चलिए आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं राज्यपाल की शक्तियां उनकी क्वालिफिकेशन उनकी नियुक्ति उनके शपथ एवं उनको प्रदान की जाने वाली शक्तियों के बारे में
आर्टिकल 153 की
प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा 7 वे संविधान संशोधन द्वारा 1956 में इसमें यह संशोधन किया गया एक ही व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल बनाया जा सकता है
इनकी योग्यता के बारे में
योग्यता -- भारत का नागरिक हो
#.न्यूनतम आयु 35 वर्ष हो
#.नोट आर्टिकल 157 में इन दो योग्यताओं का ही उल्लेख है किसी भी व्यक्ति को स्वयं के राज्य में राज्यपाल नहीं बनाया जाता मैं एक परंपरा है
#.एग्जांपल उल्लंघन धर्मवीर को पश्चिम बंगाल में
राज्यपाल की नियुक्ति
आर्टिकल 155 के तहत इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है व्यवहार में यह नियुक्ति मंत्री परिषद के सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है
1983 में इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आर एस रणजीत सिंह सरकारिया की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया था 1987 में यह आयोग अपना रिपोर्ट सौपी थी सहकारिता आयोग ने आर्टिकल 135 में संशोधन कर संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री के साथ विचार विमर्श को संवैधानिक प्रावधान बनाने की सिफारिश की वर्तमान में विचार-विमर्श एक परंपरा है
वर्ष 2007 में केंद्र राज्य संबंधों की जांच हेतु सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पीएम पुंछी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया था उनकी आयोग ने गवर्नर की नियुक्ति के संदर्भ में 2010 में सुझाव दिया पीएम पुंछी की अध्यक्षता में कॉलेजियम की व्यवस्था की सिफारिश की थी इस कॉलेजियम व्यवस्था में उपराष्ट्रपति लोकसभा अध्यक्ष लोकसभा में विपक्ष का नेता तथा गृहमंत्री इसके सदस्य होने थे यह सुझाव को भी स्वीकृति नहीं मिली
आर्टिकल 155 की के तहत राष्ट्रपति इनकी नियुक्ति के संदर्भ में वारंट अधिपत्र जारी करते हैं जिससे मुख्य सचिव पढ़कर सुनाते हैं
राज्यपाल की शपथ की
आर्टिकल 159 में राज्यपाल द्वारा ली जाने वाली शपथ का प्रारूप का उल्लेख है आर्टिकल 159 के तहत राज्यपाल संविधान की रक्षा और लोगों के कल्याण की शपथ लेते हैं 159 के तहत उन्हें संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वरिष्ठ न्यायाधीश द्वारा शपथ दिलाई जाती है किसी राज्यपाल को राष्ट्रपति द्वारा किसी अन्य राज्य का अतिरिक्त प्रभार दिया जा सकता है अतिरिक्त प्रभार दिए जाने पर भी उन्हें वापस शपथ लेनी होती है ऐसा इसलिए क्योंकि गवर्नर लोगों के कल्याण का शपथ लेता है क्योंकि वह जिन जिन राज्यों का अतिरिक्त भार ले रहा है वहां के लोगों का कल्याण भी उसके शपथ के साथ जुड़ना चाहिए
राज्यपाल को अतिरिक्त प्रभार दिए जाने पर उनके वेतन में हानिकारक परिवर्तन नहीं हो सकता वेतन के अनुपात का निर्धारण आर्टिकल 158 के तहत राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है
राज्यपाल से संबंधित शर्तें
यदि किसी संसद अथवा राज्य विधान मंडल के सदस्यों को राज्यपाल नियुक्त किया जाए तो पद ग्रहण करने की तिथि से उनका स्थान रिक्त माना जाता है संसद या राज्य विधानमंडल में संसद या सदस्य पद से
#.व अन्य कोई लाभ का पद नहीं ले सकता
#.वेतन भत्तों के निर्धारण संसद द्वारा क्या किया जाता है
#.पद पर रहते हुए उनके वेतन में हानिकारक परिवर्तन नहीं हो सकता इन शर्तों का उल्लेख आर्टिकल 158 में है
राज्यपाल के कार्यकाल की
आर्टिकल 156 के तहत राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पर रहते हैं उनका कार्यकाल 5 वर्षों का होता है
इनको हटाया कैसे जाए
राज्यपाल को हटाने से संबंधित प्रावधानों का उल्लेख संविधान में नहीं है पी सिंघल वर्सेस भारत संघ 2010 यह निर्णय लिया गया था कि किसी भी राज्यपाल को राजनैतिक विचारधारा के आधार पर नहीं हटाया जा सकता उनकी आयोग ने गवर्नर को हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया अपनाने का सुझाव दिया था
राज्यपाल की शक्तियों के बारे में
आर्टिकल 154 के तहत कार्यपालिका संबंधी शक्तियां होती हैं जिनका उपयोग अपने अधीनस्थ अधिकारियों के सहयोग से करते हैं
आर्टिकल 163 के
तहत राज्यपाल अपनी स्वाहा विवेकी शक्तियों को छोड़कर मंत्रिपरिषद के परामर्श पर कार्य करते हैं जिसका मुख्य मुख्यमंत्री होगा राज्यपाल मंत्री परिषद के परामर्श के सलाह को पुनर्विचार के लिए नहीं भेज सकता
आर्टिकल 164
के तहत राज्यपाल मुख्यमंत्री को तथा मंत्री के सिफारिश पर अन्य मंत्रियों को नियुक्त करते हैं आर्टिकल 164 में यह स्पष्ट उल्लेख है कि मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ झारखंड उड़ीसा राज्य में एक जनजाति मंत्री की नियुक्ति करना अनिवार्य है
मूल संविधान के अनुच्छेद 164 द्वारा यहां बिहार शब्द का उल्लेख था 94 संविधान संशोधन 2007 द्वारा यहां से बिहार शब्द हटाकर छत्तीसगढ़ और झारखंड शब्द उल्लेखित किया गया
राज्यपाल मंत्रियों को शपथ दिलाते हैं सभी मंत्री व्यक्तिगत रूप से राज्यपाल के प्रति उत्तरदाई होते हैं
आर्टिकल 166 के
तहत राज्य के सारे काम राज्यपाल के नाम से किए जाते हैं राज्यपाल विभागों के बंटवारे के संबंध में आवंटन के नियम बनाते हैं
#.आर्टिकल 167 के तहत राज्यपाल राज्य प्रशासन के संदर्भ में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं
#.राज्यपाल राज्यों के महाधिवक्ता की नियुक्ति करते हैं उन्हें शपथ दिलाते हैं तथा यह महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पर रहते हैं
आज हमने राज्यपाल से संबंधित उनकी नियुक्ति उनकी योग्यता उनकी शपथ उनका कार्यकाल उनको हटाने की प्रक्रिया और राज्यपाल की शक्तियों के बारे में बखूबी अध्ययन किया इसके अगले अध्याय में हम राज्यपाल की व्यवस्थापिका संबंधित शक्तियां और वित्तीय शक्तियों के बारे में चर्चा करेंगे तब तक आप सब अपना ख्याल रखिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
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Give me only suggestions and your opinion no at all Thanx