न्यायाधीशों को हटाने की एवं उनके खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव की (Today the proposal to remove the judges and to be brought against them)

 आज न्यायाधीशों को हटाने की एवं उनके खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव की 



आर्टिकल 124 (4) में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया तथा उनके आधारों का उल्लेख है 


आर्टिकल 124 (5) के तहत जांच की प्रक्रिया का निर्धारण संसद कानून बनाकर करती है आर्टिकल 124( 5) के आधार पर न्यायाधीश जांच अधिनियम 1968 तथा न्यायाधीश जांच नियम 1969 बनाए गए हैं 


आर्टिकल 217(1) के अनुसार उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को उसी विधि से हटाया जाता है जिस विधि से आर्टिकल 164 के तहत सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाया जाता है



 न्यायाधीशों के हटाने हेतु प्रस्ताव किसी भी सदन में लाया जा सकता है 1968 के अधिनियम के तहत प्रस्ताव लोकसभा में लाए जाने पर कम से कम 100 तथा राज्यसभा में लाए जाने पर कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन अवश्य होता है यह संविधान में उल्लेख नहीं है 


आर्टिकल 124 (4 ) के तहत साबित कदाचार  या मिसबिहेवियर अथवा क्षमता के आरोप में इन्हें हटाने हेतु प्रस्ताव लाया जा सकता है न्यायाधीश के संदर्भ में कदाचार शब्द संविधान में परिभाषित नहीं है 1968 के अधिनियम के तहत न्यायाधीश पर लगे आरोपों की जांच एक समिति के द्वारा की जाती है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एक जज हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तथा विधि का जानकार व्यक्ति सदस्य के रूप में होते हैं



संबंधित सदन के अध्यक्ष इस समिति का गठन करते हैं समिति अपना प्रतिवेदन रिपोर्ट इसी अध्यक्ष को सौंप दी है इस रिपोर्ट के आधार पर यदि संबंधित अध्यक्ष सदन में चर्चा करवाना चाहता है तो उसे 14 दिन पहले उस मुख्य न्यायाधीश को सूचना देनी होगी न्यायाधीश अपना पक्ष रख सकते हैं खुद अ सकते हैं या किसी और को भेज सकते हैं यदि सदन अपनी टोटल मेंबर के बहुमत तथा उपस्थित व मतदान करने वालों के दो तिहाई बहुमत इनमें से जो भी अधिक हूं से प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है तो प्रस्ताव दूसरे सदन में जाता है मनोनीत सदस्य भी भाग लेते हैं



यदि दूसरे सदन भी उसी सत्र में इसी प्रक्रिया से प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है तो न्यायाधीश का पद रिक्त माना जाता है इस प्रक्रिया के दौरान भी न्यायाधीश को सभी शक्तियां और सुविधाएं प्राप्त होती हैं


  न्यायधीश कभी निलंबित नहीं होते इस प्रस्ताव को पारित करने के लिए संयुक्त अधिवेशन नहीं बुलाया जाता ऐसे प्रस्ताव जहां विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है दोनों हाउस को समान रूप से शक्तियां प्राप्त होनी चाहिए इसी कारण संयुक्त अधिवेशन नहीं बुलाया जाता 



एसपी सिन्हा इलाहाबाद   हाई कोर्ट के जज थे 1949 में हटाया गया था इस प्रस्ताव के द्वारा वी रामास्वामी उन्हें हटाने के लिए लोकसभा में प्रस्ताव लाया गया था उस समय इस प्रस्ताव पर चर्चा करने से पहले 14 दिन पहले वी रामास्वामी को सूचना दी गई आप अपना पक्ष रख सकते हैं उन्होंने कपिल सिब्बल को अपना पक्ष रखने के लिए भेजा प्रस्ताव प्रक्रिया में तो सारे लोगों ने भाग लिया परंतु मत के दौरान कांग्रेस के सारे सदस्य हाउस छोड़ कर बाहर चले गए 


लोकसभा में 545 सदस्य होते हैं टोटल उसमें से दो तिहाई बहुमत यानी के 273 होनी चाहिए लेकिन मत 273 से ज्यादा बहुमत नहीं था इसी कारण यह प्रस्ताव खारिज हो गया

नवीन चावला एकमात्र चुनाव आयुक्त थे जिन को हटाने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा राष्ट्रपति के पास प्रस्ताव लाया गया 


दीपक मिश्रा सुप्रीम कोर्ट के एकमात्र चीफ जस्टिस थे 

जिन्हें हटाने के लिए मई 2018 में राज्य सभा में प्रस्ताव लाया गया था लेकिन सभापति वेंकैया नायडू ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया कांग्रेस ने यह प्रस्ताव लाया राज्यसभा में 61 सदस्यों द्वारा यह प्रस्ताव रखा गया फिर भी खारिज कर दी गई क्योंकि हम इसको पहले ही समझ चुके हैं कि राज्य सभा में प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम आपको 50 लोगों को समर्थन जरूरी है लेकिन यहां तो संख्या 61 फिर इसको का खरिज करने की क्या वजह थी कांग्रेश इस प्रस्ताव को फिर सुप्रीम कोर्ट में रखें चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के पास तुरंत बाद   कांग्रेस ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया



सौमित्र सेन कोलकाता 2009 कॉमेटी 2011 में किया

पी. डी दिनाकरण कर्नाटक एवं  Sikkim corruption का मामला दोनों का इनके प्रति भी प्रस्ताव लाया गया था चर्चा होती इससे पहले इस्तीफा दे दिया इन दोनों ने


पी. डी दिनाकरण

 पहले कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे बाद में इनका ट्रांसफर  Sikkim में हुआ सिक्किम के वकीलों ने इनके खिलाफ  अविश्वास प्रस्ताव  लाया गया चर्चा होती इससे पहले इस्तीफा


 दूसरा है सौमित्र सेन कोलकाता 2009  एकमात्र  nyayadhish जो खुद अपना पक्ष रखें और यह राज्यसभा में पारित हो गया प्रस्ताव लोकसभा में गया जिस दिन चर्चा होने वाला था उसके 1 दिन पहले अपने इस्तीफा दे दिया अपेक्षित बहुमत से


 जेपी पातरीवाला गुजरात 2015 का मामला एस के सेंगले  जो कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर 2018 का मामला चार ऐसे न्यायाधीश हैं जिन्हें हटाने हेतु राज्य सभा में प्रस्ताव लाया गया है 

 

एस के सेंगले पर लगे आरोपों की जांच करने हेतु गठित समिति ने आरोपों को खारिज कर दी 


1999 में हाउस प्रोसीजर उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर लगे आरोपों की जांच करने हेतु स्वयं न्यायपालिका द्वारा इन हाउस प्रोसीजर अपनाया गया था यह सात चरणों की प्रक्रिया से एसएन शुक्ला इलाहाबाद के न्यायाधीश ने जिन्हें हटाने के लिए मुख्य न्यायाधीश ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को जनवरी 2018 में  पत्र लिखा



 न्यायाधीशों के वेतन एवं भत्ते की 


आर्टिकल 125 संसद द्वारा पारित सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीश वेतन व शर्त अधिनियम 2009 के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को ₹100000 व अन्य न्यायाधीशों का वेतन 90000 हाल ही में था लेकिन केंद्र सरकार द्वारा यह वेतन संबंधित सूचना में वेतन 280000 चीफ जस्टिस को व अन्य न्यायाधीशों को ढाई लाख रुपये कर दी गई सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए वेतन सेवा निवृत्ती वेतन की व्यवस्था सर्वप्रथम 1976 में की गई थी


  सूचना प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग क्या है 

कोर्टनिक ---  जिसके माध्यम से देश भर के कोई भी व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मुकदमे की स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है इसी कारण देश के सभी उच्च न्यायालयों को   कंप्यूटरीकृत किया जा रहा है 


कोर्ट  status EK website hai Jiska  माध्यम से अभियोजन पक्ष या अधिवक्ताओं को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की स्थिति बताई जाती है

 judis. यह nic द्वारा  prachalit operated Ek nyayik Suchna padhati Hai Jis Ke antargat CD-ROM per  वर्ष 1950-2000  SC के सभी मामलों का निर्णय दिया गया




आज हम ने सुप्रीम कोर्ट से संबंधित सभी अध्याय कंप्लीट किए इसके अगले आर्टिकल में हम हाई कोर्ट से संबंधित तथ्य को पड़ेंगे और समझेंगे तब तक आप सब अपना ख्याल रखिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

Emogi :

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Give me only suggestions and your opinion no at all Thanx