Financial and departmental committee(वित्तीय एवं विभागीय समिति के बारे में)

चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं वित्तीय एवं विभागीय समिति के बारे में



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पीएसी इसका उल्लेख मोटेग्यू  चेम्सफोर्ड सुधार अधिनियम 1919 में उल्लेख मिलता है इसकी स्थापना सर्वप्रथम 1921 में हुई इस समिति के कुल 22 सदस्य होते हैं लोकसभा से 15 व राज्यसभा से 07



 भारत सरकार द्वारा सीएजी के माध्यम से ऑडिटिंग रिपोर्ट जब राष्ट्रपति द्वारा संसद में रखा जाता है तो इसकी जांच पीएसी द्वारा की जाती है भारत सरकार के द्वारा खर्च किए गए और Auditing Data का रिपोर्ट होता है जांच का दोबारा संसद के पटल पर रखी जाती है



 जब कभी पीएसी में की रिपोर्ट में कोई टेक्निकल वर्ड समझ में ना आए नहीं आता है नहीं आ रहा है इस स्थिति में पीएसी सीएजी से गाइड या बुलाकर उसका मतलब पूछ सकती है इसी कारण सीएजी को पीएसी का फ्रेंड फिलॉस्फर या मार्गदर्शक कहा जाता है






 पीएसी का अध्यक्ष 1967 से विपक्ष का सांसद होता है जो पीएसी का मेंबर हो लोकसभा का वर्तमान में मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से कांग्रेस के सांसद हैं और पीएसी के अध्यक्ष जी इनका मतदान एकल संक्रमणीय पद्धति द्वारा सभी दल के सांसद भाग लेते हैं पर कोई मंत्री इसमें सदस्य नहीं होता



 प्राक्कलन या अनुमान समिति की 


इस समिति का गठन 1950 में किया गया टोटल 30 मेंबर पूरे सदस्य लोकसभा से होते हैं वित्त मंत्रालय अनुमानित तौर पर बजट रखती है   यह अनुमान वास्तविकता से कितना निकट है और  आकलन को नियंत्रित करने का काम करती है व पीएसी व पर नियंत्रण रखती है इस कारण इन दोनों समितियों को जुड़वा बहनें भी कहा जाता है 




आर्टिकल 109 धन विधेयक हमेशा लोकसभा में पहले इंट्रोड्यूस किया जाएगा बजट  एक प्रकार का धन विधेयक है इस प्रकार जनता का धन जनता के टैक्स में कमी या बढ़ाती करनी है इसका फैसला सबसे पहले लोकसभा में पूछा जाएगा क्योंकि लोकसभा में जनता के प्रतिनिधि होता है


 वर्तमान में मुरली मनोहर जोशी प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष हैं  सारे सदस्य लोकसभा के होते हैं इसे स्थाई मितव्वियत्ता समिति भी कहा जाता है क्योंकि अनुमान बजट को वास्तविकता में लाने का काम करती है और इस तरह सरकारी धन के अपव्यय को रोकने के सुझाव देती है 





अब हम बात करते हैं लोग उधम समिति की

 COPU कमेटी ऑफ पब्लिक एडिटिंग इसका मतलब ऐसा उधम जो सरकार का हो वहां सरकारी कर्मचारी हो लॉस प्रॉफिट सरकार को होता हो इसे लोक उद्यम कहते हैं इसकी जवाहरलाल नेहरू कट्टर समर्थक थे क्योंकि इससे जनता को रोजगार मिलता है 


1964 में कृष्णा मेनन हमारे देश के रक्षा मंत्री भी थे कृष्ण मिलन समिति की सिफारिश पर हमने लोक उद्यम पर नियंत्रण करने के लिए एक और फाइनेंस कमेटी लोग उधम समिति का गठन किया इसमें कुल 22 सदस्य होते हैं 15 लोकसभा से 07 FROM RS



  सीएजी अपनी रिपोर्ट दो भागों में संसद में को सौंप  ती है या पेश करती हैं सरकार का काम और भ्रष्टाचार संबंधित रिपोर्ट दूसरा लोक उद्यम द्वारा किए गए कार्य और इनके खर्च संबंधित रिपोर्ट इस रिपोर्ट पर सीपीयू जांच करती है 

शांता कुमार अभी वर्तमान में इसके अध्यक्ष हैं इनका कार्यकाल 1 वर्ष तीनों समिति का कार्यकाल 1 साल का होता है सरकारी कार्यों का नियंत्रण करती हैं इनमें तीन समितियों में कोई मंत्री सदस्य नहीं होता मत  एकल संक्रमणीय पद्धति द्वारा होता है


 संयुक्त संसदीय समिति की

 संयुक्त संसदीय समिति है समिति के विशेष मामले की जांच करने के लिए इन समितियों का गठन किया जाता है ऐसे मामले जो देश की जनता को प्रभावित करते हैं  या बड़ी मात्रा में हुई भ्रष्टाचार वाले मामले जीपीसी को गठन किया जाता है संसद के प्रस्ताव पारित करके जेपीसी का गठन किया जाता है संसद के दोनों सदन के अध्यक्ष और सभापति को लगे जेपीसी का गठन होना चाहिए यदि विपक्ष चाह रहा है कि इस पर जांच हो और जेपीसी का गठन किया जाए और यदि सत्ता पार्टी मान जाए तब जेपीसी का गठन किया जाता है  

आज तक पांच बार जेपीसी का गठन किया गया है
 1987 बोफोर्स घोटाले की जांच के लिए जिसकी अध्यक्षता  शंकर आनंद ने की थी 

1992  शेयर घोटाला रामनिवास मिर्धा जिसकी अध्यक्षता   रामनिवास मिर्धा किए थे

 1998 और 99 स्टॉक मार्केट घोटाला प्रकाश मणि त्रिपाठी जिसकी अध्यक्षता किए थे
चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं सीएसपी सुमित्र नारायण के द्वारा संचालित एनजीओ कोल्ड ड्रिंक में कीटनाशक पाए जाने के लिए इसकी जांच के लिए इसका गठन किए थे संत 2002 कितना तक वाला मामला जिसकी अध्यक्षता शरद पवार ने किया था 2011 में 2जी स्पेक्ट्रम का मामला जिसकी अध्यक्षता पीसी चाको ने किया था इस जीपीसी का कोई कार्यकाल नहीं होता जब तक जांच ना हो जाए रिपोर्ट सौंपने के बाद इसका कार्यकाल स्वता ही समाप्त हो जाता है इसके सदस्य संख्या निर्धारित नहीं है लेकिन   कुल 30 सदस्य होंगे लोकसभा से 20 और राज्यसभा से 10 इनका कार्य घोटाले से संबंधित व्यक्ति को नोटिस जारी कर सकती है जेपीसी की रिपोर्ट पर सरकार जांच बैठा सकती है





 विभागीय समिति की 



पीवी नरसिम्हा राव 1991 से 1995 तक प्रधानमंत्री रहे 1993 में हमने विभागीय समिति गठित की टोटल संख्या 24 समिति आती है इसके अंतर्गत प्रत्येक समिति में 31 सदस्य होते हैं सारे सदस्य मनोनीत होते हैं लोकसभा और राज्यसभा सदस्य समितियों के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष करते हैं 8 समितियों के राज्यसभा के अध्यक्ष करते हैं सभापति करते हैं



 वित्तीय समितियों में संसद के सारे सदस्य हैं छोटी पार्टी के सांसदों को मौका नहीं मिल पाता
 इन समितियों में सदस्य बन पाने का यहां विभागीय समिति में सारे सदस्यों को कहीं ना कहीं सदस्य बनने का मौका मिल जाता है 



फाइनेंशियर हमारे यहां 1 अप्रैल से शुरू होता है बजट 1 फरवरी को संसद में पेश हुआ 20 से 25 दिन इस पर चर्चा हुई अनुमान समिति इस बजट को वास्तविक रूप देने के लिए काम करती हैं और अपना रिपोर्ट सितंबर अक्टूबर में देती है 
 यह समिति इतना समय लेती है इसके लिए  इसका तोड़ निकालने के लिए विभागीय समिति बनाए गए कार्य बजट अनुमानों की जांच करना 


DC का  अनुमान समिति अपनी रिपोर्ट में  देरी कर देता है तब तक हमारा फाइनेंसर निकल चुका होता है इस समिति  को हमने DC बनाई अधिकांश सदस्य समिति में 15 सदस्य होते हैं



 बजट सत्र दो चरणों में पेश किया जाता है कारण


 पहला चरण माना बजट सत्र 1 फरवरी में स्टार्ट हुआ तो 15 फरवरी तक चर्चा हुई 1 मार्च से दोबारा शुरू होता है 15 से 20 दिनों का अवकाश मिलता है 20 दिनों के अवकाश में विभागीय अपने-अपने विभाग में बजट के अनुमानों की जांच करती हैं हमारे देश में 200 से ज्यादा विभाग हैं इसमें समितियां कैसे काम करेंगे एक समिति बहुत सारे संबंधित विभागों को सम्मिलित करती है कृषि विभाग में सिंचाई विभाग ग्रामीण विकास एग्रीकल्चर संबंधित मामले  सब कृषि विभाग के अंतर्गत आते हैं

 अनुमान समिति का महत्व की 



माना इस साल इसका रिपोर्ट काम नहीं आया लेकिन अगले साल इसका काम आता है जिसमें हम विभागीय समिति का अनुमान सही था या नहीं यह जान पाते हैं यह समिति भारत के अनुमानों की जांच करती हैं विभागीय समिति का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है विभागीय समितियां अपने विभाग से संबंधित जितने भी विधायक विभागीय समिति अपने विभाग संबंधी विधेयक संसद में रखे जाते हैं उनका गुण अवगुण संबंधित चर्चा करना अपने-अपने विभाग से संबंधित रिपोर्ट पर विचार विस्तार  करती है

 


 सरकारी आश्वासन समिति की 

किसी मंत्री द्वारा प्रश्नकाल के दौरान पूछे गए प्रश्न पर संबंधित मंत्री आश्वासन देकर यह मौखिक तौर पर उत्तर देता है यदि वह मंत्री आश्वासन देता है कि मैं इससे संबंधित चर्चा 12 दिन बाद संसद में करूंगा ऐसी स्थिति में यह समिति उस आश्वासन पर काम करती है इसमें कुल 15 सदस्य होते हैं 10 लोकसभा से राज्यसभा से 5 



महिलाओं के सशक्तिकरण पर बनी कमेटी 

इसमें 30 सदस्य होते हैं 20 लोकसभा से और राज्यसभा से 10 1997 में नियम समिति के अनुसार इस समिति का गठन किया गया 


कल्याण संबंधित सूची  एससीएसटीवेलफेयर के मामले में बताती है टोटल 30 सदस्य होते हैं लोकसभा 20 और राज्यसभा से 10



 गिलोटिन 


संसद के कार्य मंत्रणा समिति बजट सहित सभी की अनुदान मांगों को स्वीकृत करने के लिए समय सीमा निर्धारित करती है अंतिम दिन जिन मांगों पर चर्चा न हुई हो उन्हें भी मतदान के लिए रख दिया जाता है जिसमें अधिकांश मांगे बिना चर्चा के पारित हो जाती हैं जाती हैं








 आज हमने संसदीय प्रक्रिया के तहत वित्तीय एवं विभागीय  कमेटी के बारे में बहुत अच्छे से चर्चा किया इसके अगले अध्याय है बहुत खास है आप इंतजार करिए और हम पढ़ेंगे स्थानीय स्वशासन यानी कि लोकल गवर्नमेंट जिसमें आपकी गांव का सचिव आपके गांव का सरपंच आपकी गांव की पंचायत आप के शहर का जिला पंचायत आपके ब्लॉक का ब्लॉक पंचायत यह सब चीजें शामिल हैं और इनका कार्य किस तरीके से चलता है मिलते हैं अगले आर्टिकल में तब तक आप अपना ख्याल रखिए धन्यवाद
Emogi :

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