आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं आज राज्यपाल के व्यवस्थापिका लेजिसलेटिव पावर ऑफ गवर्नर
आर्टिकल 168 के
तहत राज्य विधान मंडल में राज्यपाल, विधानसभा,तथा विधान परिषद तीनों शामिल होते हैं राज्यपाल विधान मंडल द्वारा पारित विधेयकों को स्वीकृति देते हैं जब भी कोई विधायक राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए आता है
तो स्वीकृति देने पर कानून बन जाता है एक बार पुनः विचार के लिए भेज सकते हैं विधानसभा के Bil को
लेकिन कुछ बिल को ना स्वीकृति देते और ना ही इंकार करते किसी विधेयक को राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेज सकते हैं इनका उल्लेख आर्टिकल 200 में है
आर्टिकल 200 स्पष्ट उल्लेखित है कि हाईकोर्ट के शक्तियों को कमी लाने वाला विधायक राज्यपाल द्वारा अनिवार्य रूप से राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु भेजा जाता है राज्यपाल अपने स्वविवेक से भी बिल को राष्ट्रपति के पास भेज सकता है
आर्टिकल 201 कि
इस प्रकार के विधायकों पर जो राष्ट्रपति के पास भेजे गए हैं राष्ट्रपति द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों का उल्लेख है राष्ट्रपति द्वारा विधेयक वापस भेजे जाने पर राज्यपाल उसे 6 महीने के भीतर विधानमंडल में रखवाते हैं
आर्टिकल 213
के तहत राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकते हैं राज्य सूची के मामले में विधानमंडल का अधिवेशन नहीं होने पर और साथ ही आर्टिकल 213 के अंतर्गत राज्यपाल उन्हीं विषयों पर अध्यादेश जारी कर सकते हैं जिन विषयों पर राज्य विधानमंडल को कानून बनाने का अधिकार है
राज्यपाल विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करते हैं तथा उन्हें विधानसभा सदस्य बनने की शपथ दिलाते हैं जी प्रोटेम स्पीकर जब तक पद पर रहता है जब तक विधानसभा का नया अध्यक्ष नियुक्त न कर लिया जाये एग्जांपल प्रोटेम स्पीकर वरिष्ठ सदस्य को ही बनाया जाए यह जरूरी नहीं
आर्टिकल 174
के तहत गवर्नर विधानमंडल के अधिवेशन बुलाते हैं सत्रावसान करते हैं तथा विधान मंडल विधान सभा एवं विधान परिषद विधानसभा एवं विधान परिषद दोनों विधान मंडल के अंतर्गत आते हैं तथा विधानसभा को भंग करते हैं लेकिन विधान परिषद यह कभी भंग नहीं होता
आर्टिकल 175
राज्यपाल विधानमंडल को संबोधित करते हैं यह स्पीच मंत्री परिषद द्वारा राज्यपाल को दिया जाता है तथा उन्हें विधानमंडल को संदेश भेजने का अधिकार है
आर्टिकल 176
के तहत राज्यपाल विधानसभा चुनाव के बाद के पहले सत्र को तथा वर्ष के अंतिम सत्र को अनिवार्य रूप से संबोधित करते हैं राज्य स्तर पर संयुक्त अधिवेशन का कोई प्रावधान नहीं है
आर्टिकल 191
विधान मंडल के सदस्यों की अयोग्यताओं का उल्लेख है देवालिया हो जाने लाभ का पद लेने मानसिक रूप से विकृत हो जाने अथवा भारत का नहीं रहने पर आर्टिकल 192 के तहत इनकी सदस्यता राज्यपाल के द्वारा समाप्त की जा सकती है
आर्टिकल 192 राज्यपाल को इस संदर्भ में भारत के चुनाव आयोग के साथ विचार विमर्श करना होता है इसी विचार विमर्श के आधार पर ही राज्यपाल को निर्णय लेना होता है
दल बदल के संदर्भ में राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है
आर्टिकल 333
के तहत विधानसभा में एक भी एंग्लो भारतीय निर्वाचित नहीं होने पर इस वर्ग को समुचित प्रतिनिधित्व देने के लिए एक एंग्लो इंडियन विधान सभा में मनोनीत किया जाता है
एग्जांपल बीएस येदुरप्पा कर्नाटक की सरकार का मामला
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने याद रखना इस ढाई दिन की सरकार ने कहा इस बार विधानसभा चुनाव में कोई भी anglo indian चुन कर नहीं आया है सीएम बोले नाम भेजता हूं आप नियुक्त करें गवर्नर ने नियुक्त भी कर दिया मामला सुप्रीम कोर्ट के पास गया उन्होंने मामला खारिज कर दिया बोला अभी आप ढाई दिन में विश्वास भी COM का सही ढंग से नहीं मिला और आप नाम कैसे भेज दीये
सीएम के सिफारिश पर विधान परिषद में मंत्री की नियुक्ति राज्यपाल नियुक्त करेंगे और यह अभी तक आपने गठन किया ही नहीं
आर्टिकल 171
के तहत राज्यपाल विधान परिषद में उनकी कुल सदस्य संख्या का 1 बटा 6 भाग मनोनीत करता है जो कि साहित्य विज्ञान कला सहकारी आंदोलन समाज सेवा के विशेषज्ञ होते हैं COM सिफारिश पर
आज हमने राज्यपाल की व्यवस्थापिका संबंधित शक्तियों के बारे में बखूबी अध्ययन किया इसके अगले अध्याय में हम राज्यपाल के वित्तीय शक्तियों के बारे में चर्चा करेंगे तब तक आप सब अपना ख्याल रखिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद
Emogi :
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Give me only suggestions and your opinion no at all Thanx