लोकपाल(Lokpal)

 चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं आज लोकपाल व्यवस्था की 


#.विश्व का पहला ओंम्बुद्समैन 1809 स्वीडन में स्थापित हुआ था

#.लोकपाल ओंम्बुद्समैन का ही भारतीय संस्करण है 

# ओंम्बुद्समैन    स्वीडन भाषा के एक शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है जन शिकायतों को सुनने वाला

#.भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अपने दायित्व को सही निर्वहन करते हैं या नहीं इनका शिकायत सुनने के लिए सेंट्रल लेवल पर लोकपाल व राज्य लेवल पर लोकायुक्त होते हैं 

#.1963 में  लक्ष्मीमल्ल सिंघवी ने लोकपाल शब्द दिया था

#.1966 में मैं मोराजी देसाई की अध्यक्षता में प्रशासनिक सुधार आयोग की स्थापना हुई थी एडमिनिस्ट्रेटर रिफॉर्म कमिशन मोरारजी देसाई के मंत्री बन जाने पर के हनुमंतैय्या इस आयोग के पहले अध्यक्ष बने आयोग ने अपना अंतिम प्रतिवेदन 1968 में दिया आयोग की सिफारिश पर मई 1968 में इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा लोकपाल की स्थापना हेतु लोकसभा में विधेयक लाया गया 

#.अब तक 10 बार  विधेयक लाया जा चुका है दिसंबर 2019 में अंतिम बार लाया गया था इससे पहले मनमोहन की सरकार ने लोकपाल व लोकायुक्त को संवैधानिक दर्जा देने के लिए 116 संविधान संशोधन विधेयक भी लाया था लेकिन यह बिल पारित नहीं हो पाया लोकपाल व लोकायुक्त विधेयक 2013 को 1 जनवरी 2014 को राष्ट्रपति ने अपनी स्वीकृति दी 



लोकपाल व लोकायुक्त अधिनियम 2013 की विशेषताएं हैं


लोकपाल एक सदस्य संख्या है जिसमें एक सभापति के अलावा 8 सदस्य होंगे 

#.ये आठ  कम से कम आधे सदस्य ऐसे व्यक्ति होंगे जो न्यायिक पृष्ठभूमि से हो उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश या हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस हो सकता है और यह जो आठ का आंकड़ा है यह सदस्य एससी एसटी ओबीसी महिला तथा अल्पसंख्यक से होने चाहिए 


 इनकी योग्यता की 

०सभापति के पद पर ऐसा व्यक्ति नियुक्त किया जाएगा जो या तो सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस हो या चीफ जस्टिस रह चुका हो या सर्वोच्च न्यायालय में चीफ जस्टिस हो रह चुका हो अथवा समाज का प्रभुत्व वर्ग का व्यक्ति हो

० मिनिमम एज 45 वर्ष होनी चाहिए

० प्रशासनिक अधिकारी को 25 वर्षों का अनुभव होना चाहिए 

०प्रशासनिक अधिकारी होने पर उनके प्रति कोई नोटिस नहीं होना चाहिए

० सामान्य नागरिक हैं तो पब्लिक में किसी प्रकार का कोई मुकदमा नहीं होना चाहिए 

०राजनीति से दूर दूर तक संबंध नहीं होना चाहिए


 इनकी नियुक्ति की 

कॉलेजियम की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा इनकी नियुक्ति की जाती है लेकिन इस कॉलेजियम में कौन शामिल रहेगा 

 इसको समझते हैं 

०प्रधानमंत्री इस कॉलेजियम का अध्यक्ष होता है 

०चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया

० लोकसभा का स्पीकर 

०लोकसभा में विपक्ष का नेता 

०राष्ट्रपति  द्वारा नियुक्त एक अन्य व्यक्ति सदस्य होंगे

 इन चारों के सिफारिश पर लोकपाल नियुक्त किया जाता है दर्जा सभापति का दर्जा भारत के मुख्य न्यायाधीश तथा सदस्य का दर्जा सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बराबर होगा 

 

इनके कार्यकाल की 

5 /70 5 वर्ष का कार्यकाल सेवानिवृत्ति की आयु 70 वर्ष

#.कोई भी व्यक्ति अपने पद पर पुनःनियुक्त नहीं हो सकता सेवानिवृत्ति के बाद भारत सरकार या किसी भी राज्य सरकार के अधीन कोई लाभ का पद नहीं लिया जा सकता चुनाव नहीं लड़ सकता है


 इनको हटाया कैसे जाए 

इस संदर्भ में संसद में कम से कम 100 सदस्यों द्वारा राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्ताव रखा जाता है और उनका आधार कदाचार अक्षमता के आरोप में प्रस्ताव लाया जा सकता है राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से इस प्रस्ताव की जांच करवाते हैं आरोप सही पाए जाने पर राष्ट्रपति उन्हें हटाते हैं जांच के दौरान राष्ट्रपति उन्हें निलंबित कर सकते हैं



 इनकी शक्तियों की

 सीपीसी सिविल प्रोसीजर कोड 1960 के तहत लोकपाल को निम्न न्यायिक शक्तियां प्राप्त है 

०समन जारी करना 

०शपथ पत्र पर गवाही लेना 

०गवाही की ऑडिट वीडियो रिकॉर्डिंग करना 

०इसके अलावा लोकपाल को निम्न शक्तियां भी हैं 

०आरोपित अधिकारी का स्थानांतरण आदेश दे सकता है 

०सीबीआई से जांच करवा सकता है इस दौरान सीबीआई लोकपाल के प्रति उत्तरदाई होगी 

०लोकपाल के स्वयं के न्यायालय होंगे जिन्हें 3 महीने में मामला का निपटारा करना होगा और यह मैक्सिमम 12 महीने हो सकते हैं 

०दोषी अधिकारी से भ्रष्टाचार की राशि वसूल कर सकता है 



 लोकपाल का क्षेत्राधिकार 

प्रधानमंत्री लेकिन उनके द्वारा परमाणु ऊर्जा आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था के बारे में लिए गए निर्णय के दायरे से बाहर होंगे

० केंद्र सरकार के सभी मंत्री तथा पूर्व मंत्री वर्तमान सांसद पूर्व सांसद अखिल भारतीय सेवाओं में सभी अधिकारी तथा सेवानिवृत्त अधिकारी

० केंद्रीय सेवाओं के सभी श्रेणियों के सभी अधिकारी तथा पूर्व अधिकारी 

०संसद अधिनियम से स्थापित संस्थाओं के अधिकारी व कर्मचारी तथा सेवानिवृत्त अधिकारी विभाग में कार्यरत भारत सरकार के अधिकारी व कर्मचारी


 हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज किसी भी jurisdictions में नहीं आते 

 ० लोकपाल स्वयं किसी प्रकार की सजा नहीं देता

०7 वर्ष पुराने मामले की जांच नहीं करेगा

० झूठी शिकायत करने पर ₹100000 का जुर्माना व 1 वर्ष की सजा हो सकती है 

०संसद वर्तमान में विपक्ष का नेता ही नहीं लोकसभा में ऐसी स्थिति में सेकंड लार्जेस्ट पार्टी के नेता को विपक्ष का नेता के रूप में लिया जाता है सुप्रीम कोर्ट के बार बार कहने पर मल्लिकार्जुन खड़गे को बुलाया गया लोकपाल नियुक्ति के लिए विशेष आमंत्रित किया 



वर्तमान में भारत के लोकपाल न्यायमूर्ति पीसी घोष


लोकपाल के साथ अन्य आठ सदस्यों को पद की शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति दिलीप बाबासाहेब भोसले, न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती, न्यायमूर्ति अभिलाषा कुमारी, न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी, दिनेश कुमार जैन, अर्चना रामसुंदरम, महेंद्र सिंह और डॉ. इंद्रजीत प्रसाद गौतम ने शपथ ग्रहण किया। 


आज हमने लोकपाल से संबंधित सारे तथ्यों को पढ़ा और समझा इसके अगले अध्याय में हम बात करेंगे लोकायुक्त की और उससे संबंधित तथ्यों की तब तक सब आप अपना ख्याल रखिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कि आप हमारे साथ अभी भी जुड़े हुए हैं आप यकीन मानिए इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन के सारे अध्याय कंप्लीट किए जाएंगे मिलते हैं नेक्स्ट आर्टिकल में

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