संविधान की प्रस्तावना (Preamble of constitution)

                             संविधान की प्रस्तावना (Preamble of constitution)


 संविधान की प्रस्तावना को आज हम दो बड़े मामले जो कि सुप्रीम कोर्ट में आए और उनका निर्णय क्या रहा इससे हमें पता चलता है कि संविधान की प्रस्तावना क्या है और कैसे


 प्रथम बेरुबारी बाद 1960 का मामला जिसमें राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट से सलाह ली थी और बेरुबारी  बाद में सर्वप्रथम सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का भाग नहीं है ठीक 13 साल बाद 24 अप्रैल 1973


  केशव नंद भारती वर्सेस केरल राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया   केशव नंद भारती वर्सेस केरल राज्य के मामले  भारत के राजनीतिक और संवैधानिक न्यायिक इतिहास का सबसे बड़ा मामला माना जाता है यह मामला जिसमें 13 न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई के लिए एक साथ बैठी थी जिसके अध्यक्ष ए के जस्टिस थे इस बाद में स्पष्ट कहा गया की प्रस्तावना संविधान का भाग है प्रस्तावना में भी उसी तरह संशोधन किया जा सकता है जिस तरह  संविधान के अन्य भागों में संशोधन किया जा सकता है 

 A.S.R. मुंबई वर्सेस यूनियन ऑफ द इंडियन 1994 इस मामले में यह मामला कर्नाटक के सीएम और उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था वहां के राज्यपाल द्वारा अनुच्छेद 356 के अंतर्गत संवैधानिक संकट की बात कहते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया था इस मामले में संविधान ने कहा प्रस्तावना संविधान के आधारभूत संरचना है कोर्ट ने कहा प्रस्तावना क्या है यह वह दस्तावेज है इसमें तीन बातें स्पष्ट होती हैं संविधान का उद्देश्य क्या है संविधान के नियम क्या है और कानून लागू होने की तिथि भारतीय संविधान का स्रोत क्या है हम भारत के लोग यह शब्द प्रस्तावना में उल्लेखित है इसका मतलब है संविधान का स्रोत जनता है और दूसरा मतलब है जनता सुप्रीम है 



लोकतंत्रात्मक लोकतंत्रात्मक प्रकृति संविधान के प्रस्तावना में उल्लेखित हैं अब्राहिम लिंकन एसे जनता का शासन जनता के द्वारा और जनता के लिए बताया था लोकतंत्र को हम दो प्रमुख भागों में बांट सकते हैं 

प्रत्यक्ष लोकतंत्र
 व अप्रत्यक्ष लोकतंत्र

 प्रत्यक्ष लोकतंत्र की बात करें इसमें शासन जनता के द्वारा की जाती है 

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र इसमें जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा शासन की जाती है भारत में लोकतंत्र है लेकिन भारत में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है गणतंत्र शब्द का उल्लेख भी प्रस्तावना को देखने से ही पता चलता है 

धर्मनिरपेक्ष पंथनिरपेक्ष मतलब सभी धर्म को सम्मान बढ़ावा देना किसी एक धर्म को नहीं और यह शब्द भी भारतीय संविधान के प्रस्तावना में उल्लेखित हैं समाजवादी  विश्व की शासन व्यवस्था दो मुख्य आधार पर टिकी है

 पूंजीवाद एवं समाजवाद

 समाजवाद का मतलब निजी संपत्ति का अस्तित्व ना होना जहां सारी संपत्ति पर सरकार का अधिकार होता है इस प्रकार की व्यवस्था को हम समाजवादी व्यवस्था कह सकते हैं 1991 में जब हमने एलपीजी लिबरलाइजेशन  एंड ग्लोबलाइजेशन वैश्वीकरण जैसी बातों को अपनाया  तब यह बात समाजवाद प्रसांगिक हो गई उद्देश जहां संविधान की प्रस्तावना की बात होती है वही प्रस्तावना है यहां भारत में 395 अनुच्छेद 12 अनुसूचियां व भाग शामिल हैं भारत का संविधान लिखित संविधान है 

जहां पर तीन चीजों को स्थापित करने का प्रमाण मिलता है

 न्याय स्थापित करना न्याय सामाजिक न्याय आर्थिक न्याय एवं राजनैतिक न्याय
 दूसरा स्वतंत्रता स्थापित करना 
समानता स्थापित करना

 डीपीएसपी डायरेक्टर प्रिंसिपल ऑफ द स्टेट पॉलिसी के अंतर्गत अनुच्छेद 38 में सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय का उल्लेख है आर्टिकल 19 मौलिक अधिकार के बारे में बताता है प्रस्तावना में विचार अभिव्यक्ति  विश्वास धर्म व उपासना  जैसे स्वतंत्रता प्रस्तावना में उल्लेखित हैं 

अवसर की समानता अवसर की समानता इसका मतलब और इसका उल्लेख आर्टिकल 16 व प्रस्तावना में भी देखने को मिलती है स्वतंत्रता समानता और बंधुत्व यह शब्द फ्रांस से लिए गए हैं यह फ्रांस की क्रांति के नारे हैं इसका उल्लेख भी प्रस्तावना को देखने को मैं मिलता है मौलिक कर्तव्य अनुच्छेद 51Aके चार भाग में है संविधान के लागू होने की तिथि 26 नवंबर 1949 के तारीख भी प्रस्तावना में उल्लेखित है एडेप्ट या अधिकृत अधिनियम करना मतलब लागू करना आपसे हमको मैं अपना सभी उल्लेख संविधान की प्रस्तावना में हैं प्रस्तावना में भारत शब्द का उल्लेख दो बार किया गया है


 42 वें संविधान संशोधन 1976 अनेक संशोधन हुए लेकिन प्रस्तावना में अब तक एक बार ही संशोधन हुआ है और वह है 42वां संविधान संशोधन को देखने हैं मैं पता चलता है पंथनिरपेक्ष समाजवाद अखंडता यह तीनों शब्द जोड़े गए हैं 42 वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में प्रस्तावना का महत्व ठाकुरदास भार्गव के अनुसार हमारे प्रस्तावना संविधान की आत्मा कहा जाता है संविधान का सबसे महत्वपूर्ण भाग प्रस्तावना है प्रस्तावना संविधान का आभूषण है केएम मुंशी यह प्रारूप समिति के सदस्य थे इन्होंने प्रस्तावना को लेकर कहा प्रस्तावना संविधान की जन्म कुंडली है प्रस्तावना में लिखा शब्द हमारे संविधान के सदस्य चाहते क्या थे इसका उल्लेख भी मिलता है 




आज हमने संविधान की प्रस्तावना के बारे में जानकारी इकट्ठा की अगला पोस्ट हमारा भारत का राज्य क्षेत्र पर होगा हमारे आर्टिकल को पढ़ें और नए पोस्ट की इंतजार करें और नोटिफिकेशन पाने के लिए ईमेल आईडी सबमिट करें और हमारी यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें और जो भी गलतियां हो रही हैं उसके लिए हमें फीडबैक कमेंट के माध्यम से बताएं आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद और हां हम पॉलिटिकल साइंस के पूरे नोट्स Apne internet site par uplabdh Karenge thank you..................................................PK25NG

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