राज्यपाल के वित्तीय एवं न्यायिक शक्तियां ( departmental and Judiciary power of governor)

 चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं आज राज्यपाल के वित्तीय एवं न्यायिक शक्तियों के बारे में


 सबसे पहले बात करते हैं वित्तीय शक्तियां

 आर्टिकल 199 में

 धन विधेयक को परिभाषित किया गया है   धन विधेयक राज्यपाल के स्वीकृति के बाद ही विधानसभा में रखा जाता है 

वित्तीय शक्तियों के अंतर्गत हम तीन चीजों को पढ़ते हैं

० संचित निधि जिसका उल्लेख आर्टिकल 266 में

० आकस्मिक निधि जिसका उल्लेख 267 में 

०लोग निधि


 संचित निधि 

 आर्टिकल 266 में केंद्र और राज्य दोनों के संचित निधि का उल्लेख है इस संचित निधि से राज्य में काम कर रहे सरकारी कर्मचारियों को वेतन दिए जाते है


आकस्मिक निधि 

 की आर्टिकल 267 में इसका उल्लेख है आर्टिकल 267 राष्ट्रपति और राज्यपाल दोनों की आकस्मिक निधि का उल्लेख करता है  इस निधि से राज्यपाल के स्वीकृति के पश्चात ही धन खर्च किया जा सकता है


 लोग निधि की 

इसमें जिसने भी सरकारी कर्मचारी हैं  उनके वेतन में से कुछ हिस्सा कट जाता है और वह लोग निधि में जमा हो जाता है 


आर्टिकल 202 वित्त आयोग साल का बजट विधानसभा में रखता है 


आर्टिकल 243 -I तथा आर्टिकल 243 -y

आर्टिकल 243(i) 73 वा संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया के प्रावधानों के तहत राज्यपाल प्रत्येक 5 वर्ष में राज्य वित्त आयोग का गठन करते हैं और 73वें संविधान संशोधन द्वारा पंचायती राज व्यवस्था का हमने गठन किया है


 साथ ही 74 संविधान संशोधन द्वारा मुंसिपल पार्टी के प्रावधान जिला स्तर पर किया गया है 


1993 से पहले स्टेट फाइनेंस कमिशन ही नहीं था हर 5 साल बाद नया कमीशन तथा आर्टिकल 243 में निर्धारित कार्यों के अलावा राज्यपाल इस   वित्त आयोग को  अन्य कार्य भी सौंप सकते हैं 


राज्य निर्वाचन आयोग एक सदस्य संख्या है



 राज्यपाल के न्यायिक शक्तियों के बारे में 


आर्टिकल 217

 उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के समय राज्यपाल के साथ भी विचार-विमर्श किया जाता है

 आर्टिकल 219 

उच्च न्यायालय के सभी जजों को राज्यपाल अथवा उनके द्वारा अधिकृत व्यक्ति द्वारा शपथ दिलाई जाती है

 आर्टिकल 233

 राज्यपाल हाईकोर्ट से विचार विमर्श कर जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं 

आर्टिकल 234

 राज्यपाल हाई कोर्ट तथा SPSC के साथ विचार-विमर्श करके डिस्ट्रिक्ट judge के अलावा अन्य अधिकारियों की नियुक्ति करते हैं 


आर्टिकल 161

 के तहत राज्यपाल को भी क्षमादान की शक्तियां प्राप्त है इसके तहत किसी व्यक्ति की सजा को माफ कर सकते हैं स्थगित कर सकते हैं  अथवा प्रकृति बदल सकते हैं


 °राज्यपाल को भी मृत्युदंड के संदर्भ में शक्तियां प्राप्त होती हैं लेकिन वह मृत्युदंड को पूर्णता माफ नहीं कर सकते 


संविधान के कई अनुच्छेदों के तहत राज्यपाल को स्वविवेक शक्तियां प्राप्त है संविधानिक तंत्र के विफल हो जाने पर क्या करेंगे इसका उल्लेख मिलता है


 आर्टिकल 163 राज्यपाल की स्वविवेक शक्तियों के बारे में बताता है 

आर्टिकल 370

 जम्मू एंड कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान यहां गवर्नर राज्यपाल शासन लगाया जाता था 6 महीने के बाद राष्ट्रपति शासन में परिवर्तित हो जाता था  लेकिन अभी 1 साल पहले अगस्त 2019 में यह प्रावधान को हटा कर जम्मू एंड कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया है


आर्टिकल 371 

महाराष्ट्र में विदर्भ व मराठवाड़ा गुजरात के कच्छ सौराष्ट्र में विकास मंडलों की स्थापना राष्ट्रपति द्वारा कर सकते हैं यह सभी कार्य राज्यपाल द्वारा किए जाते हैं

 आर्टिकल 371(A)

इसके तहत नागालैंड  के राज्यपाल को नागालैंड में कानून व्यवस्था स्थापित  करने व विशेष दायित्व दिया गया  यहां उन्हें उनकी स्वीकृति से काम नहीं करना होता वे सीधे राष्ट्रपति के आदेश से काम करते हैं 

आर्टिकल 371(B) 

 असम में राज्यपाल को विशेष अनुमति प्रदान करता है 

आर्टिकल 371(C) 

से मणिपुर में गवर्नर को विशेष अनुमति प्रदान करता है

 आर्टिकल 371 (D,E) 

आंध्र प्रदेश यह एकमात्र राज्य है जिसमें सेंट्रल यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई है और स्थापना करने के लिए कॉन्स्टिट्यूशन में Amendment द्वारा नया आर्टिकल जोड़ा गया


चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं राज्यपाल की स्वविवेक  शक्तियों  वाले अनुच्छेदों में यह भी शामिल है

 आर्टिकल 371 (F)

की सिक्किम के विशेष अधिकार के बारे में बात करता है 35 वा संविधान संशोधन द्वारा संविधान में हमने आर्टिकल 2(A) नाम का एक नया आर्टिकल जोड़ा जो नए राज्यों के गठन के लिए आर्टिकल 368 प्रक्रिया का अनुपालन जरूरी नहीं फिर  सिक्किम राज्य कैसे  इसको एसोसिएट स्टेट नाम का एक नया कैटेगरी क्रिएट की गई थी आर्टिकल 2(A) जोड़ा और 36 वा संविधान संशोधन द्वारा आर्टिकल 2(A) को हटाकर आर्टिकल 371(f) जोड़ दिया

 

Art 170

अनुसार विधानसभा में मैक्सिमम 500 मेंबर व  minimum 60 member होने चाहिए लेकिन सिक्किम में यह संख्या 32 है तो इन के लिए विशेष आर्टिकल 371(F) चिड़िया के बढ़ते हैं और बात करते हैं के तहत आर्टिकल 371 विश्व के तहत विशेष अधिकार 

सिक्किम के लिए एक लोकसभा की सीट होगी व लोकसभा सदस्य का चुनाव सिक्किम के विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाएगा पहले सिक्किम में इसका कार्यकाल 4 वर्षों का होता था अब यह प्रावधान के लिए कॉन्स्टिट्यूशन में संशोधन जरूरी हो गया ना कि नए राज्यों के गठन के संदर्भ में



 आर्टिकल 371 (G)

 मिजोरम वहां की नदी वहां की जनजाति पहाड़ी का नाम भी शामिल है संसद का कोई भी कानून  जो मिजो  शब्द का उल्लंघन   या हस्तक्षेप करने वाला हो य करता है यहां लागू नहीं होंगे यह आर्टिकल 53 वा संविधान संशोधन 1985 द्वारा जोड़ा गया


 आर्टिकल 371 (H)

के तहत अरुणाचल प्रदेश 2 साल पहले राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था वहां और 356 में उल्लेख है कि राष्ट्रपति द्वारा वहां का राज्य सरकार भंग किया गया वहां के सीएम ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया सुप्रीम कोर्ट ने वहां के राज्यपाल को नोटिस दिया बाद में सुप्रीम कोर्ट ने माफी मांगी

 क्योंकि आर्टिकल 361 राज्यपाल को पद पर रहते हुए कोई भी  Court किसी भी प्रकार का नोटिस नहीं दे सकता सुप्रीम कोर्ट ने

3 1/2 महीने बाद  निर्णय दिया और राष्ट्रपति शासन रद्द कर दी और वहां के राज्य सरकार को पुनः स्थापित किया जो पहले थे इसके बीच 3  1/2  महीने बाद तक  नवाम तुक्की   नाम  के व्यक्ति सीएम रहे और  सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह 3 महीने की अवधि भूल जाएं

यह आर्टिकल 55 वा संविधान संशोधन 1985 द्वारा जोड़ा गया

 आर्टिकल 371 (I)गोवा के लिए 56 वा संविधान संशोधन द्वारा 1987 में जोड़ा गया 

आर्टिकल 371(J) कर्नाटक राज्य के लिए 98 संविधान संशोधन किया गया 





आज हमने राज्यपाल के विभागीय एवं न्यायिक शक्तियों के बारे में बखूबी अध्ययन किया इसके अगले अध्याय में हम राज्य विधानमंडल पर विस्तार से चर्चा करेंगे तब तक आप सब अपना ख्याल रखिए आपको बहुत-बहुत धन्यवाद


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