उच्च न्यायालय( हाईकोर्ट )

                      उच्च न्यायालय( हाईकोर्ट ) 




आर्टिकल 124 

#.प्रत्येक राज्य में एक उच्च न्यायालय होता है
#.वर्तमान में 25 उच्च न्यायालय हैं पहले इनकी संख्या 21 उच्च न्यायालय  थी मार्च 2013 में मेघालय मणिपुर  त्रिपुरा और 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश की नई हाईकोर्ट अमरावती के रूप में स्थापित हुआ और इस तरह नए उच्च न्यायालय स्थापित किए गए और अब यह संख्या 25 हो गई है 


 आर्टिकल 231 की 

आर्टिकल 231 के तहत संसद कानून बना कर दो या दो से अधिक राज्यों के लिए संयुक्त उच्च न्यायालय स्थापित कर सकता है 


आर्टिकल 230

 आर्टिकल 230 संसद कानून बनाकर किसी उच्च न्यायालय का विस्तार केंद्र शासित प्रदेश के लिए कर सकती है 



 उच्च न्यायालय अधिनियम 1861

 के तहत भारत में पहली बार 1862 में मुंबई मद्रास और कोलकाता में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई थी 1866 में चौथे नंबर का हाई कोर्ट इलाहाबाद में बना ब्रिटिश भारत के द्वारा अधिकांश हाई कोर्ट प्रांतों में स्थापित किए गए थे बाद में प्रांत  ब्वालों कोर्ट को 1950 के बाद राज्य उच्च न्यायालय का नाम दे दिया गया 




निम्न संयुक्त उच्च न्यायालय हैं 7 वा संविधान संशोधन अधिनियम 1956 के तहत सरकार  को आदेश दिया गया कि वह संयुक्त उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकती है 

जिसके तहत हमने 
पंजाब+ हरियाणा +और चंडीगढ़ के लिए =चंडीगढ़ हाई कोर्ट की स्थापना किया

#.दूसरा महाराष्ट्र +गोवा +दमन एवं दीव +दादरा एवं नगर हवेली यह सब के लिए  बाम्बे हाईकोर्ट की स्थापना की गई थी

#.असम +अरुणाचल प्रदेश +नागालैंड+ मिजोरम के लिए =गुवाहाटी हाई कोर्ट स्थापित की गई थी

#.तमिलनाडु + पांडिचेरी= मद्रास हाईकोर्ट में शामिल थे

#. केरल +और लक्षद्वीप =एर्नाकुलम हाईकोर्ट में शामिल थे 

#. W. Bangal aur Andaman and Nicobar deep samuh कोलकाता हाईकोर्ट के तहत आते थे

#. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हैदराबाद हाई कोर्ट के तहत आते थे 

#.दिल्ली एकमात्र संघ शासित प्रदेश है जिसका स्वयं का उच्च न्यायालय है 




हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या निर्धारित नहीं है




आर्टिकल 216 के 

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संख्या राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित की जाती है राजस्थान उच्च न्यायालय में 49 प्लस 1 यानी कि 50 मुख्य न्यायाधीशों  है


 योग्यता के बारे में

#.वह भारत नागरिक हो
#.राज्य की न्यायिक सेवा में कम से कम 10 वर्षों से अधिकारी हो #.या उच्च न्यायालय में पिछले 10 वर्षों से अधिवक्ता हो


 नियुक्ति (Appointment) 

    कॉलेजियम व्यवस्था के सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा इनकी नियुक्ति होती है कॉलेजियम में संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश तथा वरिष्ठ न्यायाधीश भी सदस्य होते हैं नियुक्ति से पूर्व संबंधित राज्य के राज्यपाल से भी विचार-विमर्श किया जाता है सन 1993 से न्यायाधीशों की नियुक्ति के संदर्भ में कार्यपालिका की भूमिका शून्य कर दी गई है 1998 से कॉलेजियम व्यवस्था लागू है 




 उनकी शपथ कि 

इन्हें राज्यपाल अथवा राज्यपाल द्वारा अधिकृत किए गए व्यक्ति द्वारा शपथ दिलाई जाती है संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं साथ ही संविधान की मर्यादा बनाए रखने की शपथ लेते हैं


इनके वेतन एवं पेंशन


 हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को ढाई लाख और न्यायाधीशों को 225000 वेतन दिया जाता है हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को राज्य की संचित निधि से वेतन दिया जाता है भारत की संचित निधि से उन्हें पेंशन दी जाती है उनके वेतन में किसी भी प्रकार का हानिकारक परिवर्तन नहीं किया जा सकता

 इन्हें भारत की संचित निधि से  पेंशन देने की वजह यह है क्योंकि उसका तबादला अन्य राज्यों में हो सकता है साथ ही आवास मेडिकल वाहन एवं टेलीफोन सुविधाएं प्रदान की जाती है


 आर्टिकल 220  की

 आर्टिकल 220 के तहत उच्च न्यायालय के जज सेवानिवृत्ति के बाद अन्य उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में सेवाएं नहीं दे सकते जिन उच्च न्यायालयों में उन्होंने न्यायाधीश के रूप में काम किया है

#.न्यायाधीशों का कोई कार्यकाल नहीं होता सुप्रीम कोर्ट के जज की 65 वर्ष तथा हाई कोर्ट के जज की 62 वर्ष सेवानिवृत्ति की आयु होती है उससे पहले भी वह राष्ट्रपति को अपना त्याग पत्र भेजकर पद मुक्त हो सकता है


  संविधान संशोधन विधेयक 114 की

 द्वारा हाई कोर्ट के जज की उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष लाने का प्रस्ताव था पर बिल पारित नहीं हुआ 


कार्यवाहक चीफ जस्टिस

Art 223  के तहत मुख्य न्यायाधीश का पद  रिक्त हो जाने पर 
 राष्ट्रपति हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस नियुक्त कर सकते हैं 



अपर/अतिरिक्त न्यायाधीश

Art224  में उल्लेखित है कि उच्च न्यायालय के कार्यों में वृद्धि हो  जाने अथवा पहले से मामले लंबित होने पर राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ विचार-विमर्श करके ऐसे व्यक्ति जो हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बनने की योग्यता रखता हो 2 वर्षों के लिए इन्हें हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज के रूप में नियुक्त किया जा सकता है


आर्टिकल 222 की 

222 के तहत राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश के साथ विचार-विमर्श करके हाईकोर्ट के जजों का स्थानांतरण कर सकते हैं

  आर्टिकल 215 के तहत हाई कोर्ट भी अभिलेख न्यायालय के रूप में काम करता है अर्थात उसे भी अपना अपमानना पर दंड देने का अधिकार है सुप्रीम कोर्ट के लिए आर्टिकल 129 कोड ऑफ रिकॉर्ड काम करती है 

 आर्टिकल 226 के तहत हाई कोर्ट को भी याचिका जारी करने का अधिकार है हाईकोर्ट का injuction  नामक याचिका द्वारा अंतरिम राहत( entrim relief)उपलब्ध करवाता है

 
आर्टिकल 227 के तहत  HC को अपने अधीन आने वाले सभी न्यायालय क सुपरविजन करने का अधिकार है

 सबोर्डिनेट य  अधिनस्थ  न्यायालयों का मामला  मंगवाने का अधिकार है लेकिन वह उस मामले को एक सत्र से दूसरे सत्र न्यायालय में ट्रांसफर नहीं कर सकता 





 आज हमने उच्च न्यायालय से संबंधित सारे तथ्य उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति उनकी शपथ वेतन उनकी योग्यता तथा अन्य संबंधित बातों पर चर्चा किया अगले अध्याय में हम राज्यपाल से संबंधित  बातें  पर विस्तार से चर्चा करेंगे तब तक आप सब अपना ख्याल रखिए धन्यवाद

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