विधान परिषद ( Legislative Council)

 चलिए आगे बढ़ते हैं और आज बात करते हैं विधान परिषद की


 आर्टिकल 168 के

 तहत वर्तमान में 7 राज्यों में विधान परिषद है यह 7 राज्य हैं उत्तर प्रदेश बिहार कर्नाटक महाराष्ट्र आंध्रप्रदेश जम्मू एंड कश्मीर एवं तेलंगाना में विधान परिषद है हैं


 आर्टिकल 169

 विधान परिषद के गठन की प्रक्रिया का उल्लेख है जो कि निम्न प्रकार से हैं संबंधित राज्य की विधानसभा अपनी कुल सदस्य संख्या के बहुमत तथा उपस्थित व मतदान करने वाले के दो तिहाई बहुमत से इस संदर्भ में प्रस्ताव रखती है संसद के दोनों सदनों द्वारा अपने सामान्य बहुमत से स्वीकृति देने पर संबंधित राज्य में विधान परिषद का गठन हो जाता है

आर्टिकल 169 में ही विधानसभा परिषद की समाप्ति की प्रक्रिया का उल्लेख इसी प्रक्रिया से विधान परिषद समाप्त की जा सकती है


 आर्टिकल 171 में 

विधान परिषद की संरचना का उल्लेख है इसके अनुसार किसी भी विधान परिषद में अधिकतम सदस्य संख्या उस राज्य की विधानसभा के कुल सदस्य संख्या का 1/ 3 हो सकती है जबकि न्यूनतम सदस्य संख्या 40 होती है


उदाहरण के लिए देखते हैं मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा 

का 1/3 = 76.6 (77)  विधान परिषद होंगे


 जम्मू एंड कश्मीर में विधान परिषद सदस्य संख्या 31 है

 अप्रैल 2012 में राजस्थान विधानसभा द्वारा विधान परिषद गठन हेतु एक प्रस्ताव पारित किया गया प्रस्ताव में विधान परिषद की सदस्य संख्या 66 निर्धारित की गई इस प्रस्ताव पर अगस्त 2013 में राजस्थान में विधान परिषद के गठन हेतु राज्यसभा में एक विधेयक लाया गया 


आर्टिकल 171 के अनुसार विधान परिषद की संरचना इस प्रकार से है मतलब यह 77 लोग कौन होंगे यह 77 लोग 


#.राज्यपाल द्वारा मनोनीत करना  77 का 1/6 = 12.8 यानि 13 मेंबर


#. दूसरा विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित करना 

77 का 1/ 3 यानी कि 25.6(26) मेंबर 


#.जिला स्तर की पंचायत जिला परिषद तथा नगर पालिकाओं के सदस्यों द्वारा निर्वाचन

77 का 1/ 3 25.6(26)

 नगर पालिका में नगर निगम नगर परिषद शामिल है नगर पंचायत

#. माध्यमिक स्तर पर पिछले 3 वर्षों से पढ़ाने वाले शिक्षक द्वारा चुनाव s Level  total teacher का मंडल 

77 का 1/12 यानि कि 6.4 (6) 

#. स्नातको   3 वर्ष द्वारा निर्वाचन इनका भी निर्वाचन मंडल बनाया जाएगा

77 का1/12 यानि कि 6.4 (6) 


 इस तरह 13+26+26+6+6 = 77 इस तरह ये सदस्य होंगे



 आर्टिकल 172

 के तहत विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव एकल संक्रमणीय आनुपातिक मतदान प्रणाली द्वारा होता है 

आर्टिकल 173 

मैं यह उल्लेखित है कि विधान परिषद का 1/ 3 सदस्य प्रत्येक 2 वर्ष में अवकाश प्राप्त कर लेते हैं विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है हालांकि संविधान में यह स्पष्ट नहीं है विधान परिषद में सभापति व उपसभापति दोनों को चुनाव विधान परिषद के सदस्यों में से ही किया जाता है


 विधानमंडल के कार्य की 

#.कानूनों का निर्माण करना धन विधेयक को छोड़कर अन्य विधेयक को किसी भी सदन में रखे जा सकते हैं यदि विधान परिषद किसी विधेयक को पारित कर दें और विधानसभा उसे पारित करने से इंकार कर दें तो विधायक वहीं समाप्त हो जाता है विधानसभा यदि किसी विधेयक को पारित करके विधान परिषद में भेजती है तो उसे 3 माह में विधेयक पारित करना होता है अन्यथा विधेयक वापस विधानसभा में आ जाता है यदि विधानसभा इसे वापस पारित करके भेजती है विधान परिषद को उसे 1 महीने में पारित करना होता है अन्यथा पारित माना जाता है और अधिकतम 4 महीने तक रोका जा सकता है 



 बजट पारित करने की

 बजट एक मनी बिल है इस कारण से इसे हमेशा पहले विधानसभा में रखा जाता है विधान परिषद अधिकतम 14 दिन तक बजट धन विधेयक को रोक सकती है धन विधेयक के संदर्भ में विधान परिषद को भी राज्यसभा के भांति कोई पावर नहीं है संविधान संशोधनों को अनुमोदन देना आर्टिकल 368 के प्रावधानों के तहत संविधान के कुछ प्रावधानों को संशोधन के लिए राज्य विधानमंडल का अनुमोदन भी आवश्यक होता है 


 चुनाव संबंधित कार्यों की

 राष्ट्रपति का चुनाव केवल विधानसभा के निर्वाचक सदस्य 

#.राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव विधान सभा के निर्वाचित सदस्य करेंगे विधान परिषद के सदस्यों का चुनाव भी


 आज हमने विधान परिषद से संबंधित सभी तथ्य को अच्छे से देखा इसके अगले अध्याय में हम बात करेंगे इलेक्शन कमीशन और राजनीतिक दल की तब तक आप सब अपना ख्याल रखे आपको बहुत-बहुत धन्यवाद

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