संविधान सभा( Constitution Assembly)
उसकी गठन पृष्ठभूमि कार्य एवं सदस्य संख्या के बारे में आज हम अच्छे से देखेंगे
महात्मा गांधी
संविधान सभा के बारे में बात करने वाले प्रथम व्यक्ति महात्मा गांधी थे
1922 में उन्होंने कहा कि भारतीयों के लिए एक संविधान सभा होनी चाहिए अगस्त 1940 में अंग्रेजों की तरफ से एक प्रस्ताव रखें जिसको अगस्त प्रस्ताव के नाम से जानते हैं जिसमें उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि भारतीयों के लिए एक संविधान सभा होनी चाहिए जिसमें सारे नागरिक सामान्यता भारतीय ही होंगे
मतलब उसमें और लोग भी हो सकते हैं इस बात को गांधीजी कांग्रेश के अन्य सदस्य व अन्य संगठनों ने स्वीकार नहीं किया संविधान सभा की शुरुआत क्रिप्स प्रस्ताव से होता है
क्रिप्स प्रस्ताव
एक ऐसा प्रस्ताव था जो ब्रिटिश गवर्नमेंट द्वारा भारतीयों के लिए भारत लाया गया था जिसमें सर Stifart क्रिप्स के द्वारा सन 1942 में रखा गया था इसमें अंग्रेजों ने स्पष्ट कर लिया कि भारतीयों के लिए एक संविधान सभा होगी लेकिन हमने इसे भी अस्वीकार कर दिया
अस्वीकार करने का कारण
अस्वीकार करने का कारण युद्ध की समाप्ति के बाद संविधान सभा का गठन होगा यह भारतीय चाहते थे गांधीजी ने इसे बैंक की चेक की संज्ञा दी थी
संविधान सभा का गठन कैबिनेट मिशन के तहत ही गठित की गई थी
इस मिशन में आने वाले सदस्यों में 3 लोग थे
1. सर पैथिक लोरेंस जो कि क्रिप्स मिशन के अध्यक्ष थे
सर Stifart और एलेग्जेंडर
यह तीनों सदस्य ब्रिटिश गवर्नमेंट से भारत आए थे कैबिनेट मिशन योजना के तहत भारतीय संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होने चाहिए थे यह 389 सदस्य का आंकड़ा कैसे आया इसको हम क्या करते हैं क्या यह सभी सदस्य निर्वाचित है या मनोनीत या दोनों थे 389 का आंकड़ा इस वजह से रखा गया उस टाइम पर भारत की जनसंख्या 40 करोड़ के आसपास थी 40 करोड़ में प्रति 1000000 जनता पर एक सदस्य का निर्वाचन होना था
389 का आंकड़ा में
292+ 4 = 296
भारत से जो कि निर्वाचित सदस्य थे
और 4 सदस्य चीफ कमिश्नरई प्रांत के
और 93 सदस्य देसी रियासत से जो कि मनोनीत 4
कमिश्नरी प्रांत में
1.दिल्ली
2.अजमेर क्षेत्र
3.kurg जो कि आज कर्नाटक में
4.बलूचिस्तान पाकिस्तान में
भारत की जनसंख्या 40 करोड़ के आसपास थी
9 December 1946 संविधान सभा की पहली बैठक बुलाई गई जिसमें 207 सदस्यों ने भाग लिया और टोटल सदस्यों की संख्या थी 389 उस में से 207 सदस्यों ने भाग लिया 207 में से 9 सदस्य महिलाएं थी संविधान सभा की पहली बैठक की अध्यक्षता डॉ सच्चिदानंद सिन्हा कर रहे थे वह इसलिए कि उनका चुनाव हुआ था यह britis सरकारों ने मनोनीत किया था नहीं उस समय के सबसे बुजुर्ग सदस्य थे इस बैठक में मुस्लिम लीग ने बहिष्कार किया
चर्चिल जो कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री थे उन्होंने इस बैठक के संदर्भ में कहा की यह वह विवाह है जिसकी दुल्हन ही गायब है उनका कहने का मतलब था कि संविधान की सभी सदस्यों में से 73 सदस्यों की मुस्लिम लीक से थे इस बैठक के का बहिष्कार किया और दूसरा कारण था देसी रियासतों को पता ही नहीं था कि जाना कहां है
11 दिसंबर 1946 पहली बैठक के दो दिन बाद संविधान सभा की दूसरी बैठक हुआ जिसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा का स्थाई सदस्य चुने गए 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा पर में एक प्रस्ताव रखा जिसे उद्देश्य प्रस्ताव कहते हैं जिसमें उद्देश्य प्रस्ताव में यह बताया गया था कि संविधान सभा में सरकार की प्रकृति कैसी होगी सरकार किन किन उद्देश्यों में को लेकर चलेगी इस बैठक में उद्देश्य प्रताप स्वीकार नहीं किया गया इसके सदस्य बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा जब तक मुस्लिम लीग संविधान सभा में नहीं आ जाते तब तक यह उद्देश्य प्रस्ताव पारित नहीं होगा
22 जनवरी 1947 को उद्देश्य प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया वर्तमान संविधान प्रस्तावना का आधार यह उद्देश्य प्रस्ताव ही था डॉक्टर अंबेडकर bombay से चुनाव हार गए जबकि बंगाल क्षेत्र जयपुर भुलवा जो कि आज कल पाकिस्तान में चला गया है और बंगाल से उन्हें मुस्लिम लीग की मदद से सदस्य चुन लिया गया संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बीएन राव के द्वारा सदस्य राजेंद्र प्रसाद द्वारा मुंबई की तत्कालीन प्रधानमंत्री बीजी खेर को पत्र लिखकर मुंबई के सदस्य एम आर जयकर अपने पद से इस्तीफा देंगे और बांबे से डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद डॉ अंबेडकर को सदस्य चुने जाएंगे
बीएन राव इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के पहले भारतीय सदस्य थे इन्होंने प्रारूप तैयार किया प्रारूप की जांच करने के लिए प्रारूप समिति गठित की गई प्रारूप समिति को पांडु लेखन भी कहा जाता है 29 अगस्त 1947 में गठित इस समिति में 7 सदस्य थे
अंबेडकर साहब इस समिति के अध्यक्ष साथ ही
गोपाला स्वामी आयंगर
अलादी कृष्णा स्वामी
अय्यर मोहम्मद शादुल्ला जो कि मुस्लिम लीक के थे
केएम मुंशी जो कि कांग्रेसी थे
टीटी कृष्णमाचारी
और माधव राव
यह प्रारूप समिति के 7 सदस्य थे
हिंदू धर्म पहेली के लेखक अंबेडकर की पुस्तक है जिसमें पाकिस्तान पर विचार किया गया है
संविधान सभा की कुल 12 अधिवेशन हुई 24 जनवरी 1947 में संविधान सभा की अंतिम बैठक को लिया जाए संविधान सभा में कुल 15 महिलाएं थी संविधान सभा एकमात्र मुस्लिम महिला बेगम अयाज रसूल थी 26 नवंबर 1949 आंशिक रूप से संविधान सभा लागू हुआ इसी वजह से इस दिन को विधि दिवस के रूप में मनाया जाने लगा इस दिन 16 अनुच्छेद लागू हुई अनुच्छेद 394 का उल्लेख अनुच्छेद 5 अनुच्छेद 6 अनुच्छेद 7, 8, 9 ,366 ,367, 380, 394 और 324 जो कि चुनाव आयोग की है नागरिकता से संबंधित है राष्ट्रपति की शपथ अनुच्छेद 7 यह 16 अनुच्छेद लागू हुए राजस्थान की लक्ष्मी बिंद सिल्वी के सलाह से ही इसी विधि दिवस के रूप में मनाते हैं
संविधान में डॉक्टर अंबेडकर के योगदान
संविधान में डॉक्टर अंबेडकर के योगदान में रेखांकित करने के लिए जब डॉक्टर अंबेडकर की 125 वीं जयंती जब मनाई जा रही थी तब विधि दिवस को बदलकर संविधान दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रस्ताव रखा गया कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन 1929 यह कहा गया कि हम प्रतिवर्ष 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाएंगे और 26 जनवरी 1930 को हमने पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया क्योंकि देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तब हम अपनी स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को ही मनाने लगे 26 जनवरी को ऐतिहासिक परंपरा को रखने के लिए संविधान को पूर्ण बन जाने के बावजूद भी हम इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किए
24 जनवरी 1950 संविधान की अंतिम बैठक जिसमें 284 सदस्यों ने भाग लिया पंडित जवाहर पहले व्यक्ति थे जिन्होंने संविधान पर हस्ताक्षर किया
के पहले संख्या 389 थी और अब यह केवल 284 हीरा मुस्लिम लीग के बहिष्कार के बाद यह संख्या 224 हो गई मुस्लिम लीग के बहिष्कार के बावजूद संविधान में हस्ताक्षर किए इस वजह से 389 की सदस्य संख्या से यदि हम 73 जो कि मुस्लिम लीग के सदस्य थे उसको घटा दें तो आंकड़ा बहुत कम आता है
संविधान सभा के कार्य
संविधान सभा प्रतिदिन दो बैठक में समाप्त होता था
संविधान सभा की पहली बैठक में संविधान निर्माण पर चर्चा किया जाता था जिसकी अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद कार्य करते थे
और संविधान सभा की दूसरी बैठक में संसद के संदर्भ में काम होता था जिसकी अध्यक्षता जेएनवी मार्वल कर किया करते थे जी न्यू मार्वल कर मार्वल कर मावलकर करते
24 जनवरी 1950 को जब संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई तब डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को भारत का राष्ट्रपति नियुक्त किया गया अब हमारे पास एक बड़ा सा सवाल आता है कि संविधान सभा को ये अधिकार किसने दिया कि वह राष्ट्रपति का नियुक्त करें दूसरा निर्वाचन शब्द कै
से हमने पहले पर बात कर चुके हैं जिसमें आपको पता होगा संविधान सभा के कार्य में संविधान सभा पहले संविधान निर्माण पर चर्चा करते थे और उसके दूसरी बैठक संसद के संदर्भ में होते थे संविधान सभा जब संसद के रूप में काम करती थी तब यह निर्वाचन हुआ संविधान सभा ने यह स्पष्ट रूप से आवेदन निकाले जिसमें डॉ राजेंद्र प्रसाद का आवेदन आया और वह इस तरह निर्वाचित स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति बने
इससे संबंधित कुछ उल्लेख अनुच्छेद 380 में मिलता है जिसे हमने अभी-अभी समाप्त कर दिया है भारत के संविधान का शीर्षक भारत का संविधान ही है अनुच्छेद 394 में दो बातों का उल्लेख मिलता है 26 नवंबर 1949 को 16 अनुच्छेद लागू होते हैं और बाकी के सभी अनुच्छेद 26 जनवरी 1950 से लागू होंगे 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 2 साल 11 महीने 18 दिन लंबा सफर में हमारे संविधान सभा के सदस्य यह सोच रहे थे कि भारत की शासन व्यवस्था कैसी होगी आपको बता दें भारतीय शासन अधिनियम 1935 के शासन लागू होंगे 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 तक इसका उल्लेख 15 अगस्त 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम में स्पष्ट लिखा हुआ है 1935 भारतीय शासन अधिनियम और 1947 भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम यह दोनों अधिनियम भारतीय संविधान की अंतिम अनुच्छेद 395 के द्वारा समाप्त कर दिया गया भारत का संविधान हिंदुओं की संस्था है यह बात लॉर्ड साइमन ने कही थी लॉर्ड साइमन आयोग को लेकर भारत आए थे 206 कांग्रेस के सदस्य थे चर्चिल ने इसे एक जाति का था की संज्ञा कहा था ग्रेन ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन पुस्तक के लेखक हैं
संविधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन राज्य के विधानमंडल के सदस्यों के फल स्वरुप सारे सदस्य आएंगे
संविधान निर्माण में अंबेडकर का योगदान
अंबेडकर को आधुनिक भारत का मनु कहा जाता है डॉक्टर अंबेडकर ने कहा मैंने कुछ अच्छा काम किया है तो वह है 29 अगस्त 1947 में प्रारूप समिति का गठन करना
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