए पी एलिमेंट्री एजुकेशन और उनकी बाल्यावस्था की देखभाल के लिए प्रावधान करेगा
86 वा संविधान संशोधन 2002 के बाद यह प्रावधान किया गया इससे पहले यह इस ग्रुप 6 से लेकर के 14 साल के बच्चों को फ्री एंड कंपलसरी एजुकेशन की व्यवस्था करेगा इसे हटाकर इससे हमने आर्टिकल 21 के तहत मौलिक अधिकार का रूप दे दिया
आर्टिकल 46
इस बात का उल्लेख करता है कि राज्य एससी व एसटी के साथ-साथ दुर्लभ जाति के बच्चों के लिए भी एजुकेशन की व्यवस्था करेगा ताकि उन्हें सामाजिक अन्याय से बचाया जा सके
आर्टिकल 47
इस बात का उल्लेख करता है कि राज्य का प्राथमिक कर्तव्य है कि वह लोगों के जीवन स्तर लोगों के पोषण आहार और लोगों के स्वास्थ्य में सुधार करें साथ ही राज मादक पदार्थ धूम्रपान व खतरनाक दवाओं पर जो व्यक्तियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ पर रोक रोक लगाएं
आर्टिकल 48
इस बात का उल्लेख करता है राज्य कृषि और पशुपालन हेतु उच्च तकनीक का उपयोग करेगा राज पशुओं और विशेषकर गाय के वध पर रोक लगाएगा इस आर्टिकल में एक धारा A आज जोड़ी हुई है जो इस बात का उल्लेख करता है पर्यावरण के साथ-साथ वन और वन्य जीवो की रक्षा भी राज्य ही करेगा पर्यावरण संरक्षण को डीपीएसपी और मूल कर्तव्यों में यह common है यह 42 वा संविधान संशोधन द्वारा आर्टिकल 48 में धारा A जोड़ा गया चलिए हम बात करते हैं
आर्टिकल 49 की
जो इस बात का उल्लेख करता है हमारी विरासत हमारे स्मारक धार्मिक विरासत मंदिर उनको संरक्षण प्रदान करना राज्य का मूल कर्तव्य एवं कार्य है और यह हमारे मूल कर्तव्य है कि आर्कोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया इसका प्रोडक्शन करें
article 50
इस बात का उल्लेख करता है कि राज्य कार्यपालिका और न्यायपालिका को अलग-अलग करेगा एसडीएम एसडीओ आईएएस के पास न्यायपालिका की भी शक्ति होती है यह शक्ति का पृथक्करण सिद्धांत का उल्लंघन है
आर्टिकल 51
it is the base of Indian constitutional foreign policy
विदेश नीति का संविधान आधार ही है जो निम्न अलग-अलग बातों का उल्लेख करता है भारत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देगा
भारत सारे देशों के साथ न्याय संगत और सामान्य जनक न्याय को बढ़ावा देगा
भारत अंतरराष्ट्रीय संधि एवं समझौता को बढ़ावा देगा
भारत चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दे का निपटारा सामंजस्य हो
डीपीएसपी का महत्व
हमारे सामने अक्सर यह सवाल आता है कि डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट्स में बड़ा कौन है
जब हम इस बात को समझें कि डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट्स में बड़ा कौन है चलिए कुछ मुद्दे जो कि सुप्रीम कोर्ट में आए उसे हम देखते हैं और समझते हैं क्या हुआ उनके निर्णय में एक मुद्दा
चंपाकम दौराई चंद्र 1951 एक मद्रास एक लड़की जो कि मेडिकल कॉलेज में एडमिशन चाहती थी पर उसे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलता है क्योंकि वहां जाति के बीच पर रिजर्वेशन है सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने याचिका दायर कर दिया उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कंपेयर टू डीपीएसपी द फंडामेंटल राइट इस बेटर फर्स्ट कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट 1951 के तहत आर्टिकल 31 में और भी कुछ कानून न्यायपालिका से बाहर होंगे इस बात को बताता है अनुसूची 9 में हमने डाल दिया आपको पता है कि अनुसूची 9 में जाने वाले कानून पर दोबारा संशोधन नहीं किया जा सकता जब आर्टिकल 42 वा संविधान संशोधन हुआ तथा में आर्टिकल के तहत यह प्रावधान की गई डीपीएसपी को सभी फंडामेंटल राइट्स में प्राथमिकता दी जाएगी
और मजेदार बातें करते हैं दूसरा केस देखते हैं
मिनलावा मिल वर्सेस भारत संघ 1980 का मामला जब सुप्रीम कोर्ट ने सारे इस तरीके के प्रावधान को रद्द कर दे दिए कहा यह दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं
केटी साह इस बात पर यदि DPSP बातों पर टिप्पणी करते हुए कहा यह इस प्रकार का चेक है जिसका भुगतान बैंक की इच्छा पर निर्भर है क्योंकि वह राज्य पर निर्भर करता है इस एक साथ हमारे DPSP कंप्लीट हुआ और आगे हम फंडामेंटल ड्यूटीज के बारे में डिस्कशन करेंगे धन्यवाद एडमिन ............................Pk25ng
यह तीनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं आर्टिकल 41 राज्य आपको काम देगा शिक्षा देगा वह लोग सहायक उपलब्ध कराएगा लोग सहायता का मतलब होता है बुजुर्गों के लिए बेरोजगारों के लिए बीमारों के लिए और विकलांगों के लिए लोग सहायता उपलब्ध कराना
तथा आर्टिकल 42
राज्य माननिर्वाचित दशा से उभारेगा व प्रसूति सहायता उपलब्ध कराएगा
आर्टिकल 43
जीवन निर्वाह योग्य वेतन उपलब्ध कराएगा इसमें दो अलग बिंदु जोड़े गए जिसमें शामिल है धारा
धाराA यह 42 वा संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया राज्य उद्योगों के प्रबंधन में कार्य को कार्य कर्मियों की भागीदारी को सुनिश्चित करेगा
धारा B
इसे 97 संविधान संशोधन 2012 में जोड़ा गया और इसमें यह बताने की कोशिश की गई राज्य सहकारी संस्थाओं की स्थापना को बढ़ावा देगा
आर्टिकल 44
यह इस बात का उल्लेख करता है कि राज्य समान नागरिक संहिता कॉमन सिविल कोर्ट की स्थापना करेगा कॉमन सिविल कोर्ट का मतलब होता है जब देश एक है तो देश की शासन व्यवस्था को रेगुलेट करने के लिए नियम व कानून भी एक होनी चाहिए भारत में 98% मामले में कॉमन सिविल कोर्ट है लेकिन मुस्लिम लोगों के लिए यह नियम कानून अलग है अलग है तो फिर कैसे
Ex. यहां दंड देने की बात पर सभी धर्म जाति के लोगों के लिए एक जैसा है यह कॉमन सिविल कोर्ट की पुष्टि करता है लेकिन विवाह के नियम तलाक के नियम गोद लेने के नियम उत्तराधिकारी के नियम मुसलमानों के लिए अलग होने के मामले में यह व्यक्तिगत मामलों के हिसाब से कॉमन सिविल कोड नहीं है common Civil Court mineority Muslim community के लिए इस वजह से लागू नहीं होता क्योंकि अल्पसंख्यक पार्लियामेंट मेंबर चाहते थे कि अभी इस बात को मुस्लिम Community पर लागू न किया जाए जब देश तरक्की करने लगे तब यूनियन तौर पर कॉमन सिविल कोड लागू कर दीजिए
Common Civil Code se aadharit ek Mamla
चलिए हम देखते हैं यह मामला है अहमद खान का 1985 शाहबानो जो कि मुस्लिम महिला है 70 के दशक की बात है मोहम्मद अहमद खान ने तलाक दे दिया मोहम्मद अहमद खान मध्य प्रदेश के फेमस वकील थे उन्होंने शाहबानो को तलाक दे दिया तलाक के बाद मुस्लिम नियम कहता है इद्दत की अवधि तक इन्हें भरण पोषण व्यवस्था दिया जाएगा उसका क्या होगा इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में निर्णय मुस्लिम महिला को भी तलाक लेने का अधिकार है और उसे जीवन पर्यंत एवं भरण पोषण भाजपा मिलना चाहिए यह निर्णय कॉमन सिविल कोर्ट की व्याख्या करता है भारत सरकार ने 1986 में मुस्लिम महिला भरण पोषण अधिनियम कानून बनाया तलाक से संरक्षण अधिनियम इस समय राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे उन्होंने इस बात को मानने से इंकार कर दिया डेनियल लतीफी वर्सेस यूनियन ऑफ इंडिया शाहबानो के वकील थे इन्होंने दोबारा सुप्रीम कोर्ट को चैलेंज दिया और सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भी इस बार भी वही रहा
यह जब मिलना चाहिए जब तक हक मिलना चाहिए जब तक कि remarriage ना हो जाए इस पर सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की पीठ ने इससे पर निर्णय देते हुए कहा यह मुस्लिम महिला के प्रति अत्याचार है साथ ही इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ भी है और यह सारी निर्णय कॉमन सिविल कोर्ट की ओर ले जाते हैं और 4/1 से यह मामला रद्द कर दिया!
TRIPLE TALAQ
इसमें शामिल है
तलाक ए हसन
तलाक अ हशन
तलाक ए शिद्दत
इसे तलाक का बिगड़ा हुआ रूप भी कहते हैं
आर्टिकल 45
यह आर्टिकल इस बात का उल्लेख करता है कि राज्य 6 साल तक के बच्चों के लिए पी एलिमेंट्री एजुकेशन और उनकी बाल्यावस्था की देखभाल के लिए प्रावधान करेगा
86 वा संविधान संशोधन 2002 के बाद यह प्रावधान किया गया इससे पहले यह इस ग्रुप 6 से लेकर के 14 साल के बच्चों को फ्री एंड कंपलसरी एजुकेशन की व्यवस्था करेगा इसे हटाकर इससे हमने आर्टिकल 21 के तहत मौलिक अधिकार का रूप दे दिया
आर्टिकल 46
इस बात का उल्लेख करता है कि राज्य एससी व एसटी के साथ-साथ दुर्लभ जाति के बच्चों के लिए भी एजुकेशन की व्यवस्था करेगा ताकि उन्हें सामाजिक अन्याय से बचाया जा सके
आर्टिकल 47
इस बात का उल्लेख करता है कि राज्य का प्राथमिक कर्तव्य है कि वह लोगों के जीवन स्तर लोगों के पोषण आहार और लोगों के स्वास्थ्य में सुधार करें साथ ही राज मादक पदार्थ धूम्रपान व खतरनाक दवाओं पर जो व्यक्तियों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थ पर रोक रोक लगाएं
आर्टिकल 48
इस बात का उल्लेख करता है राज्य कृषि और पशुपालन हेतु उच्च तकनीक का उपयोग करेगा राज पशुओं और विशेषकर गाय के वध पर रोक लगाएगा इस आर्टिकल में एक धारा A आज जोड़ी हुई है जो इस बात का उल्लेख करता है पर्यावरण के साथ-साथ वन और वन्य जीवो की रक्षा भी राज्य ही करेगा पर्यावरण संरक्षण को डीपीएसपी और मूल कर्तव्यों में यह common है यह 42 वा संविधान संशोधन द्वारा आर्टिकल 48 में धारा A जोड़ा गया चलिए हम बात करते हैं
आर्टिकल 49 की
जो इस बात का उल्लेख करता है हमारी विरासत हमारे स्मारक धार्मिक विरासत मंदिर उनको संरक्षण प्रदान करना राज्य का मूल कर्तव्य एवं कार्य है और यह हमारे मूल कर्तव्य है कि आर्कोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया इसका प्रोडक्शन करें
article 50
इस बात का उल्लेख करता है कि राज्य कार्यपालिका और न्यायपालिका को अलग-अलग करेगा एसडीएम एसडीओ आईएएस के पास न्यायपालिका की भी शक्ति होती है यह शक्ति का पृथक्करण सिद्धांत का उल्लंघन है
आर्टिकल 51
it is the base of Indian constitutional foreign policy
विदेश नीति का संविधान आधार ही है जो निम्न अलग-अलग बातों का उल्लेख करता है भारत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देगा
भारत सारे देशों के साथ न्याय संगत और सामान्य जनक न्याय को बढ़ावा देगा
भारत अंतरराष्ट्रीय संधि एवं समझौता को बढ़ावा देगा
भारत चाहता है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दे का निपटारा सामंजस्य हो
डीपीएसपी का महत्व
हमारे सामने अक्सर यह सवाल आता है कि डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट्स में बड़ा कौन है
जब हम इस बात को समझें कि डीपीएसपी और फंडामेंटल राइट्स में बड़ा कौन है चलिए कुछ मुद्दे जो कि सुप्रीम कोर्ट में आए उसे हम देखते हैं और समझते हैं क्या हुआ उनके निर्णय में एक मुद्दा
चंपाकम दौराई चंद्र 1951 एक मद्रास एक लड़की जो कि मेडिकल कॉलेज में एडमिशन चाहती थी पर उसे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलता है क्योंकि वहां जाति के बीच पर रिजर्वेशन है सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने याचिका दायर कर दिया उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कंपेयर टू डीपीएसपी द फंडामेंटल राइट इस बेटर फर्स्ट कॉन्स्टिट्यूशन अमेंडमेंट 1951 के तहत आर्टिकल 31 में और भी कुछ कानून न्यायपालिका से बाहर होंगे इस बात को बताता है अनुसूची 9 में हमने डाल दिया आपको पता है कि अनुसूची 9 में जाने वाले कानून पर दोबारा संशोधन नहीं किया जा सकता जब आर्टिकल 42 वा संविधान संशोधन हुआ तथा में आर्टिकल के तहत यह प्रावधान की गई डीपीएसपी को सभी फंडामेंटल राइट्स में प्राथमिकता दी जाएगी
और मजेदार बातें करते हैं दूसरा केस देखते हैं
मिनलावा मिल वर्सेस भारत संघ 1980 का मामला जब सुप्रीम कोर्ट ने सारे इस तरीके के प्रावधान को रद्द कर दे दिए कहा यह दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं
केटी साह इस बात पर यदि DPSP बातों पर टिप्पणी करते हुए कहा यह इस प्रकार का चेक है जिसका भुगतान बैंक की इच्छा पर निर्भर है क्योंकि वह राज्य पर निर्भर करता है इस एक साथ हमारे DPSP कंप्लीट हुआ और आगे हम फंडामेंटल ड्यूटीज के बारे में डिस्कशन करेंगे धन्यवाद एडमिन ............................Pk25ng
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