भारत के राज्य क्षेत्र
भारत के राज्य क्षेत्र का उल्लेख अनुच्छेद 1 से लेकर 4 तक किया गया है भारत को संविधान में भारत और इंडिया दोनों कहा गया है साथ ही से राज्यों का संघ भी कहा गया है अनुच्छेद 1 में
यहां हम शासन व्यवस्था के दो प्रणालियों
को अच्छे से समझेंगे एकात्मक शासन प्रणाली और संघात्मक शासन प्रणाली एकात्मक शासन प्रणाली का मतलब होता है ऐसा शासन जहां राज्य सरकारों का अस्तित्व ना हो संघात्मक शासन प्रणाली का मतलब होता है ऐसा शासन जहां राज्यों के साथ साथ केंद्र सरकार या केंद्र शासित प्रदेशों का अस्तित्व हो लेकिन संघात्मक शब्द का वर्णन यह उल्लेख कहीं भी नहीं है फेडरेशन का मतलब होता है इसमें यदि किसी देश से किसी छोटी राज्य से लगे कि वह अलग होना चाहता है वह अलग हो सकता है परंतु यह एकात्मक शासन व्यवस्था में नहीं होता भारत की शासन व्यवस्था संघात्मक शासन व्यवस्था है पर इसका उल्लेख संविधान में नहीं है भारत को यूनियन ऑफ द स्टेट कहा गया है जिसका मतलब होता है समझौता का परिणाम नहीं है कोई राज्य अलग नहीं हो सकता भारत एक अनश्वर है
भारत का मतलब होता है राज्य क्षेत्र में शामिल होंगे राज्य संघ शासित प्रदेश और अर्जित राज्य प्रदेश अनुच्छेद 1 में यह शब्द शामिल है अनुच्छेद 02 यदि भारत में कोई राज्य चाहे वह पाकिस्तान का हो या श्रीलंका का है या अन्य देश का इस स्थिति में वे राज्य का प्रक्रिया क्या होगी इस बात का उल्लेख मिलता है मतलब यदि कोई पाकिस्तान का राज श्री लंका का state भारत में शामिल होता है तो उसमें राज्य की प्रक्रिया और स्थिति क्या होगी इसका उल्लेख अनुच्छेद 02 में किया गया है संसद कानून बनाकर किसी बाहरी प्रदेश को भी शामिल कर सकता है
अनुच्छेद 3 29 राज्य एवं सात केंद्र शासित प्रदेश शामिल है इसी राज्य का नाम में परिवर्तन करना है किसी राज्य की सीमा नए राज्य का गठन और अन्य चीज है जो हम देश के अंदर किसी राज्य व संघ शासित प्रदेश के साथ किसी भी प्रकार का परिवर्तन कर सकते हैं इस बात का उल्लेख अनुच्छेद 3 में मिलता है या करना चाहते हैं तो इस स्थिति में अनुच्छेद 3 कहता है संसद में विधेयक लाकर इस प्रकार का परिवर्तन किया जा सकता है लेकिन संसद में बिल से पहले राज्य के विधानमंडल का परामर्श जरूरी होता है यह प्रश्न राष्ट्रपति संबंधित राज्य के विधानमंडल से पूछता है यह अवधि राष्ट्रपति तय करता है इसके बावजूद भी यदि संसद चाहे तो विधानमंडल के परामर्श के बिना भी संसद यह कार्य कर सकता है जैसे तेलंगाना राज्य का गठन
अनुच्छेद 4 जब किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन करना हो अनुच्छेद 2 और 3 में अनुच्छेद 2 और 3 इस नॉट फॉलो आर्टिकल 368 के अंतर्गत लागू नहीं होंगे
संविधान में संशोधन के 3 तरीके हो सकते हैं
01. सामान्य बहुमत
02.विशेष बहुमत जिस सदन में विधेयक लाया गया है उस सदन की कुल सदस्य संख्या का बहुमत
03.विशेष बहुमत आधे राज्यों का अनुमोदन
यह तीन ऐसी व्यवस्थाएं हैं ऐसे विधियां हैं जिसके आधार पर संविधान में संशोधन किया जाता है यदि अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संविधान संशोधन के तरीके केवल दो ही तरीके बताए गए विशेष बहुमत विशेष बहुमत आधे राज्यों का अनुमोदन
इससे यह पता चलता है कि किस राज्य की सीमा नाम गठन की बातें कर रहे हैं तो संविधान में संशोधन सामान्य बहुमत से ही हो रहा है यदि संविधान संशोधन अनुच्छेद 368 के अंतर्गत हुआ है तो इसे संविधान संशोधन में शामिल किया जाता है
यदि अनुच्छेद 2\3 में हुए संशोधन को संविधान संशोधन में शामिल नहीं किया जाता यदि अनुच्छेद में
अनुच्छेद 2[A]
अनुच्छेद 2[B]
अनुच्छेद 2[C]
अनुच्छेद 2[D]
अनुच्छेद 2[A] अनुच्छेद 2[A] यहां का मतलब होता है यह अनुच्छेद बाद में जोड़ा गया है और जो यह है वह एक अलग अनुच्छेद है अनुच्छेद 2[A] को 35 वा संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया जिसके तहत सिक्किम को शामिल किया गया इस ASSOCIATE बतौर जोड़ा गया इस संशोधन में हमने भारत के राज्य क्षेत्र में हमने एक और विचार से राज्य को जोड़ दिया है
अनुच्छेद 2[A] के अंतर्गत 36 वा संविधान संशोधन 35 वा संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया है अनुच्छेद 2[A]को समाप्त कर सिक्किम को राज्य की दर्जा दे दी गई है मतलब जिस के आंतरिक मामले में भी हम हस्तक्षेप ना करें केवल बाहरी मामला जैसे रक्षा मुद्रा विदेश नीति संचार में ही काम कर सकते हैं ऐसे राज्यों को एसोसिएट राज्य कहा जाता है
किसी भी राज्य के विधानसभा में न्यूनतम सदस्य संख्या 60 होनी चाहिए लेकिन सिक्किम में विधानसभा सदस्य संख्या 32 एसे इस विशेष प्रावधान को करने के लिए 36 व संविधान संशोधन किया गया नाक इस सिक्किम राज्य का गठन करने के लिए अनुच्छेद 368 तीनों का उल्लेख मिलता है संविधान संशोधन का उल्लेख हमारे संविधान संशोधन किस शक्ति संसद के पास है और यह शक्ति 368 में दी गई है एक मुद्दा को देखेंगे
गोलकनाथ वर्सेस पंजाब स्टेट यह मामला 1967 का है इसमें संसद ने कहा संसद को मौलिक अधिकार में परिवर्तन करने का कोई अधिकार नहीं है इस बात को पलट दिया गया केशवानंद भारती वर्ष 24 अप्रैल 1973 के मामले में 6 साल बाद पहली बार 13 जजों की बैठी थी सुप्रीम कोर्ट ने कहा संसद मौलिक अधिकार में बस नहीं संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती हैं और इस संशोधन को राष्ट्रपति अनिवार्य रूप से मान्यता देता है ऑर्डिनरी बिल राष्ट्रपति एक बार पुनः विचार के लिए वापस भेज सकता है संसद द्वारा संविधान संशोधन को नहीं यह अनिवार्यता वास्तविक 368 अनुच्छेद में नहीं था यह अनिवार्यता 24 संविधान संशोधन द्वारा अनिवार्यता कर दी गई राष्ट्रपति को इंदिरा गांधी के शासन काल में लेकिन संसद को संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर आधारभूत संरचना को ध्यान में रखना होता है
संविधान संशोधन करते समय संयुक्त अधिवेशन यदि विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है और राज्यसभा उसे पारित नहीं करता तब वहीं समाप्त हो जाता है लेकिन दूसरी स्थिति यदि वह विधायक लोकसभा से पारित हो गए हैं राज्यसभा में है ठीक उसी समय लोकसभा का कार्यकाल जो कि 5 वर्षों का होता है समाप्त हो गया इस स्थिति में भी हो सकती है लेकिन ठीक उल्टा यदि विधि विधायक राज्यसभा में पारित हो गया है और लोकसभा में पारित होती उससे पहले ही लोकसभा का कार्यकाल पूरा हो गया इस पर क्या विचार करेगी क्योंकि राज्य सभा के स्थाई रूम यह परमानेंट रूम कहलाता है
एग्जांपल क्या संविधान संशोधन कोई कोर्ट में रखा जा सकता है
क्या इसे चैलेंज किया जा सकता है हम आपको एक बात बताएं 99 वां संविधान संशोधन बिल 2015 जब कोर्ट में चुनौती दिया गया तब य\ भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने संविधान संशोधन रद्द कर दी अनुच्छेद 13 सुप्रीम कोर्ट ने 99 CONSTITUTION AMENDMENt RAD KR DIYA इसकी चर्चा हम आने वाले कल में करेंगे अभी हम यहां आर्टिकल 13 को ध्यान दे JO विधि शब्द को परिभाषित करती है अनुच्छेद क्या है मूल संविधान का भाग नहीं है 24 संविधान संशोधन द्वारा 1970 में जोड़ा गया संविधान संशोधन विधि शब्द की परिभाषा में नहीं आता मतलब जिसमें विधि शब्द का परिभाषा आता है इसे कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं ऐसा उल्लेख अनुच्छेद में है लेकिन संविधान संशोधन सुप्रीम कोर्ट में रखा जा सकता है लेकिन यह भी यदि संविधान में के आधारभूत संरचना को भंग नहीं करता तब यह बिल्कुल इस पर सुप्रीम कोर्ट निर्णय देगी आधारभूत संरचना ऐसी बातें जो संविधान निर्माताओं कै MANTA बताता है ऐसी बातें जो हमारे संविधान संसद में संविधान संशोधन के 124 विधायक 102 विधायक 368 अनुच्छेद का पालन करते हुए AMENTMENT HUA NEXT ARTICLE धन्यवाद मौलिक अधिकार फंडामेंटल राइट्स
भारत के राज्य क्षेत्र का उल्लेख अनुच्छेद 1 से लेकर 4 तक किया गया है भारत को संविधान में भारत और इंडिया दोनों कहा गया है साथ ही से राज्यों का संघ भी कहा गया है अनुच्छेद 1 में
यहां हम शासन व्यवस्था के दो प्रणालियों
को अच्छे से समझेंगे एकात्मक शासन प्रणाली और संघात्मक शासन प्रणाली एकात्मक शासन प्रणाली का मतलब होता है ऐसा शासन जहां राज्य सरकारों का अस्तित्व ना हो संघात्मक शासन प्रणाली का मतलब होता है ऐसा शासन जहां राज्यों के साथ साथ केंद्र सरकार या केंद्र शासित प्रदेशों का अस्तित्व हो लेकिन संघात्मक शब्द का वर्णन यह उल्लेख कहीं भी नहीं है फेडरेशन का मतलब होता है इसमें यदि किसी देश से किसी छोटी राज्य से लगे कि वह अलग होना चाहता है वह अलग हो सकता है परंतु यह एकात्मक शासन व्यवस्था में नहीं होता भारत की शासन व्यवस्था संघात्मक शासन व्यवस्था है पर इसका उल्लेख संविधान में नहीं है भारत को यूनियन ऑफ द स्टेट कहा गया है जिसका मतलब होता है समझौता का परिणाम नहीं है कोई राज्य अलग नहीं हो सकता भारत एक अनश्वर है
भारत का मतलब होता है राज्य क्षेत्र में शामिल होंगे राज्य संघ शासित प्रदेश और अर्जित राज्य प्रदेश अनुच्छेद 1 में यह शब्द शामिल है अनुच्छेद 02 यदि भारत में कोई राज्य चाहे वह पाकिस्तान का हो या श्रीलंका का है या अन्य देश का इस स्थिति में वे राज्य का प्रक्रिया क्या होगी इस बात का उल्लेख मिलता है मतलब यदि कोई पाकिस्तान का राज श्री लंका का state भारत में शामिल होता है तो उसमें राज्य की प्रक्रिया और स्थिति क्या होगी इसका उल्लेख अनुच्छेद 02 में किया गया है संसद कानून बनाकर किसी बाहरी प्रदेश को भी शामिल कर सकता है
अनुच्छेद 3 29 राज्य एवं सात केंद्र शासित प्रदेश शामिल है इसी राज्य का नाम में परिवर्तन करना है किसी राज्य की सीमा नए राज्य का गठन और अन्य चीज है जो हम देश के अंदर किसी राज्य व संघ शासित प्रदेश के साथ किसी भी प्रकार का परिवर्तन कर सकते हैं इस बात का उल्लेख अनुच्छेद 3 में मिलता है या करना चाहते हैं तो इस स्थिति में अनुच्छेद 3 कहता है संसद में विधेयक लाकर इस प्रकार का परिवर्तन किया जा सकता है लेकिन संसद में बिल से पहले राज्य के विधानमंडल का परामर्श जरूरी होता है यह प्रश्न राष्ट्रपति संबंधित राज्य के विधानमंडल से पूछता है यह अवधि राष्ट्रपति तय करता है इसके बावजूद भी यदि संसद चाहे तो विधानमंडल के परामर्श के बिना भी संसद यह कार्य कर सकता है जैसे तेलंगाना राज्य का गठन
अनुच्छेद 4 जब किसी भी प्रकार का कोई परिवर्तन करना हो अनुच्छेद 2 और 3 में अनुच्छेद 2 और 3 इस नॉट फॉलो आर्टिकल 368 के अंतर्गत लागू नहीं होंगे
संविधान में संशोधन के 3 तरीके हो सकते हैं
01. सामान्य बहुमत
02.विशेष बहुमत जिस सदन में विधेयक लाया गया है उस सदन की कुल सदस्य संख्या का बहुमत
03.विशेष बहुमत आधे राज्यों का अनुमोदन
यह तीन ऐसी व्यवस्थाएं हैं ऐसे विधियां हैं जिसके आधार पर संविधान में संशोधन किया जाता है यदि अनुच्छेद 368 के अंतर्गत संविधान संशोधन के तरीके केवल दो ही तरीके बताए गए विशेष बहुमत विशेष बहुमत आधे राज्यों का अनुमोदन
इससे यह पता चलता है कि किस राज्य की सीमा नाम गठन की बातें कर रहे हैं तो संविधान में संशोधन सामान्य बहुमत से ही हो रहा है यदि संविधान संशोधन अनुच्छेद 368 के अंतर्गत हुआ है तो इसे संविधान संशोधन में शामिल किया जाता है
यदि अनुच्छेद 2\3 में हुए संशोधन को संविधान संशोधन में शामिल नहीं किया जाता यदि अनुच्छेद में
अनुच्छेद 2[A]
अनुच्छेद 2[B]
अनुच्छेद 2[C]
अनुच्छेद 2[D]
अनुच्छेद 2[A] अनुच्छेद 2[A] यहां का मतलब होता है यह अनुच्छेद बाद में जोड़ा गया है और जो यह है वह एक अलग अनुच्छेद है अनुच्छेद 2[A] को 35 वा संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया जिसके तहत सिक्किम को शामिल किया गया इस ASSOCIATE बतौर जोड़ा गया इस संशोधन में हमने भारत के राज्य क्षेत्र में हमने एक और विचार से राज्य को जोड़ दिया है
अनुच्छेद 2[A] के अंतर्गत 36 वा संविधान संशोधन 35 वा संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया है अनुच्छेद 2[A]को समाप्त कर सिक्किम को राज्य की दर्जा दे दी गई है मतलब जिस के आंतरिक मामले में भी हम हस्तक्षेप ना करें केवल बाहरी मामला जैसे रक्षा मुद्रा विदेश नीति संचार में ही काम कर सकते हैं ऐसे राज्यों को एसोसिएट राज्य कहा जाता है
किसी भी राज्य के विधानसभा में न्यूनतम सदस्य संख्या 60 होनी चाहिए लेकिन सिक्किम में विधानसभा सदस्य संख्या 32 एसे इस विशेष प्रावधान को करने के लिए 36 व संविधान संशोधन किया गया नाक इस सिक्किम राज्य का गठन करने के लिए अनुच्छेद 368 तीनों का उल्लेख मिलता है संविधान संशोधन का उल्लेख हमारे संविधान संशोधन किस शक्ति संसद के पास है और यह शक्ति 368 में दी गई है एक मुद्दा को देखेंगे
गोलकनाथ वर्सेस पंजाब स्टेट यह मामला 1967 का है इसमें संसद ने कहा संसद को मौलिक अधिकार में परिवर्तन करने का कोई अधिकार नहीं है इस बात को पलट दिया गया केशवानंद भारती वर्ष 24 अप्रैल 1973 के मामले में 6 साल बाद पहली बार 13 जजों की बैठी थी सुप्रीम कोर्ट ने कहा संसद मौलिक अधिकार में बस नहीं संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती हैं और इस संशोधन को राष्ट्रपति अनिवार्य रूप से मान्यता देता है ऑर्डिनरी बिल राष्ट्रपति एक बार पुनः विचार के लिए वापस भेज सकता है संसद द्वारा संविधान संशोधन को नहीं यह अनिवार्यता वास्तविक 368 अनुच्छेद में नहीं था यह अनिवार्यता 24 संविधान संशोधन द्वारा अनिवार्यता कर दी गई राष्ट्रपति को इंदिरा गांधी के शासन काल में लेकिन संसद को संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर आधारभूत संरचना को ध्यान में रखना होता है
संविधान संशोधन करते समय संयुक्त अधिवेशन यदि विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है और राज्यसभा उसे पारित नहीं करता तब वहीं समाप्त हो जाता है लेकिन दूसरी स्थिति यदि वह विधायक लोकसभा से पारित हो गए हैं राज्यसभा में है ठीक उसी समय लोकसभा का कार्यकाल जो कि 5 वर्षों का होता है समाप्त हो गया इस स्थिति में भी हो सकती है लेकिन ठीक उल्टा यदि विधि विधायक राज्यसभा में पारित हो गया है और लोकसभा में पारित होती उससे पहले ही लोकसभा का कार्यकाल पूरा हो गया इस पर क्या विचार करेगी क्योंकि राज्य सभा के स्थाई रूम यह परमानेंट रूम कहलाता है
एग्जांपल क्या संविधान संशोधन कोई कोर्ट में रखा जा सकता है
क्या इसे चैलेंज किया जा सकता है हम आपको एक बात बताएं 99 वां संविधान संशोधन बिल 2015 जब कोर्ट में चुनौती दिया गया तब य\ भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने संविधान संशोधन रद्द कर दी अनुच्छेद 13 सुप्रीम कोर्ट ने 99 CONSTITUTION AMENDMENt RAD KR DIYA इसकी चर्चा हम आने वाले कल में करेंगे अभी हम यहां आर्टिकल 13 को ध्यान दे JO विधि शब्द को परिभाषित करती है अनुच्छेद क्या है मूल संविधान का भाग नहीं है 24 संविधान संशोधन द्वारा 1970 में जोड़ा गया संविधान संशोधन विधि शब्द की परिभाषा में नहीं आता मतलब जिसमें विधि शब्द का परिभाषा आता है इसे कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं ऐसा उल्लेख अनुच्छेद में है लेकिन संविधान संशोधन सुप्रीम कोर्ट में रखा जा सकता है लेकिन यह भी यदि संविधान में के आधारभूत संरचना को भंग नहीं करता तब यह बिल्कुल इस पर सुप्रीम कोर्ट निर्णय देगी आधारभूत संरचना ऐसी बातें जो संविधान निर्माताओं कै MANTA बताता है ऐसी बातें जो हमारे संविधान संसद में संविधान संशोधन के 124 विधायक 102 विधायक 368 अनुच्छेद का पालन करते हुए AMENTMENT HUA NEXT ARTICLE धन्यवाद मौलिक अधिकार फंडामेंटल राइट्स
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